कुछ अधूरी ख्वाइसे
और उसे पाने की तमन्ना,
मुझे अब जीने नही देते है।
मुलाकात की हर घड़ी
यादों के तूफान में सब उड़ा ले जाते है।
अकेले रह जाती है मैं और
मेरी तन्हाई,
और सोचते है बस...
मंद मंद मुस्कान उसकी
मोरनी जैसे बाल उसकी,
खिलखिलाते चेहरा हो जिसका
नूर भरे चाहत हो जिसमे।
याद जो बन कर रह जाते है
आते है जब जब यादों में,
दिल को बहुत कुछ कह जाते है।
हर प्यार भरे शब्द जो
उसने मुझसे बोला था।
रह गई अधूरी जो बात हुई थी,
मन के दर्पण से मुलाकात हुई थी।
क्या वक्त को ये मंजूर न था,
दो फूलों के आंगन की खुशबू।
वक्त ने ऐसा चक्र चलाया
क्या खूब उसने दो दिल को रुलाया,
मुस्कान बदल गई है आंशु में।
चाहत का पर्वत कही टूट रहा है,
दो प्रेमी कही छूट रहे है।
क्या जिंदा वो रह पायेंगे,
जो दिल में है क्या वो कह पाएंगे।
रोते रोते वो मर जायेंगे,
जो वो ना मिले तो कुछ कर जायेंगे।
बन जायेंगे फकीर या बैरागी,
जो दिल का दामन छूट गया तो।
©shivraj singh7
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