shivraj singh7

shivraj singh7 Lives in Agra, Uttar Pradesh, India

Nature lover and poetry lover.

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#कविता #Kya  अगर मैं तुमको लिखना चाहूँ तो क्या लिखू ,
इश्क लिखूं या वफा लिखूँ!
झरना लिख दु ,
 या बहता पानी लिख दु!
या समंदर में बहते लहरों की कहानी लिख दु ,
जवानी लिख दूँ
 या रवानी लिख दु ,
कि मैं तेरी पूरी कहानी लिख दूँ!
जज़्बात लिख दु या शरारत लिख दु,
की तेरी लम्बी सपनों की इमारत लिख दु!
ग़ुस्सा लिख दूँ या प्यार लिख दु,
तेरे चेहरे का मोल लगा कमाल लिख दु!
रौशनी लिख दूँ या मैं रौशनी में तुझको लिख दु,
तू जो भी है,जैसी भी है
मैं खुबसूरत या तुमको कमाल लिख दु!

©shivraj singh7

#Kya likh du

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#कविता  गर किसी को चाहने की चाह रखते हो तो चाह लो,
गर वो भी तुझे चाहता हों तो चाह लो!
हर घड़ीं-हर वक़्त उसकी याद में उतार लो,
गर वो भी;  
तुम को  तुमसा प्यार दें तो चाह लो!
चाहतों की चाह में ख़ुद को;
इस कदर 
 तुम खुद  वार लो!
  गर ना भी मिले वो तुमको;
खुद की चाहतों को खुद ही मार लो!
गर चाह हो तुमको तुम्हारे चाह कि;
तो उनकी चाहतों पर 
खुद की चाहतों को वार लो!
किस सोच में पड़े हो
खुद को इन सोच से उबार लो;
गर नसीब में होगा
आपकी  चाह भी किसी की चाह हो;
मिल जाएगा जो मिलना होगा
तुमको जो तेरे नसीब हो!
गर चाहना था जिसे चाहा बड़ें करीब से.
अब मेरी भी मान लो;
जरा खुद की चाहतों को भी
खुद ही चाह लो!!!

©shivraj singh7

jara khud ko chah lo

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वो कभी कम तो कभी ज्यादा प्यार जताती है; कहना चाहती है सब कुछ मगर कुछ कह नही पाती है! प्यार उसकी आँखों में नज़र आता है; पर दिखा नहीं पाती है! प्यार करती है मगर अपने तरीक़े से; कभी लड़ती है तो कभी ख़ामोश हो जाती है! एक अलग अंदाज़ में वो; कभी अले- ले-लें तो कभी अच्छा बोलकर खुद में ही शर्माती है! वह कभी मासूम तो कभी सख़्त बन जाती है; शरारती भी है थोड़ी चुलबुली भी खुद ही रूठती है वो खुद ही मान जाती है! वो जैसी भी है, मुझे वो हर रोज़ याद आती है! ©shivraj singh7

#वो_और_मैं #लव  वो कभी कम तो
    कभी ज्यादा प्यार जताती है;
कहना चाहती है सब कुछ 
मगर कुछ कह नही पाती है!
प्यार उसकी आँखों में नज़र आता है;
पर दिखा नहीं पाती है!
प्यार करती है मगर अपने तरीक़े से;
कभी लड़ती है तो कभी ख़ामोश हो जाती  है!
एक अलग अंदाज़ में वो;
कभी अले- ले-लें तो कभी अच्छा
बोलकर खुद में ही शर्माती है!
वह कभी मासूम तो कभी सख़्त बन जाती है;
 शरारती भी है थोड़ी चुलबुली भी
खुद ही रूठती है वो
खुद ही मान जाती है!
वो जैसी भी है, मुझे वो हर रोज़ याद आती है!

©shivraj singh7

कुछ अधूरी ख्वाइसे और उसे पाने की तमन्ना, मुझे अब जीने नही देते है। मुलाकात की हर घड़ी यादों के तूफान में सब उड़ा ले जाते है। अकेले रह जाती है मैं और मेरी तन्हाई, और सोचते है बस... मंद मंद मुस्कान उसकी मोरनी जैसे बाल उसकी, खिलखिलाते चेहरा हो जिसका नूर भरे चाहत हो जिसमे। याद जो बन कर रह जाते है आते है जब जब यादों में, दिल को बहुत कुछ कह जाते है। हर प्यार भरे शब्द जो उसने मुझसे बोला था। रह गई अधूरी जो बात हुई थी, मन के दर्पण से मुलाकात हुई थी। क्या वक्त को ये मंजूर न था, दो फूलों के आंगन की खुशबू। वक्त ने ऐसा चक्र चलाया क्या खूब उसने दो दिल को रुलाया, मुस्कान बदल गई है आंशु में। चाहत का पर्वत कही टूट रहा है, दो प्रेमी कही छूट रहे है। क्या जिंदा वो रह पायेंगे, जो दिल में है क्या वो कह पाएंगे। रोते रोते वो मर जायेंगे, जो वो ना मिले तो कुछ कर जायेंगे। बन जायेंगे फकीर या बैरागी, जो दिल का दामन छूट गया तो। ©shivraj singh7

#कविता #दो  कुछ अधूरी ख्वाइसे
और उसे पाने की तमन्ना,
मुझे अब जीने नही देते है।
मुलाकात की हर घड़ी
यादों के तूफान में सब उड़ा ले जाते है।
अकेले रह जाती है मैं और
मेरी तन्हाई,
और सोचते है बस...
मंद मंद मुस्कान उसकी
मोरनी जैसे बाल उसकी,
खिलखिलाते चेहरा हो जिसका
नूर भरे चाहत हो जिसमे।
याद जो बन कर रह जाते है
आते है जब जब यादों में,
दिल को बहुत कुछ कह जाते है।
हर प्यार भरे शब्द जो
उसने मुझसे बोला था।
रह गई अधूरी जो बात हुई थी,
मन के दर्पण से मुलाकात हुई थी।
क्या वक्त को ये मंजूर न था,
दो फूलों के आंगन की खुशबू।
वक्त ने ऐसा चक्र चलाया
क्या खूब उसने दो दिल को रुलाया,
मुस्कान बदल गई है आंशु में।
चाहत का पर्वत कही टूट रहा है,
दो प्रेमी कही छूट रहे है।
क्या जिंदा वो रह पायेंगे,
जो दिल में है क्या वो कह पाएंगे।
रोते रोते वो मर जायेंगे,
जो वो ना मिले तो कुछ कर जायेंगे।
बन जायेंगे फकीर या बैरागी,
जो दिल का दामन छूट गया तो।

©shivraj singh7

#दो प्रेमी कही छूट रहे है

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तो उस दिल की चाहत बनो, बरकत खूब मिलेगी। सर झुका से सजदा करो, इबादत खुद मिलेगी। रही बात किसी को पाने की, दिल से पुकारो तो सही, वो मिले या न मिले। पर उसकी आहट खूब मिलेगी। ©shivraj singh7

#शायरी  तो उस दिल की चाहत बनो,
बरकत खूब मिलेगी।
सर झुका से सजदा करो,
इबादत खुद मिलेगी।
रही बात किसी को पाने की,
दिल से पुकारो तो सही,
वो मिले या न मिले।
पर उसकी आहट खूब मिलेगी।

©shivraj singh7

#🥰🥰

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सायद कोई और होता तो जाने देते, पर बदनसीबी ऐसी है की कैसे जाने दे, जिससे मैंने कहा जाने देते! ©shivraj singh7

#अनसुनी #शायरी #delusion  सायद कोई और होता तो जाने देते,
पर बदनसीबी ऐसी है
की कैसे जाने दे, जिससे मैंने कहा जाने देते!

©shivraj singh7

#अनसुनी आवाज #delusion

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