Sachin Upadhyay

Sachin Upadhyay

उत्तर प्रदेश पुलिस। कवि ।गीतकार

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उर छलनी कांटों से मेरा  तेरे पग पर फूल चढ़े थे  निपट अकेला वीराने में  सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना  तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था  कर्मों का फल मान लिया था  सब तेरी मर्जी बतलाकर  कब तक धैर्य बधाऊं  कैसे तुझ को शीश झुकाऊं। ©Sachin Upadhyay

 उर छलनी कांटों से मेरा 
तेरे पग पर फूल चढ़े थे 
निपट अकेला वीराने में 
सोचा भगवन साथ खड़े थे ।
टूट टूट बिखरा हर सपना 
तूने छीन लिया हर अपना ।
बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था 
कर्मों का फल मान लिया था 
सब तेरी मर्जी बतलाकर 
कब तक धैर्य बधाऊं 
कैसे तुझ को शीश झुकाऊं।

©Sachin Upadhyay

उर छलनी कांटों से मेरा  तेरे पग पर फूल चढ़े थे  निपट अकेला वीराने में  सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना  तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था  कर्मों का फल मान लिया था  सब तेरी मर्जी बतलाकर  कब तक धैर्य बधाऊं  कैसे तुझ को शीश झुकाऊं। ©Sachin Upadhyay

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 उर छलनी कांटों से मेरा 
तेरे पग पर फूल चढ़े थे 
निपट अकेला वीराने में 
सोचा भगवन साथ खड़े थे ।
टूट टूट बिखरा हर सपना 
तूने छीन लिया हर अपना ।
बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था 
कर्मों का फल मान लिया था 
सब तेरी मर्जी बतलाकर 
कब तक धैर्य बधाऊं 
कैसे तुझ को शीश झुकाऊं।

©Sachin Upadhyay

उर छलनी कांटों से मेरा  तेरे पग पर फूल चढ़े थे  निपट अकेला वीराने में  सोचा भगवन साथ खड़े थे । टूट टूट बिखरा हर सपना  तूने छीन लिया हर अपना । बन अर्जुन गीता ज्ञान लिया था  कर्मों का फल मान लिया था  सब तेरी मर्जी बतलाकर  कब तक धैर्य बधाऊं  कैसे तुझ को शीश झुकाऊं। ©Sachin Upadhyay

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#Moon  White जला हुआ दिल  लिए जा रहे हैं 

खुद पता नही क्यों जिए जा रहे हैं

©Sachin Upadhyay

#Moon

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#mountain  White मंजरी सी खिल उठी हो ,
मन किसी से मिल गया क्या ।
गीत नवरंग गा रही हो ,
मीत कोई  मिल गया क्या ।


थाम  कर दामन किसी का 
फिर भी अब तन्हाई क्यों है  
चुन लिया अपने स्वपन सा
चयन पर पछताई क्यों है 

आज नयनों में तुम्हारे,
अश्रु की जलधार क्यों है।
फिर मेरी खातिर ह्रदय में ,
प्रेम का उदगार क्यों है।
अब तुम्हें भी शख़्स कोई ,
अपने जैसा मिल गया क्या ।
गीत नवरंग गा रही हो 
मीत कोई मिल गया क्या ।

©Sachin Upadhyay

#mountain

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White मंजरी सी खिल उठी हो , मन किसी से मिल गया क्या । गीत नवरंग गा रही हो , मीत कोई  मिल गया क्या । ©Sachin Upadhyay

#motivatation #Shayar #Moon #Dil  White मंजरी सी खिल उठी हो ,

मन किसी से मिल गया क्या ।

गीत नवरंग गा रही हो ,

मीत कोई  मिल गया क्या ।

©Sachin Upadhyay
#Road  White पलक  झपकने में जो अंखेरा है 

वही रहती हो तुम 

या तो आंखे बंद रखूं 

या आ जाओ तुम 

मेरी स्याह रातों का यही सवेरा है 

तुमको लिखूं मैं

मुझको गाओ तुम

©Sachin Upadhyay

#Road

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