Suraj Kumar

Suraj Kumar "Praudh Kalam" Lives in New Delhi, Delhi, India

I love to write, read, listen, sing, communicate, talk, study and poetry is the most favorite part of my life.

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#विचार #myvoice #Ajay

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किसी के सपनों का आशियाँ बसा कोई बेघर पैदल गांव चला लुटा हुआ इक सदी से हूँ मेरे सर से सदा छुपकर छांव चला। ✍️सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

#surajkumarpraudhkalam #शायरी #praudhkalam #Homeless #Gareebi  किसी के सपनों का आशियाँ बसा
कोई बेघर पैदल गांव चला
लुटा हुआ इक सदी से हूँ
मेरे सर से सदा छुपकर छांव चला।



✍️सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

कुछ बन गए तो नाम हुआ, न बन पाये तो बदनाम हुआ क्या फर्क़ पड़ा यहाँ किसी को कि किसका सूरज डूबा? सब के लिए तो बस शाम हुआ... -सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम

#surajkumarpraudhkalam #विचार #Inspiration #praudhkalam #darkness  कुछ बन गए तो नाम हुआ, न बन पाये तो बदनाम हुआ
क्या फर्क़ पड़ा यहाँ किसी को
कि किसका सूरज डूबा? 
सब के लिए तो बस शाम हुआ...

-सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम

जब ये दुःख के बादल छट जाएंगे मिलन की घड़ी भी आएगी दूर रहकर भी मेरे संग जिए चल कट ये घड़ियां भी जाएगी ✍️सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

#surajkumarpraudhkalam #शायरी #praudhkalam #RaysOfHope #ummeed  जब ये दुःख के बादल छट जाएंगे
मिलन की घड़ी भी आएगी
दूर रहकर भी मेरे संग जिए चल
कट ये घड़ियां भी जाएगी

✍️सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

जो कुछ भी हो रहा है ये आज अचानक नहीं हुआ पहले भी होता था जो भी हुआ सही हुआ जीवन के बाद मृत्यु है ये अटल सत्य जान लो सब्र से काम लो टूटना होता है मिट्टी के खिलौनों को बिखर के फिर मिट्टी हो जाना है खेलों जब तक है वज़ूद आख़िर साँस के साथ सब खो जाना है टूटे हुए खिलौनों पर शोक ना करो तड़पते दिल को तुम थाम लो सब्र से काम लो यादें भी तब तलक सीने में जान है जब तलक उखड़ती सांसे संग चलेंगी यादें इस जमीं से उस फलक अब भी क्या दौड़ना, जिंदगी थोड़े न है अब तो ठहर जाओ, अब तो आराम लो सब्र से काम लो ✍️ सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

#surajkumarpraudhkalam #कविता #praudhkalam #feelings #Reality  जो कुछ भी हो रहा है
ये आज अचानक नहीं हुआ
पहले भी होता था
जो भी हुआ सही हुआ
जीवन के बाद मृत्यु है
ये अटल सत्य जान लो
सब्र से काम लो

टूटना होता है मिट्टी के खिलौनों को
बिखर के फिर मिट्टी हो जाना है
खेलों जब तक है वज़ूद
आख़िर साँस के साथ सब खो जाना है
टूटे हुए खिलौनों पर शोक ना करो
तड़पते दिल को तुम थाम लो
सब्र से काम लो

यादें भी तब तलक
सीने में जान है जब तलक
उखड़ती सांसे संग चलेंगी यादें
इस जमीं से उस फलक
अब भी क्या दौड़ना, जिंदगी थोड़े न है
अब तो ठहर जाओ, अब तो आराम लो
सब्र से काम लो

✍️ सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

चेहरे पर जब भी मेरे, मुस्कान नहीं पाते है गैर तो गैर अपने भी मुझे, घमंडी बताते है दर्द दिल का सुनने न बैठे कोई ख़ुद अपनी भड़ास निकाल के, मुझपे इल्ज़ाम लगाते है उनसे अलग नहीं हूं मैं भी, हालात लगभग एक से है व्यस्त तो वो भी रहते है, पर मुझे ही व्यस्त बताते है हक है उनका मुझसे लड़ने का, कुछ भी कहने का इसलिए बिना सोचे कुछ भी कह बोल जाते है हक तो दिल में झांकने का भी है, फिर क्यों नहीं झांकते दिल में और मुझे समझ नहीं पाते है वे परेशान है अपनी जिंदगी से तो कौन खुश है यहाँ ये हकीक़त से मुह मोड़ना चाहते है ख़ुद ही सह रहे सारे ग़म है और उनके आगे सबके ग़म कम है, ये जताना चाहते है साथ चाहता हूं जिंदगी में सबका, तन्हा तो जाना ही है कुछ लोग लड़ना-झगड़ना और अकेला रहना चाहते है और मैं खुल के जीना चाहता हूं जिंदगी, सभी के संग और कुछ लोग हर दिन अकेले घुट कर मरना चाहते है ✍️ सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"

#surajkumarpraudhkalam #कविता #praudhkalam #Friendship #Loneliness  चेहरे पर जब भी मेरे, मुस्कान नहीं पाते है
गैर तो गैर अपने भी मुझे, घमंडी बताते है
दर्द दिल का सुनने न बैठे कोई
ख़ुद अपनी भड़ास निकाल के, मुझपे इल्ज़ाम लगाते है
उनसे अलग नहीं हूं मैं भी, हालात लगभग एक से है
व्यस्त तो वो भी रहते है, पर मुझे ही व्यस्त बताते है
हक है उनका मुझसे लड़ने का, कुछ भी कहने का
इसलिए बिना सोचे कुछ भी कह बोल जाते है
हक तो दिल में झांकने का भी है, फिर
क्यों नहीं झांकते दिल में और मुझे समझ नहीं पाते है
वे परेशान है अपनी जिंदगी से तो कौन खुश है यहाँ
ये हकीक़त से मुह मोड़ना चाहते है
ख़ुद ही सह रहे सारे ग़म है और
उनके आगे सबके ग़म कम है, ये जताना चाहते है
साथ चाहता हूं जिंदगी में सबका, तन्हा तो जाना ही है
कुछ लोग लड़ना-झगड़ना और अकेला रहना चाहते है
और मैं खुल के जीना चाहता हूं जिंदगी, सभी के संग
और कुछ लोग हर दिन अकेले घुट कर मरना चाहते है

✍️ सूरज कुमार "प्रौढ़ कलम"
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