Rooh

Rooh Lives in Delhi, Delhi, India

कफ़स में क़ैद तितली

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वो जानती थी... अक्टूबर उदासियों और बेचैनियों का महीना है। कैसे गर्मी हाथों से फिसल रहीं और सामने बर्फीली ठंड खड़ी है। हाँ, ठीक वैसे ही जैसे तुम मेरे गर्म हथेलियों से अपनी हथेलियों को धीरे-धीरे खींच रहे हो और मैं ख़ामोशी से तुम्हारी हर उँगलियों को फिसलते देख रहीं हूँ ख़ुद से अलग होते हुए। कितनी बेचैन है ये अक्टूबर... चाहती है कि आवाज लगाकर कर रोक ले साल को बीत जाने से लेकिन ऐसा हो पाया है क्या ? क्या कोई आवाज देने से रुक जाता है? कोई जाए ही क्यूँ जब रोकने पर रुक जाए। जाना तो हमेशा से तय होता है ना। रोकने मे असमर्थ होने की उदासी जीवनभर रहती है। जैसे कोई पारिजात रात के पहले पहर में खिली और तीसरे पहर खुद टूट कर गिर जाती है। टूटने से ठीक पहले का भय तोड़े जाने का होता है, शायद इसलिए खुद टूट जाना बेहतर लगता है। कभी हम कहानी का कोई एक हिस्सा नहीं बल्कि पूरी कहानी होते है जो वक्त बीतने के साथ महसूस करते है कि ये कहानी हमारी थी ही नहीं। हम बस पाठक थे जिसे मुख्य पात्र होने का भ्रम हो चला था। चाहे हथेलियों में यादों की कितनी ही गर्मी क्यूँ ना हो नवंबर बीतते सर्द हो ही जाते है और दिसम्बर बीमार कर ही देती है।

#aaina_rooh #yqquotes #yqhindi #October #yqbaba  वो जानती थी... अक्टूबर उदासियों और बेचैनियों का महीना है। कैसे गर्मी हाथों से फिसल रहीं और सामने बर्फीली ठंड खड़ी है। हाँ, ठीक वैसे ही जैसे तुम मेरे गर्म हथेलियों से अपनी हथेलियों को धीरे-धीरे खींच रहे हो और मैं ख़ामोशी से तुम्हारी हर उँगलियों को फिसलते देख रहीं हूँ ख़ुद से अलग होते हुए। कितनी बेचैन है ये अक्टूबर... चाहती है कि आवाज लगाकर कर रोक ले साल को बीत जाने से लेकिन ऐसा हो पाया है क्या ? क्या कोई आवाज देने से रुक जाता है? कोई जाए ही क्यूँ जब रोकने पर रुक जाए। जाना तो हमेशा से तय होता है ना। रोकने मे असमर्थ होने की उदासी जीवनभर रहती है। जैसे कोई पारिजात रात के पहले पहर में खिली और तीसरे पहर खुद टूट कर गिर जाती है। टूटने से ठीक पहले का भय तोड़े जाने का होता है, शायद इसलिए खुद टूट जाना बेहतर लगता है। 

कभी हम कहानी का कोई एक हिस्सा नहीं बल्कि पूरी कहानी होते है जो वक्त बीतने के साथ महसूस करते है कि ये कहानी हमारी थी ही नहीं। हम बस पाठक थे जिसे मुख्य पात्र होने का भ्रम हो चला था। 

चाहे हथेलियों में यादों की कितनी ही गर्मी क्यूँ ना हो नवंबर बीतते सर्द हो ही जाते है और दिसम्बर बीमार कर ही देती है।

अक्टूबर के महीने में प्रेम लौट आता है वापस लौटते बरसात में खूब भींगी हूँ उतार दिया है तुम्हारा पुराना दर्द खाली कर दिया है ख़ुद को तुम लौटना एक बार फिर से रात के तीसरे पहर में गिरना मुझपर पारिजात की तरह प्रेम के सफेद फूल बनकर तुम्हारे अलौकिक स्पर्श से मेरे देह की धरा महक उठेगी

#aaina_rooh #yqquotes #yqhindi #yqbaba #yqdidi  अक्टूबर के महीने में
प्रेम लौट आता है वापस

लौटते बरसात में खूब भींगी हूँ
उतार दिया है तुम्हारा पुराना दर्द
खाली कर दिया है ख़ुद को

तुम लौटना एक बार फिर से
रात के तीसरे पहर में 
गिरना मुझपर पारिजात की तरह 
प्रेम के सफेद फूल बनकर 
तुम्हारे अलौकिक स्पर्श से
मेरे देह की धरा महक उठेगी

पारिजात 🌸 #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqhindi #poetry #aaina_rooh #love #Night

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The moon who knows She is buried Inside the flesh Of a poetry.

#aaina_rooh #yqquotes #oneliner #yqbaba #yqdidi  The moon who knows
She is buried 
Inside the flesh 
Of a poetry.

गालियाँ सुन कर पेट भरने वाली औरतें सदैव भूखी रहती है प्रेम और सम्मान की

#collabwithrestzone #YourQuoteAndMine #rzpicprompt3850 #yqrestzone #restzone  गालियाँ सुन कर 
पेट भरने वाली औरतें
सदैव भूखी रहती है
प्रेम और सम्मान की

Hello Resties! ❤️ #rzpicprompt3850 #yqrestzone #restzone #collabwithrestzone #yqrz #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with Rest Zone

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जुही के फूल कैप्शन पढ़े

#aaina_rooh #yqquotes #yqhindi #yqbaba #yqdidi       जुही के फूल
          

      कैप्शन पढ़े

मेरे और तुम्हारे बीच ख़ामोशी की एक दीवार थी जिसपर हम अक्सर ख्यालों की कोई तस्वीर टांग दिया करते थे। मुझे कभी ये दीवार बोझिल नहीं लगी। ये दीवार हमारे दरमियाँ की खूबसूरत चुप्पियों की ईंट से बनी थी। मैं शायद ही कभी दीवार के उस पार झाँक कर तुम्हें देखने की कोशिश करती हूँ। पता नहीं क्यूँ लेकिन मुझे चुपचाप दीवार की ओट से लगकर बैठना और तुम्हारी ख़ामोशी सुनना पसंद है। मैं महसूस करती हूँ तुम्हारी हाथ की छुअन को जब उस पर तुम मेरा नाम लेकर कोई ईंट छूते हो। प्रेम कितना आसान है ना तुम्हारे साथ! मैं स्वतंत्र

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Sometimes I just want to scream hard and cry out loud so that my soul could hear the sound of emptiness and get up from bed, go far away. So far away that the scent of my past never ever lingers on my skin.

#aaina_rooh #yqquotes #yqbaba #yqdidi #SAD  Sometimes
 I just want to scream hard 
and cry out loud 
so that my soul could hear 
the sound of emptiness 
and get up from bed, 
go far away.  
So far away that 
the scent of my past 
never ever lingers 
on my skin.

Am I bloody escapist? #yqbaba #yqdidi #yqquotes #poetry #aaina_rooh #life #SAD #thoughts

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