Navin

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at student, story& poem's writer.

https://www.janbhaashahindi.com/2020/11/Ek-Shikshit-Nari-Natavar-Charpota.html

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*_─⊱⊱("डॉक्टर्स") गज़ल।⊰⊰─_* हर चोट खरोंच,बड़ी बीमारी को, वो चुटकियों में भगाते है। कोई छोटी बात,भले आधी रात हो, वो अपनों की जान बचाते है। कभी ख़ुद की परवाह किए बिना, वो प्राणों का रिस्क उठाते है। हम अरदास करते ईश्वर को सदा, वो ईश से पहले आ जाते है। जो प्राणियों की दुख पीड़ा को, चन्द दवाइयों से मिटाते है। जो यमदूत से आँख लड़ाते, हम उनको शीश झुकाते है। जो साथ खडे रहते सदा, उन"डॉक्टर्स"को आभार जताते है। ─⊱चarpota⊱(💞)⊰naवीn_⊰─ ©Navin

#डॉक्टर्स #डॉक्टर #MessageToTheWorld #Banswarabolg #deedaarealfa  *_─⊱⊱("डॉक्टर्स") गज़ल।⊰⊰─_*

हर चोट खरोंच,बड़ी बीमारी को,
वो चुटकियों में भगाते है।

कोई छोटी बात,भले आधी रात हो,
वो अपनों की जान बचाते है।

कभी ख़ुद की परवाह किए बिना,
वो प्राणों का रिस्क उठाते है।

हम अरदास करते ईश्वर को सदा,
वो ईश से पहले आ जाते है।

जो प्राणियों की दुख पीड़ा को,
चन्द दवाइयों से मिटाते है।

जो यमदूत से आँख लड़ाते,
हम उनको शीश झुकाते है।

जो साथ खडे रहते सदा,
उन"डॉक्टर्स"को आभार जताते है।

─⊱चarpota⊱(💞)⊰naवीn_⊰─

©Navin

*_─⊱⊱("डॉक्टर्स") गज़ल।⊰⊰─_* हर चोट खरोंच,बड़ी बीमारी को, वो चुटकियों में भगाते है। कोई छोटी बात,भले आधी रात हो, वो अपनों की जान बचाते है। कभी ख़ुद की परवाह किए बिना, वो प्राणों का रिस्क उठाते है। हम अरदास करते ईश्वर को सदा, वो ईश से पहले आ जाते है। जो प्राणियों की दुख पीड़ा को, चन्द दवाइयों से मिटाते है। जो यमदूत से आँख लड़ाते, हम उनको शीश झुकाते है। जो साथ खडे रहते सदा, उन"डॉक्टर्स"को आभार जताते है। ─⊱चarpota⊱(💞)⊰naवीn_⊰─ ©Navin

#डॉक्टर्स #डॉक्टर #MessageToTheWorld #Banswarabolg #deedaarealfa  *_─⊱⊱("डॉक्टर्स") गज़ल।⊰⊰─_*

हर चोट खरोंच,बड़ी बीमारी को,
वो चुटकियों में भगाते है।

कोई छोटी बात,भले आधी रात हो,
वो अपनों की जान बचाते है।

कभी ख़ुद की परवाह किए बिना,
वो प्राणों का रिस्क उठाते है।

हम अरदास करते ईश्वर को सदा,
वो ईश से पहले आ जाते है।

जो प्राणियों की दुख पीड़ा को,
चन्द दवाइयों से मिटाते है।

जो यमदूत से आँख लड़ाते,
हम उनको शीश झुकाते है।

जो साथ खडे रहते सदा,
उन"डॉक्टर्स"को आभार जताते है।

─⊱चarpota⊱(💞)⊰naवीn_⊰─

©Navin

शीर्षक - "आंगन की बारिश" बिना दान पुण्य कुछ नहीं होता, ये तो कर्मो की भरपाई हैं। गर्मी की अब तड़प मिटी है, जब बारिश आंगन आईं हैं। तृण तरु की प्यास भूजी है, कृषक की मुस्कान हर्षाई हैं। पपीहा दादुर भी बोल उठे, घनघोर मेघा जो छाई हैं। ताल तलैया हुए लबा लब, एक नई उम्मंग भर आई हैं। जो आस रखी थी ईश्वर से हमने, ये उसकी ही अगुवाई हैं। लोगो की अब आस जगी है, जब बारिश आंगन आईं हैं।। @charpota_natwar_👻 ©Navin

#deedaarealfa #Banswarablog #pustakratna #OneSeason  शीर्षक - "आंगन की बारिश"

बिना दान पुण्य कुछ नहीं होता,
ये तो कर्मो की भरपाई हैं।

गर्मी की अब तड़प मिटी है,
जब बारिश आंगन आईं हैं।

तृण तरु की प्यास भूजी है,
कृषक की मुस्कान हर्षाई हैं।

पपीहा दादुर भी बोल उठे,
घनघोर मेघा जो छाई हैं।

ताल तलैया हुए लबा लब,
एक नई उम्मंग भर आई हैं।

जो आस रखी थी ईश्वर से हमने,
ये उसकी ही अगुवाई हैं।

लोगो की अब आस जगी है,
जब बारिश आंगन आईं हैं।।

@charpota_natwar_👻

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डॉक्टर्स डे "गज़ल" रुकी हुई सांसों के, दो तार हो तुम, हर तत्कालीन घड़ी में, तत्पर तैयार हो तुम।। जिनको परिवार ने छोड़ा था कोरोना काल में, उन कवारांटेन मरीजों के, भगवान् हो तुम।। दया, प्रेम, कर्म से सदा, अपनों के पास हो तुम, जीने की हिम्मत हारेे लोगों की, एक सच्ची अरदास हो तुम।। किसी की आस तो, किसी के हीरों हो तुम, आधी जिंदगी देश हित गवाई, आधी अपनों में जी रहे हो तुम।। अंधकार भरे बुरे वक्त में, निरंतर जलते चिराग हो तुम, पुण्य कार्यों में जान गवाई, जैसे ख़ुदा की जान हो तुम।। @charpota_navin_🪢 ©Navin

#डॉक्टर्स_डे #deedaarealfa #pustakratna  डॉक्टर्स डे "गज़ल"

रुकी हुई सांसों के,
दो तार हो तुम,
हर तत्कालीन घड़ी में,
तत्पर तैयार हो तुम।।

जिनको परिवार ने छोड़ा था
कोरोना काल में,
उन कवारांटेन मरीजों के, 
भगवान् हो तुम।।

दया, प्रेम, कर्म से सदा,
अपनों के पास हो तुम,
जीने की हिम्मत हारेे लोगों की,
एक सच्ची अरदास हो तुम।।

किसी की आस तो,
किसी के हीरों हो तुम,
आधी जिंदगी देश हित गवाई,
आधी अपनों में जी रहे हो तुम।।

अंधकार भरे बुरे वक्त में,
निरंतर जलते चिराग हो तुम,
पुण्य कार्यों में जान गवाई,
जैसे ख़ुदा की जान हो तुम।।

@charpota_navin_🪢

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शीर्षक - एक पिता ।। गज़ल। सुबह काम को जाते, संध्या को लौट कर आते, अपना दुःख दर्द, पिताजी हमें न बताते? घर में पहले भोजन, सबको है करवाते, सदा हक की खाते, थोड़ा हमको भी सिखाते। अपना दुःख दर्द, बापू हमसे है छिपाते? झट-पट टी वी बंद कर, हम भी तो छीप जाते, जब पापा लौट के आते, हम सब पढ़ने लग जाते। दबंग आवाज़ में बापू, कभी तो फटकार लगाते, सदा हस्ते रहते, हम सबको ख़ूब हसाते। अपने सपनों को जलाके, बापू घर हे चलाते, उनके संघर्षों की गाथा, कभी हमें भी सुनाते। कोमलता ह्रदय में, बाहर सक्ती दिखाते, प्रातः काज को जाते, संध्या को लौट कर आते। हम बच्चे पिता को, इतना कहा समझ पाते, भले पर्स हो खाली, बापू उधार भी ले आते। हमारी हर फर्माइश को, पिता झट से पूरा कर जाते, डाट फटकार ही सही, पर बापू मुझको है भाते। सुबह काम को जाते, संध्या को लौट कर आते, अपना दुःख दर्द बापू, हमसे क्यों है छीपाते??? @_charpota_natwar_ ©Navin

#deedaarealfa #pustakratna #FathersDay #paper  शीर्षक - एक पिता ।। गज़ल।

सुबह काम को जाते,
संध्या को लौट कर आते,
अपना दुःख दर्द,
पिताजी हमें न बताते?

घर में पहले भोजन,
सबको है करवाते,
सदा हक की खाते,
थोड़ा हमको भी सिखाते।

अपना दुःख दर्द,
बापू हमसे है छिपाते?

झट-पट टी वी बंद कर,
हम भी तो छीप जाते,
जब पापा लौट के आते,
हम सब पढ़ने लग जाते।

दबंग आवाज़ में बापू,
कभी तो फटकार लगाते,
सदा हस्ते रहते,
हम सबको ख़ूब हसाते।

अपने सपनों को जलाके,
बापू घर हे चलाते,
उनके संघर्षों की गाथा,
कभी हमें भी सुनाते।

कोमलता ह्रदय में,
बाहर सक्ती दिखाते,
प्रातः काज को जाते,
संध्या को लौट कर आते।

हम बच्चे पिता को,
इतना कहा समझ पाते,
भले पर्स हो खाली,
बापू उधार भी ले आते।

हमारी हर फर्माइश को,
पिता झट से पूरा कर जाते,
डाट फटकार ही सही,
पर बापू मुझको है भाते।

सुबह काम को जाते,
संध्या को लौट कर आते,
अपना दुःख दर्द बापू,
हमसे क्यों है छीपाते???

@_charpota_natwar_

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"गुडमॉर्निंग_" सुबह सुबह सूरज को, सलाम करते है। गुडमॉर्निंग के पैगाम से, तुम्हे भी याद करते है। जो अधूरे काम बाकी है, बीते कल के। उन्हें पुरा करने का चलों, लक्ष्य अपने नाम करते है। परिंडो में पानी,पंछियों को, आजाद करते है। आज भी इंसानों में,इंसानियत है, जीवों को आभास कराते है। जो आज तक बेजुबां है प्राणी, चलों उन्हें भी,अन्नग्रास कराते है। सुबह सुबह सूरज को, दिल से सलाम करते है। हम भी यारों,वर्तमान में जीने का, चलो थोड़ा प्रयास करते है। आज हाथ पकड़ना भले, न हो मुमकिन कदा। दूरियों से ही रिश्ते निभाने की, चलों कुछ बात करते है। दवाएं और दुआये कभी, नाकाम नहीं होती यारों, लोगों को समझने,समझाने का, छोटा सा प्रयत्न करते है। सुबह सुबह सूरज को, सलाम करते है। @_charpota_navin_ ©Navin

#good_morning #deedaarealfa #Banswarablog #pustakratna #RAMADAAN  "गुडमॉर्निंग_"

सुबह सुबह सूरज को,
सलाम करते है।

गुडमॉर्निंग के पैगाम से,
तुम्हे भी याद करते है।

जो अधूरे काम बाकी है,
बीते कल के।

उन्हें पुरा करने का चलों,
लक्ष्य अपने नाम करते है।

परिंडो में पानी,पंछियों को,
आजाद करते है।

आज भी इंसानों में,इंसानियत है,
जीवों को आभास कराते है।

जो आज तक बेजुबां है प्राणी,
चलों उन्हें भी,अन्नग्रास कराते है।

सुबह सुबह सूरज को,
दिल से सलाम करते है।

हम भी यारों,वर्तमान में जीने का,
चलो थोड़ा प्रयास करते है।

आज हाथ पकड़ना भले,
न हो मुमकिन कदा।

दूरियों से ही रिश्ते निभाने की,
चलों कुछ बात करते है।

दवाएं और दुआये कभी,
नाकाम नहीं होती यारों,

लोगों को समझने,समझाने का,
छोटा सा प्रयत्न करते है।

सुबह सुबह सूरज को,
सलाम करते है।

@_charpota_navin_

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