Nainesh Patwa

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मैं कलयुग का पितामह हूं, मेरे सामने ना अत्याचार कर पाओगे अब अगर में चुप रहा गया , तुम फिर से चीर हरण दोहराओगे, तुम्हारे इन्हीं अत्याचारों से फिर आर्यावर्त को हिलाओगे आर्यावर्त की स्वेत ओट को कलंकित कर जाओगे। धृतराष्ट्र की इस भरी सभा में अब ना कोई लज्जित होगा कलयुग के इन कौरावो के लिए , अब ना पांडव को आना होगा कृष्ना को बुलाना नहीं अब कल्कि अवतार लाना है द्रौपदी को अब इस कलयुग में शेरनी बन दिखलाना होगा अपनों के हीं रक्त बहेंगे, इसका ना किसी को खेद था, दो भाईयों के मध्य महाभारत का वो भीषण युद्ध था| कपट कर छिना सबकुछ उसने, पर तनिक भी ना पछताया था, शांति के हर मार्ग को ठुकरा, युद्ध मात्र हीं एक मार्ग बतलाया था| युद्ध का शंख बज चुका था, पर दुर्योधन अब भी कहाँ सन्तुष्ट था, जब तक शवों से धरती पट ना जाए, युद्ध को कहाँ वो रोकने वाला था| धर्म युद्ध है सोच सभी ये,लड़ने को तैयार हुए, बदले की भावना ऐसी कि देवता भी शर्मसार हुए। मुरलीधर के रहते भी,सबने अपनी मनमानी की, इंसानियत की हत्या करके,सबकी आँख बेपानी थी। वीरों से भरी रणभूमि थी, उसमें कपट की राजनीति थी, युद्ध में सभी विद्वान थे, पर नियम उल्लघंन के सब प्रतिभाग थे| एक बालक वीर को घेर घेर सबने कायरता से मारा था, उस दिन नीति ताख चढ़ी,स्वयं युद्ध भी उस दिन हारा था| मानव को सीख सिखाने को,कान्हा दुनिया को दिखलाये, सत्ता है कितनी लोभी जो अपनों के खून ही करवाये| वो कान्हा का दिखलाया दृश्य ,शायद प्रासंगिक आज भी है, बच जाओ इस महाभारत से,बोले मुरलीधर हमें आज भी है। ©Nainesh Patwa

#नोजॉटोहिंदी #आधुनिक_समाज #आधुनिकता #महाभारत #नोजोटो  मैं कलयुग का पितामह हूं, मेरे सामने ना अत्याचार कर पाओगे
अब अगर में चुप रहा गया , तुम फिर से चीर हरण दोहराओगे,
तुम्हारे इन्हीं अत्याचारों से फिर आर्यावर्त को हिलाओगे 
आर्यावर्त की स्वेत ओट को कलंकित कर जाओगे।
धृतराष्ट्र की इस भरी सभा में अब ना कोई लज्जित होगा
कलयुग के इन कौरावो के लिए , अब ना पांडव को आना होगा
कृष्ना को बुलाना नहीं अब कल्कि अवतार लाना है
द्रौपदी को अब इस कलयुग में शेरनी बन दिखलाना होगा
अपनों के हीं रक्त बहेंगे, इसका ना किसी को खेद था, 
दो भाईयों के मध्य महाभारत का वो भीषण युद्ध था|
कपट कर छिना सबकुछ उसने, पर तनिक भी ना पछताया था,                     
शांति के हर मार्ग को ठुकरा, युद्ध मात्र हीं एक मार्ग बतलाया था|
युद्ध का शंख बज चुका था, पर दुर्योधन अब भी कहाँ सन्तुष्ट था, 
जब तक शवों से धरती पट ना जाए, युद्ध को कहाँ वो रोकने वाला था|
धर्म युद्ध है सोच सभी ये,लड़ने को तैयार हुए,
बदले की भावना ऐसी कि देवता भी शर्मसार हुए।
मुरलीधर के रहते भी,सबने अपनी मनमानी की,
इंसानियत की हत्या करके,सबकी आँख बेपानी थी। 
वीरों से भरी रणभूमि थी, उसमें कपट की राजनीति थी,
युद्ध में सभी विद्वान थे, पर नियम उल्लघंन के सब प्रतिभाग थे|
एक बालक वीर को घेर घेर सबने कायरता से मारा था,
उस दिन नीति ताख चढ़ी,स्वयं युद्ध भी उस दिन हारा था|
मानव को सीख सिखाने को,कान्हा दुनिया को दिखलाये,
सत्ता है कितनी लोभी जो अपनों के खून ही करवाये|
वो कान्हा का दिखलाया दृश्य ,शायद प्रासंगिक आज भी है,
बच जाओ इस महाभारत से,बोले मुरलीधर हमें आज भी है।

©Nainesh Patwa

*💞 उम्र का मोड़, * *कोई भी हो... *बस धड़कनो में, * *"नशा" ज़िंदगी जीने का होना चाहिए!!! *💞 ©Nainesh Patwa

#lifrstory #L♥️ve #Jindagi  *💞 उम्र का मोड़, * 
*कोई भी हो...  
*बस धड़कनो में, * 
*"नशा" ज़िंदगी जीने का होना चाहिए!!! *💞

©Nainesh Patwa
#Life_experience #kahanikaar

#kahanikaar

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#krishna_flute #Emotional #Feeling #story

आज की बारीश... दो दिन की बारीश है, और बादल भी गरजता नहीं क्या मौसम आया है यारों, दिल भी संभलता नहीं दो दिन की बारिश है यार अब प्यार में मत पड़ हसीन मौसम ही कुछ ऐसा ये दिल समझता नहीं किसी वक्त में इस बारिश से दिल बहुत नाचता था बारीश में शायद मिलावट है,जो दिल मचलता नहीं सोचा बारीश का मौसम है, सब कुछ बिक जायेगा मगर दिल भी ऐसे टुटा है किसी जगह बिकता नहीं इस मौसम से हमें फायदा भी कुछ ऐसे हुआ है बारिश से आँखों के आंसू किसी को दिखता नहीं कैसा भी हो मौसम, पर इस शायर को लिखना है मगर कागज पे पानी गिरा अब शेर भी टिकता नहीं

#feelinglove #rainpoem #raining #memory #poem  आज की बारीश... 

दो दिन की बारीश है, और बादल भी गरजता नहीं
क्या मौसम आया है यारों, दिल भी संभलता नहीं

दो दिन की बारिश है यार अब प्यार में मत पड़ 
हसीन मौसम ही कुछ ऐसा ये दिल समझता नहीं

किसी वक्त में इस बारिश से दिल बहुत नाचता था 
बारीश में शायद मिलावट है,जो दिल मचलता नहीं

सोचा बारीश का मौसम है, सब कुछ बिक जायेगा
मगर दिल भी ऐसे टुटा है किसी जगह बिकता नहीं

इस मौसम से हमें फायदा भी कुछ ऐसे हुआ है 
बारिश से आँखों के आंसू किसी को दिखता नहीं

कैसा भी हो मौसम, पर इस शायर को लिखना है 
मगर कागज पे पानी गिरा अब शेर भी टिकता नहीं

माँ तुम कितना भी रूठ हो यह खफा नहीं होगी तुम कितना भी रूठ हो या खफा नहीं होगी यह मां की ममता है दोस्तों कभी बेवफा नहीं होगी

#माँ #Talk  माँ तुम कितना भी रूठ हो यह खफा नहीं होगी तुम कितना भी रूठ हो या खफा नहीं होगी यह मां की ममता है दोस्तों कभी बेवफा नहीं होगी

#माँ

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