preetdas dewal

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पथिक

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जब एक अरसा भर बीत जाएगा तब शायद तुम्हें आज का पल याद आएगा इन दिनों तो तुम्हें मेरी घड़ी भर भी फिक्र नहीं मुझे मालूम है.... एक रोज जरूर ये अहसास जब घड़ी की टिक टिक और ख़ामोशी मेरे स्मरण की गूँज तुम तक पहुंचाएगी ©preetdas dewal

#कविता #LostInSky  जब एक अरसा भर बीत जाएगा 
तब शायद तुम्हें आज का पल याद आएगा
इन दिनों तो तुम्हें मेरी घड़ी भर भी फिक्र नहीं
मुझे मालूम है....
एक रोज जरूर ये अहसास जब
घड़ी की टिक टिक और ख़ामोशी
मेरे स्मरण की गूँज
तुम तक पहुंचाएगी

©preetdas dewal

#LostInSky

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ये अंतिम बार लिख रहा हूं.....समझ लो, दूर से जो कीचड़ दिख रहा हूं...समझ लो, फ़र्क नहीं पड़ेगा मुझे मालूम है तुम्हें अब मैं कमल सा खिल रहा हूँ....समझ लो, आज,कल और कल के बाद का दिन भी गुज़र जाएगा, कड़वा सच है हर वक्त के बाद कोई नया तुम्हें भा जाएगा....समझ लो, पर भीतर की उलझन से कैसे संवाद करोगे आईने के सामने तुम ख़ुद से कैसे बात करोगे ये अंतिम बार लिख रहा हूँ.......समझ लो, मैंने ख़ुद को खुली किताब सा दिखाया तुम्हें फिर भी न जाने क्यूँ फ़रेब सा नज़र आया तुम्हें समझ लो... जिस जिस ने भी मुझे देखा अपने सवाल मुझ पे दागे दुनियां के ऐसे रुख़ से ही हमने उनसे फ़ासले बना डाले।। ये अंतिम बार लिख रहा हूं.....समझ लो।। ©preetdas dewal

#कविता #kavita  ये अंतिम बार लिख रहा हूं.....समझ लो,
दूर से जो कीचड़ दिख रहा हूं...समझ लो,
फ़र्क नहीं पड़ेगा मुझे मालूम है तुम्हें
अब मैं कमल सा खिल रहा हूँ....समझ लो,
आज,कल और कल के बाद का 
दिन भी गुज़र जाएगा,
कड़वा सच है हर वक्त के बाद 
कोई नया तुम्हें भा जाएगा....समझ लो,
पर भीतर की उलझन से कैसे संवाद करोगे
आईने के सामने तुम ख़ुद से कैसे बात करोगे
ये अंतिम बार लिख रहा हूँ.......समझ लो,
मैंने ख़ुद को खुली किताब सा दिखाया तुम्हें
फिर भी न जाने क्यूँ फ़रेब सा नज़र आया तुम्हें
समझ लो...
जिस जिस ने भी मुझे देखा अपने सवाल मुझ पे दागे
दुनियां के ऐसे रुख़ से ही हमने उनसे फ़ासले बना डाले।।
ये अंतिम बार लिख रहा हूं.....समझ लो।।

©preetdas dewal

#kavita

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इस गंदगी में पनप रहा हूँ दुनिया को बारीकी से परख रहा हूँ ©preetdas dewal

#कविता  इस गंदगी में पनप रहा हूँ
 दुनिया को बारीकी से परख रहा हूँ

©preetdas dewal

इस गंदगी में पनप रहा हूँ दुनिया को बारीकी से परख रहा हूँ ©preetdas dewal

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ऐसा क्या लिखूं जो तुझे अच्छा तो लगे ख़ुद को तोड़ के बताऊँ या ख़ुद को जोड़ के बताऊं जो तुझे अच्छा तो लगे ख़ुद को हार के बताऊँ या ख़ुद को जीत के बताऊँ जो तुझे अच्छा तो लगे ख़ुद को डूब के बताऊँ या ख़ुद को तैर के बताऊँ जो तुझे अच्छा तो लगे ख़ुद को पूरा सा लिखूं या ख़ुद को अधूरा सा लिखूं जो तुझे अच्छा तो लगे.......... ©preetdas dewal

#कविता #AWritersStory  ऐसा क्या लिखूं 
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को तोड़ के बताऊँ
या ख़ुद को जोड़ के बताऊं
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को हार के बताऊँ
या ख़ुद को जीत के बताऊँ
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को डूब के बताऊँ
या ख़ुद को तैर के बताऊँ
जो तुझे अच्छा तो लगे
ख़ुद को पूरा सा लिखूं
या ख़ुद को अधूरा सा लिखूं
जो तुझे अच्छा तो लगे..........

©preetdas dewal

माहवारी प्रकृति ने जिस तरह तुम्हें पिरोया है वो गर्व है तुम्हारा नारी... किंचित ये खेद होता है तुम्हें जब असहाय सी लगती हो तुम पुरुष से.... पर मन को वेग दो नारी तुम सदैव आगे रहोगी पुरुष से माहवारी की शंका को अभिशाप न समझ ये निश्चित ही तुम्हारा प्राण है.... इसे निराधार न समझ जगत के चलन को जो आगे बढ़ाए वो ही आधार हो तुम! नारी तुम ही प्राण हो जीवन का ©preetdas dewal

#कविता #feelings  माहवारी


प्रकृति ने जिस तरह तुम्हें पिरोया है
वो गर्व है तुम्हारा नारी...
किंचित ये खेद होता है तुम्हें जब असहाय सी लगती
हो तुम पुरुष से....
पर मन को वेग दो नारी
तुम सदैव आगे रहोगी पुरुष से
माहवारी की शंका को अभिशाप न समझ
ये निश्चित ही तुम्हारा प्राण है....
इसे निराधार न समझ
जगत के चलन को जो आगे बढ़ाए
वो ही आधार हो तुम!
नारी तुम ही प्राण हो जीवन का

©preetdas dewal

#feelings

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स्त्रियों की चाह में पुरुष उन्हें जीतने के लिए आये, शुरुआत उनके दिल से होगी क्रमशः फिर पुरुष उन्हें परिवार से जीत लें समाज से जीत लें.. और ये अतिरंजना न होगी कि अंतिम सांस में स्त्रियां पुरुष से पहले ही मौत को जीत लेगी। ©preetdas dewal

#विचार #dusk  स्त्रियों की चाह में पुरुष उन्हें
जीतने के लिए आये,
शुरुआत उनके दिल से होगी
क्रमशः फिर पुरुष उन्हें परिवार से जीत लें
समाज से जीत लें..
और ये अतिरंजना न होगी कि अंतिम सांस में
स्त्रियां पुरुष से पहले ही मौत को जीत लेगी।

©preetdas dewal

#dusk

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