Kavita Bhardwaj

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your life does not get better by chance.. It gets better by a change... live young#liv happily#innovative#quotes#lv to do incredible things#poetry lover♥️📝

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ये भीड़ मुझे बेगानी लगती है.. पांव धंसे मिट्टी में जैसे, धुंधली सी.. अपनी कहानी लगती है.. ना छुपी, ना कभी जाहिर हुई एक कमी पापा!! इस ज़माने की खुद्दारी मुझे हमेशा ठगती है.. सच लगता था सब जब साथ तुम्हारा था, इस शोर में अब भी कोई आहट जानी पहचानी लगती है.. वो छाया में रहना तुम्हारी मुझे सदा भाता था ये फरेबी दुनिया प्रासंगिक इसकी कहानी लगती है.. जो पाया ना जा सके फिर से उसे पाने की चाह सदा जहन में ये मेरी नादानी सी लगती है ये भीड़.. मुझे बेगानी लगती है जकड़ी बेड़ियों में भ्रमित सी.. अनकही कहानी लगती है। ©Kavita Bhardwaj

 ये भीड़
मुझे बेगानी लगती है..
पांव धंसे मिट्टी में जैसे,
धुंधली सी..
अपनी कहानी लगती है..

ना छुपी, 
ना कभी जाहिर हुई
एक कमी पापा!!
इस ज़माने की खुद्दारी मुझे हमेशा ठगती है..

सच लगता था सब
जब साथ तुम्हारा था,
इस शोर में अब भी कोई आहट 
जानी पहचानी लगती है..

वो छाया में रहना तुम्हारी
मुझे सदा भाता था
ये फरेबी दुनिया
प्रासंगिक इसकी कहानी लगती है..

जो पाया ना जा सके फिर से
उसे पाने की चाह सदा जहन में 
ये मेरी नादानी सी लगती है
ये भीड़..
मुझे बेगानी लगती है
जकड़ी बेड़ियों में
भ्रमित सी..
अनकही कहानी लगती है।

©Kavita Bhardwaj

ये भीड़ मुझे बेगानी लगती है.. पांव धंसे मिट्टी में जैसे, धुंधली सी.. अपनी कहानी लगती है.. ना छुपी, ना कभी जाहिर हुई एक कमी पापा!! इस ज़माने की खुद्दारी मुझे हमेशा ठगती है.. सच लगता था सब जब साथ तुम्हारा था, इस शोर में अब भी कोई आहट जानी पहचानी लगती है.. वो छाया में रहना तुम्हारी मुझे सदा भाता था ये फरेबी दुनिया प्रासंगिक इसकी कहानी लगती है.. जो पाया ना जा सके फिर से उसे पाने की चाह सदा जहन में ये मेरी नादानी सी लगती है ये भीड़.. मुझे बेगानी लगती है जकड़ी बेड़ियों में भ्रमित सी.. अनकही कहानी लगती है। ©Kavita Bhardwaj

11 Love

रूह तेरी का इकरारनामा आज यहां,कल का नहीं ठिकाना छोड़ गईं बेनाम जागीरें अफजल कर सूनी दीवारें.. ऐसा भी क्या फरमान हुआ, जो तलख तेरा नाम हुआ कोरे कागज़ की कीमत सा किया तेरा हर काम हुआ ना गवारा हमें तेरा यूं चले जाना कैसा ये खालिक बेरहम आसमान हुआ। ©Kavita Bhardwaj

#Quotes  रूह तेरी का इकरारनामा
आज यहां,कल का नहीं ठिकाना
छोड़ गईं बेनाम जागीरें
अफजल कर सूनी दीवारें..
ऐसा भी क्या फरमान हुआ,
जो तलख तेरा नाम हुआ
कोरे कागज़ की कीमत सा
किया तेरा हर काम हुआ
ना गवारा हमें तेरा यूं चले जाना
कैसा ये खालिक बेरहम आसमान हुआ।

©Kavita Bhardwaj

रूह तेरी का इकरारनामा आज यहां,कल का नहीं ठिकाना छोड़ गईं बेनाम जागीरें अफजल कर सूनी दीवारें.. ऐसा भी क्या फरमान हुआ, जो तलख तेरा नाम हुआ कोरे कागज़ की कीमत सा किया तेरा हर काम हुआ ना गवारा हमें तेरा यूं चले जाना कैसा ये खालिक बेरहम आसमान हुआ। ©Kavita Bhardwaj

10 Love

लहजे में मेरे अगर तुम ढल नहीं पाए साथ रहकर भी मुझमें मिल नहीं पाए.. सब किताबें वफा की धरी रह गईं, सारे किस्से भी सुने सुनाए बंजर जमी को आस थी जिसकी कुछ पल सुकून के थे बिताए.. आज हाशिए पर खड़े भ्रमित निहार रहे खुद को लुटाए.. सिर्फ दो घूंट प्यास के लिए ना जाने कितने जख्म खाए.. सब बढ़ते रहे निरंतर विजय बेला में.. खड़े अकेले हम अपना सब कुछ लुटाए। ©Kavita Bhardwaj

#अकेले  लहजे में मेरे अगर तुम ढल नहीं पाए
  साथ रहकर भी मुझमें मिल नहीं पाए..

सब किताबें वफा की धरी रह गईं,
सारे किस्से भी सुने सुनाए

बंजर जमी को आस थी जिसकी
कुछ पल सुकून के थे बिताए..

आज हाशिए पर खड़े भ्रमित 
निहार रहे खुद को लुटाए..

सिर्फ दो घूंट प्यास के लिए
ना जाने कितने जख्म खाए..

सब बढ़ते रहे निरंतर विजय बेला में..
खड़े अकेले हम अपना सब कुछ लुटाए।

©Kavita Bhardwaj

#Thoughts#अकेले हम

9 Love

स्वभाव से नर्म जो हैं बहुत कुछ लिए चलते हैं जहन में अपने.. ©Kavita Bhardwaj

#dawnn  स्वभाव से नर्म जो हैं
बहुत कुछ लिए चलते हैं जहन में अपने..

©Kavita Bhardwaj

#dawnn

14 Love

इन खुदगर्ज निगाहों की फितरत.. ये खुशी कम,दर्द ज्यादा बयां करती हैं। ©Kavita Bhardwaj

#निगाहें👀  इन खुदगर्ज निगाहों की फितरत..
ये खुशी कम,दर्द ज्यादा बयां करती हैं।

©Kavita Bhardwaj

ना कोई साथ ना ज़िन्दगी से हम खफा हैं करे कोई ज़ुल्म.. फिर हमें ये किस बात की सजा है। ©Kavita Bhardwaj

#निजोटोहिंदी #नोजोटोशायरी #writing  ना कोई साथ
ना ज़िन्दगी से हम खफा हैं
करे कोई ज़ुल्म..
फिर हमें ये किस बात की सजा है।

©Kavita Bhardwaj
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