सरिता पन्थी

सरिता पन्थी

करुण पुकार करता रहा ह्रदय मेरा बारम्बार गहन वेदना में डूबा और उतरा लेकर दर्द हजार

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काँटों से जिन फूलों की हिफाज़त की थी आज उन्ही फूलों को चुभते हैं हम अगर यही ज़िन्दगी है तो ग़लत ज़िन्दगी है ©सरिता पन्थी

#विचार  काँटों से जिन फूलों की हिफाज़त की थी
आज उन्ही फूलों को चुभते हैं हम

अगर यही ज़िन्दगी है तो ग़लत ज़िन्दगी है

©सरिता पन्थी

काँटों से जिन फूलों की हिफाज़त की थी आज उन्ही फूलों को चुभते हैं हम अगर यही ज़िन्दगी है तो ग़लत ज़िन्दगी है ©सरिता पन्थी

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#बात #calm

वो, फिर कभी नही आई #calm

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कुँए की रस्सी किस्मत ने जोड़ दिया था मुझे कठोर ह्रदय पत्थर के साथ मैं एक मामूली सी रस्सी क्या ही तो थी औकात मेरी दंभ में चूर वो देता रहा चोट मुझे नियति बन गयी मेरी चोट सहना निरंतर चलती रही मैं अपने पथ पर कर्म को ही जीवन मानकर मौन रहकर भी मैंने दिखा दिया विद्रोह अपना रंग लायी एक दिन मेहनत मेरी और सफल हो गयी मै पत्थर पर अपनी छाप छोड़ने में मैं एक मामूली सी रस्सी..!!

#BoneFire  कुँए की रस्सी
किस्मत ने जोड़ दिया था मुझे 
कठोर ह्रदय पत्थर के साथ 
मैं एक मामूली सी रस्सी 
क्या ही तो थी औकात मेरी 

दंभ में चूर वो देता रहा चोट मुझे 
नियति बन गयी मेरी चोट सहना 
निरंतर चलती रही मैं अपने पथ पर
कर्म को ही जीवन मानकर 

मौन रहकर भी मैंने 
दिखा दिया विद्रोह अपना  
रंग लायी एक दिन मेहनत मेरी 
और सफल हो गयी मै
पत्थर पर अपनी छाप छोड़ने में
मैं एक मामूली सी रस्सी..!!

#BoneFire

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#krishna_flute

वक़्त के साथ सब बदलता है रोज़ अपना ही साया छलता है और कब तक सम्हाल के रक्खूँ आजकल दिल बड़ा मचलता है सरिता पन्थी

 वक़्त के साथ सब बदलता है
रोज़ अपना ही साया छलता है

और कब तक सम्हाल के रक्खूँ
आजकल दिल बड़ा मचलता है

सरिता पन्थी

वक़्त के साथ सब बदलता है रोज़ अपना ही साया छलता है और कब तक सम्हाल के रक्खूँ आजकल दिल बड़ा मचलता है सरिता पन्थी

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तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं सोते हैं फिर उठते हैं फिर, उठकर फिर सो जाते हैं टीवी और मोबाइल दोनों, साथ साथ रखते खोले बीवी बोले काम कोई तो, बन जाते बिलकुल भोले फोन की हर घंटी पर आँखें, नज़र रहे हर मैसेज पर पास में बीवी बैठी हो तो, फोन से भी घबराते हैं तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं बातों के ये जाल बिछायें, इक नंबर के ये झूठे घर को अपने देखें ऐसे, जैसे जंगल से छूटे इस कमरे से उस कमरे तक, कितना सफर करें दिनभर चार लगाकर चक्कर अंदर, फिर अंदर रह जाते हैं तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं गुटखा, पान, तम्बाकू को तड़पे हैं भीतर ही भीतर गुजर रहे हैं दिन अब इनके, ठंडे पानी को पीकर खाना सोना, खाना सोना, काम बचे हैं अब दो ही चाय पकौड़े प्लेट सजा दो, खुश होकर बतियाते हैं तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं

#shootingstars  तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं 
सोते हैं फिर उठते हैं फिर, उठकर फिर सो जाते हैं 

टीवी और मोबाइल दोनों, साथ साथ रखते खोले 
बीवी बोले काम कोई तो, बन जाते बिलकुल भोले 
फोन की हर घंटी पर आँखें, नज़र रहे हर मैसेज पर
पास में बीवी बैठी हो तो, फोन से भी घबराते हैं 
तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं 

बातों के ये जाल बिछायें, इक नंबर के ये झूठे 
घर को अपने देखें ऐसे, जैसे जंगल से छूटे
इस कमरे से उस कमरे तक, कितना सफर करें दिनभर 
चार लगाकर चक्कर अंदर, फिर अंदर रह जाते हैं 
तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं 

गुटखा, पान, तम्बाकू को तड़पे हैं भीतर ही भीतर 
गुजर रहे हैं दिन अब इनके, ठंडे पानी को पीकर 
खाना सोना, खाना सोना, काम बचे हैं अब दो ही 
चाय पकौड़े प्लेट सजा दो, खुश होकर बतियाते हैं 
तुम्ही बताओ लोग कहाँ अब, बाहर जाने पाते हैं
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