अब हो गया पूर्ण विश्वास,
यहाँ ना कोई अपना खास।
स्वार्थी-ढोंगी यहाँ हजार,
सबका है अपना प्रयास।
कथनी-करनी में फर्क बहुत है,
चाहे कितने हों दिल के पास।
धड़कते दिल में रहता,
हरदम हैवानियत का वास।
'सुमन' चिंता मत कर तू ,
ये दुनियां है बकवास।
©pawan kumar suman
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