kavi ashish prakash

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शायरी, ज़िन्दगी, मोहब्बत बस और क्या

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#mohabbat #Dhokha #jawan
#Ittefak #WoNazar #Dhokha  गया था छोड़ के जो दिल पे चाक वो भी था
न था हसीन मगर इत्तेफ़ाक वो भी था

मुझे कहा था तुमने साथ उम्र भर का है
सभी वादों की तरह एक ख़ाक वो भी था

©kavi ashish prakash

चश्मा बापू का न पहनो पर एक नज़रिया रखना तुम दिल में सबके लिए ही करुणा का एक दरिया रखना तुम आशीष प्रकाश ©kavi ashish prakash

#gandhijayanti  चश्मा बापू का न पहनो पर एक नज़रिया रखना तुम
दिल में सबके लिए ही करुणा का एक दरिया रखना तुम

आशीष प्रकाश

©kavi ashish prakash

Har Dil Me Ek Tiranga hai

Har Dil Me Ek Tiranga hai

Sunday, 30 May | 09:00 pm

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कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं लोग अब खुद का जनाजा ढो रहे हैं कत्ल के इलाजाम से होके बरी वो खून की छींटे बदन से धो रहे हैं ओ किले के बादशाह हथियार भेजो जंग में योद्धा भी संयम खो रहे हैं हर कोई आंसू नहीं छलकाता खुल के पर सभी कोना पकड़ के रो रहे हैं शोर सुन के मातमों का बोला प्यादा दूर हो जा के शहंशाह सो रहे हैं हम अंधेरों को यहां जो लाए चुन के अब चिताओं से उजाले हो रहे हैं आशीष प्रकाश © ©kavi ashish prakash

#covidindia  कैसे कैसे यार मंजर हो रहे हैं
लोग अब खुद का जनाजा ढो रहे हैं

कत्ल के इलाजाम से होके बरी वो
खून की छींटे बदन से धो रहे हैं

ओ किले के बादशाह हथियार भेजो
जंग में योद्धा भी संयम खो रहे हैं

हर कोई आंसू नहीं छलकाता खुल के
पर सभी कोना पकड़ के रो रहे हैं

शोर सुन के मातमों का बोला प्यादा
दूर हो जा के शहंशाह सो रहे हैं

हम अंधेरों को यहां जो लाए  चुन के
अब चिताओं से उजाले हो रहे हैं

आशीष प्रकाश ©

©kavi ashish prakash

मांगो दुआएं आज हिंदुस्तान के लिए आदम न जाए कोई भी शमशान के लिए चुभता बहुत है अपनो का जाना यूं बेसबब इससे बड़ा न ज़ख्म है इंसान के लिए आंसू या चीख एक ही जैसे निकलते हैं एक जैसे हैं ये हिंदू मुसलमान के लिए सांसों को सांस अब मिले ये मर्ज हो फना करना दुआएं ये ही सबकी जान के लिए कुछ तो रहम हो अब यहां बंदे है तेरे सब मुश्किल है ये भी क्या खुदा भगवान के लिए? आशीष प्रकाश© ©kavi ashish prakash

#Corona_Lockdown_Rush  मांगो दुआएं आज हिंदुस्तान के लिए
आदम न जाए कोई भी शमशान के लिए

चुभता बहुत है अपनो का जाना यूं बेसबब
इससे बड़ा न ज़ख्म है इंसान के लिए

आंसू या चीख एक ही जैसे निकलते हैं
एक जैसे हैं ये हिंदू मुसलमान के लिए

सांसों को सांस अब मिले ये मर्ज हो फना
करना दुआएं ये ही सबकी जान के लिए

कुछ तो रहम हो अब यहां बंदे है तेरे सब
मुश्किल है ये भी क्या खुदा भगवान के लिए?

आशीष प्रकाश©

©kavi ashish prakash
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