Urvisha Parmar

Urvisha Parmar

naturally introvert, selectively extrovert

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#Aurat_teri_yhi_kahani #womanempowerment #aurat_ki_chuppi #faminism #violin
#unforgattablefriendship #unforgetablememories  unforgettable friendship

युँ अचानक दोस्ती में बेरुख़ी किस बात की है? जिसका हमें सही अंदाजा भी नहीं, मुझे हेरानी ईस बात कि हैं कि मे ईतनी निराश क्यों थी, क्योंकि तुम्हारे अनुसार तो मुझे तुमसे कोई आश ही क्यों थी! सब कुछ तुमने अपने मन का किया ना! आखिर दोस्ती मे मुझे हरा दिया ना! जब दोस्ती करनी ही नहीं थी, तो दोस्ती की चाह ही क्यों दी? अब तो दोस्ती बुरी लगती हैं बुराई से ज्यादा। तुम्हारी वजह से डर लगता है हर एक दोस्त से, कई उम्मीद ना लग जाए एक और दोस्त से। दील से कहु तो मुझे दोस्ती करनी ही नहीं चाहिए थी, मे बनी ही नहीं दोस्ती क रिश्ते के लिए। मैं तो दोस्ती के पीछे कभी थी ही नहीं, अब देखो, दोस्ती के आगे मुझे कुछ दीखता ही नही। ©Urvisha Parmar

#अनचाही_दोस्तीकी_शुरुआत4 #friends  युँ अचानक दोस्ती में बेरुख़ी किस बात की है?
जिसका हमें सही अंदाजा भी नहीं,
मुझे हेरानी ईस बात कि हैं कि मे ईतनी निराश क्यों थी,
क्योंकि तुम्हारे अनुसार तो मुझे तुमसे कोई आश ही क्यों थी!
सब कुछ तुमने अपने मन का किया ना!
आखिर दोस्ती मे मुझे हरा दिया ना!
जब दोस्ती करनी ही नहीं थी,
तो दोस्ती की चाह ही क्यों दी?
अब तो दोस्ती बुरी लगती हैं बुराई से ज्यादा।
तुम्हारी वजह से डर लगता है हर एक दोस्त से,
कई उम्मीद ना लग जाए एक और दोस्त से।
दील से कहु तो मुझे दोस्ती करनी ही नहीं चाहिए थी,
मे बनी ही नहीं दोस्ती क रिश्ते के लिए।
मैं तो दोस्ती के पीछे कभी थी ही नहीं,
अब देखो, दोस्ती के आगे मुझे कुछ दीखता ही नही।

©Urvisha Parmar

पर आखिर मे जब हम दोनों के बीच के इस रिश्ते को मेने पक्की यारी के नाम से अपनाया, तो तुमने ईस रिश्ते को बहोत कम अहमियत से तराशा? तुम्हें याद दीलाए तो वो तुम ही थी, तुमने ही मुझे दोस्ती कि अहमियत समझाई थी, तो क्यों तुम ही उस अहमियत कि राह से अनजान हो गई, शायद तुम दोस्ती की अहमियत से अनजान नहीं, सीर्फ हमारी दोस्ती कि अहमियत तुमसे नजरअंदाज हैं। ©Urvisha Parmar

#अनचाही_दोस्तीकी_शुरुआत3 #friends  पर आखिर मे जब हम दोनों के बीच के इस रिश्ते को मेने पक्की यारी के नाम से अपनाया,
तो तुमने ईस रिश्ते को बहोत कम अहमियत से तराशा?
तुम्हें याद दीलाए तो वो तुम ही थी, तुमने ही मुझे दोस्ती कि अहमियत समझाई थी,
तो क्यों तुम ही उस अहमियत कि राह से अनजान हो गई,
शायद तुम दोस्ती की अहमियत से अनजान नहीं, 
सीर्फ हमारी दोस्ती कि अहमियत तुमसे नजरअंदाज हैं।

©Urvisha Parmar

हम मीले, घुले, बैठे और झगडे भी,फिर जो किसी ने नहीं सोचा वो होने लगा, मे तो कभी दोस्ती के रीश्ते मे मानती ही नहीं थी, परिवार आगे कोई और रिश्ता जानती ही नहीं थी, पर अपनेआप ही दोस्ती के सफर मे बढऩे लगी था। अब तो तुम्हारे किस्स सुनने कि मुझे आदत सी हो गई थी, तूम्हारी हर मूश्केली को अपनी परेशानी बना लेना मेरी जिद्द ही बन गई थी। ©Urvisha Parmar

#अनचाही_दोस्ती_कि_शुरुआत2 #friends  हम मीले, घुले, बैठे और झगडे भी,फिर जो किसी ने नहीं सोचा वो होने लगा,
मे तो कभी दोस्ती के रीश्ते मे मानती ही नहीं थी,
परिवार आगे कोई और रिश्ता जानती ही नहीं थी,
पर अपनेआप ही दोस्ती के सफर मे बढऩे लगी था।
अब तो तुम्हारे किस्स सुनने कि मुझे आदत सी हो गई थी,
तूम्हारी हर मूश्केली को अपनी परेशानी बना लेना मेरी जिद्द ही बन गई थी।

©Urvisha Parmar

मैं तो दोस्ती कभी चाहती ही नहीं थी, दुसरो कि दोस्ती से मुझे कुछ महसुस भी नहीं होता था, तुमने ही सारी शुरुआत कि, तुमने ही दोस्ती की उम्मीदें दी। मे तो सोचती भी नहीं थी किसीसे दोस्ती का,बस लोगों ने ही हमारी दोस्ती हैं कि चर्चा शुरू की,फिर अपनेआप हमारी दोस्ती की डोर बंधती गई, हमने दोस्ती कि तो इस बार कोशिश भी नहीं कि। ©Urvisha Parmar

#अनचाही_दोस्तीकी_शुरुआत_1 #friends  मैं तो दोस्ती कभी चाहती ही नहीं थी,
दुसरो कि दोस्ती से मुझे कुछ महसुस भी नहीं होता था,
तुमने ही सारी शुरुआत कि, तुमने ही दोस्ती की उम्मीदें दी।
मे तो सोचती भी नहीं थी किसीसे दोस्ती का,बस लोगों ने ही हमारी दोस्ती हैं कि चर्चा शुरू की,फिर अपनेआप हमारी दोस्ती की डोर बंधती गई, हमने दोस्ती कि तो इस बार कोशिश भी नहीं कि।

©Urvisha Parmar
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