Abhishek Choudhary Sanskrit

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मेरे द्वारा रचित कविताएँ एवं शायरीयाँ।।

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White अहङ्कारो न कर्तव्य:, स्वधनस्य बलस्य वा। यतो हि कालचक्रन्तु, तीव्रगत्यात्र घूर्णति।। सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️ अर्थात-समय का चक्र बहुत तेज चलता है इसलिए ना तो अपने बल का अहंकार करें और ना ही अपने धन‌ का। ©Abhishek Choudhary Sanskrit

#love_shayari #Quotes  White अहङ्कारो न कर्तव्य:,
स्वधनस्य बलस्य वा।
यतो हि कालचक्रन्तु,
तीव्रगत्यात्र घूर्णति।।

सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)✍️

अर्थात-समय का चक्र बहुत तेज चलता है इसलिए ना तो अपने बल का अहंकार करें और ना ही अपने धन‌ का।

©Abhishek Choudhary Sanskrit

#love_shayari

12 Love

प्रात: दन्तधावनङ्कृत्वा, स्वजनकञ्जननीञ्च नत्वा। ततश्च भगवत्भजनङ्गीत्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। प्रात: दांतों की सफाई करके(Brush) अपने माता-पिता को नमन करके भगवान का भजन गाकर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। पौष्टिकमल्पाहारं भुक्त्वा, विद्यालयाय सज्जो भूत्वा। समये विद्यालयम् आप्त्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। पौष्टिक अल्पाहार करके विद्यालय हेतु तैयार होकर समय से विद्यालय पहुंच कर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए । सन्ध्याकाले क्रीडित्वा, दूरदर्शनमीक्षित्वा। अग्रजैस्सह वार्ताङ्कृत्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। सायंकाल में खेल-कूद करके दूरदर्शन देखकर बड़ों के साथ वार्तालाप करके तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। कवि:- अभिषेककुमार ©Abhishek Choudhary Sanskrit

#Books  प्रात: दन्तधावनङ्कृत्वा, 
स्वजनकञ्जननीञ्च नत्वा।
ततश्च भगवत्भजनङ्गीत्वा,
मनसा कार्यम् अध्ययनम्।।

प्रात: दांतों की सफाई करके(Brush) अपने माता-पिता को नमन करके भगवान का भजन गाकर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए।

पौष्टिकमल्पाहारं भुक्त्वा,
विद्यालयाय सज्जो भूत्वा।
समये विद्यालयम् आप्त्वा,
मनसा कार्यम् अध्ययनम्।।

पौष्टिक अल्पाहार करके विद्यालय हेतु तैयार होकर समय से विद्यालय पहुंच कर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए ।
 
सन्ध्याकाले क्रीडित्वा,
दूरदर्शनमीक्षित्वा।
अग्रजैस्सह वार्ताङ्कृत्वा,
मनसा कार्यम् अध्ययनम्।।

सायंकाल में खेल-कूद करके दूरदर्शन देखकर बड़ों के साथ वार्तालाप करके तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए।

कवि:- अभिषेककुमार

©Abhishek Choudhary Sanskrit

#Books

14 Love

 प्रात: दन्तधावनङ्कृत्वा, 
स्वजनकञ्जननीञ्च नत्वा।
ततश्च भगवत्भजनङ्गीत्वा,
मनसा कार्यम् अध्ययनम्।।

प्रात: दांतों की सफाई करके(Brush) अपने माता-पिता को नमन करके भगवान का भजन गाकर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए।

पौष्टिकमल्पाहारं भुक्त्वा,
विद्यालयाय सज्जो भूत्वा।
समये विद्यालयम् आप्त्वा,
मनसा कार्यम् अध्ययनम्।।

पौष्टिक अल्पाहार करके विद्यालय हेतु तैयार होकर समय से विद्यालय पहुंच कर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए ।
 
सन्ध्याकाले क्रीडित्वा,
दूरदर्शनमीक्षित्वा।
अग्रजैस्सह वार्ताङ्कृत्वा,
मनसा कार्यम् अध्ययनम्।।

सायंकाल में खेल-कूद करके दूरदर्शन देखकर बड़ों के साथ वार्तालाप करके तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए।

कवि:- अभिषेककुमार

©Abhishek Choudhary Sanskrit

प्रात: दन्तधावनङ्कृत्वा, स्वजनकञ्जननीञ्च नत्वा। ततश्च भगवत्भजनङ्गीत्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। प्रात: दांतों की सफाई करके(Brush) अपने माता-पिता को नमन करके भगवान का भजन गाकर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। पौष्टिकमल्पाहारं भुक्त्वा, विद्यालयाय सज्जो भूत्वा। समये विद्यालयम् आप्त्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। पौष्टिक अल्पाहार करके विद्यालय हेतु तैयार होकर समय से विद्यालय पहुंच कर तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए । सन्ध्याकाले क्रीडित्वा, दूरदर्शनमीक्षित्वा। अग्रजैस्सह वार्ताङ्कृत्वा, मनसा कार्यम् अध्ययनम्।। सायंकाल में खेल-कूद करके दूरदर्शन देखकर बड़ों के साथ वार्तालाप करके तत्पश्चात् मन लगाकर अध्ययन करना चाहिए। कवि:- अभिषेककुमार ©Abhishek Choudhary Sanskrit

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मन्दं मन्दं पवनस्सरति, अस्या भूम्यास्तापं हरति। मेघो वर्षति सिंहो गर्जति, मयूरनृत्यं मनो हर्षति।। हवा मन्द गति से बह रही है और इस धरा के ताप को शोषित कर रही है मेघ बरस रहा है, सिंह गरज रहा है और मयूर का नृत्य सभी के मनों को आह्लादित कर रहा है । शनै: शनै: मण्डूक: कूर्दति, कृषक: क्षेत्रे बीजं वपति। कूपो भरति जन्तुश्चरति, बालो नद्यां हर्षेण तरति।। मेंढ़क धीरे धीरे कूर्दन कर रहा है,किसान खेत में बीज बो रहे हैं वर्षा के द्वारा कुआं भरा जा रहा है पशु चर रहे हैं और बच्चे प्रमुदित होकर नदी में तैर रहे हैं। पक्षी कूजति पिको गायति, दृश्योऽयन्निश्चयो विभाति। बाल: क्षिप्रं भवनं याति, ग्वालो धेनुङ्गेहन्नयति।। पक्षी कूजन में तल्लीन है कोयल गायन में संरत है बच्चे शीघ्रातिशीघ्र गृहप्रस्थान कर रहे हैं, ग्वाला भी गाय को लेकर वासस्थल पर जा रहा है अहो यह दृश्य निश्चित ही सबके मनों को हरने वाली है। कवि:-अभिषेककुमार:✍️✍️ ©Abhishek Choudhary Sanskrit

#lightning  मन्दं मन्दं पवनस्सरति,
अस्या भूम्यास्तापं हरति।
मेघो वर्षति सिंहो गर्जति,
मयूरनृत्यं मनो हर्षति।।

हवा मन्द गति से बह रही है और इस धरा के ताप को शोषित कर रही है मेघ बरस रहा है, सिंह गरज रहा है और मयूर का नृत्य सभी के मनों को आह्लादित कर रहा है ।

शनै: शनै: मण्डूक: कूर्दति,
कृषक: क्षेत्रे बीजं वपति।
कूपो भरति जन्तुश्चरति,
बालो नद्यां हर्षेण तरति।।

मेंढ़क धीरे धीरे कूर्दन कर रहा है,किसान खेत में बीज बो रहे हैं 
वर्षा के द्वारा कुआं भरा जा रहा है पशु चर रहे हैं और बच्चे प्रमुदित होकर नदी में तैर रहे हैं।

पक्षी कूजति पिको गायति,
दृश्योऽयन्निश्चयो विभाति।
बाल: क्षिप्रं भवनं याति,
ग्वालो धेनुङ्गेहन्नयति।।

पक्षी कूजन में तल्लीन है कोयल गायन में संरत है बच्चे शीघ्रातिशीघ्र गृहप्रस्थान कर रहे हैं, ग्वाला भी गाय को लेकर वासस्थल पर जा रहा है 
अहो यह दृश्य निश्चित ही सबके मनों को हरने वाली है।

कवि:-अभिषेककुमार:✍️✍️

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#lightning

14 Love

केचन क्लिष्टसंस्कृतम् उक्त्वा स्वपाण्डित्यं दर्शयन्ति किन्तु तेषां भाषां यदि कश्चन अवगन्तुम् एव न शक्नोति तर्हि तया भाषया को लाभ:? 🤔🤔 भाषा सरला स्यात् येन सर्वे भावग्रहणं कर्तुम् अर्हन्ति। ©Abhishek Choudhary Sanskrit

#Quotes #we  केचन क्लिष्टसंस्कृतम् उक्त्वा स्वपाण्डित्यं दर्शयन्ति किन्तु तेषां भाषां यदि कश्चन अवगन्तुम् एव न शक्नोति तर्हि तया भाषया को लाभ:? 🤔🤔

भाषा सरला स्यात् येन सर्वे भावग्रहणं कर्तुम् अर्हन्ति।

©Abhishek Choudhary Sanskrit

#we

9 Love

Red sands and spectacular sandstone rock formations (मेरे द्वारा रचित श्लोक उपजाति छन्द में)✍️ स्वन्दर्शणीयो बधिरस्य तुल्य:, यदीष्टमार्गे ननु यातुकाम:। प्रायो जनानामिह टिप्पणीभ्य:, विनिष्टमाना भविताऽऽत्मशक्ति:।। सृष्टो मया-(अभिषेककोश:) अर्थात- जीवन में आगे बढ़ना है तो बहरे हो जाओ क्योंकि अधिकतर लोगों की बातें मनोबल गिराने वाली होती है। ©Abhishek Choudhary Sanskrit

#Quotes #Sands  Red sands and spectacular sandstone rock formations (मेरे द्वारा रचित श्लोक उपजाति छन्द में)✍️

स्वन्दर्शणीयो बधिरस्य तुल्य:,
यदीष्टमार्गे ननु यातुकाम:।
प्रायो जनानामिह टिप्पणीभ्य:,
विनिष्टमाना भविताऽऽत्मशक्ति:।।

सृष्टो मया-(अभिषेककोश:)

अर्थात- जीवन में आगे बढ़ना है तो बहरे हो जाओ क्योंकि अधिकतर लोगों की बातें मनोबल गिराने वाली होती है।

©Abhishek Choudhary Sanskrit

#Sands

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