SHAYAR BAAZ

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Takhallus = BAAZ PHILOSOPHER MOHAMMED SHAHBAZ KHAN

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Fakat tu hai mujh me Sanam ab, kar du hasti fana apni tere kadam me ab kha'la e khamoshi smjhe v kaise log shorgul sb, jo tanz krte hain ki baaz tu jeeta hai bharam me ab katre ka dariya me tum ne dekha nhi milan jb, Qalb o seena ka, kaise kroge tawaf e haram tb - mohammed shah-baaz

 Fakat tu hai mujh me Sanam ab, kar du hasti fana apni tere kadam me ab 

kha'la e khamoshi smjhe v kaise log shorgul sb,
jo tanz krte hain ki baaz tu jeeta hai bharam me ab 

katre ka dariya me tum ne dekha nhi milan  jb, 
Qalb o seena ka, kaise kroge tawaf e haram tb 



- mohammed shah-baaz

Fakat tu hai mujh me Sanam ab, kar du hasti fana apni tere kadam me ab kha'la e khamoshi smjhe v kaise log shorgul sb, jo tanz krte hain ki baaz tu jeeta hai bharam me ab katre ka dariya me tum ne dekha nhi milan jb, Qalb o seena ka, kaise kroge tawaf e haram tb - mohammed shah-baaz

8 Love

बातें ही बने क्या अब यंहा, जे बाकि रहा 'मैं' दरमियाँ हिजाब के, आखिर है क्या ये "तू" और "मैं", जो छुपा है ये नकाब से ! कौन "तू" कौन "मैं", ये बला आन पड़ा, या रब दिल्लगी कैसा है ये जज़्बात से ! मौजूद नहीं कोई सिवा तेरे यंहा, जो कुछ भी है सिर्फ तू और तेरी जात से ! नैन सोती रही गहरी नींद यंहा, और मैं जागे जा रहा हुँ मुद्दतों रात से ! -मोहम्मद शाहबाज़

 बातें ही बने क्या अब यंहा, जे बाकि रहा 'मैं' दरमियाँ हिजाब के, 

आखिर है क्या ये "तू" और "मैं", जो छुपा है ये नकाब से !

कौन "तू" कौन "मैं", ये बला आन पड़ा, या रब दिल्लगी कैसा है ये जज़्बात से !

मौजूद नहीं कोई सिवा तेरे यंहा, जो कुछ भी है सिर्फ तू और तेरी जात से !

नैन सोती रही गहरी नींद यंहा, और मैं जागे जा रहा हुँ मुद्दतों रात से ! 

    -मोहम्मद शाहबाज़

बातें ही बने क्या अब यंहा, जे बाकि रहा 'मैं' दरमियाँ हिजाब के, आखिर है क्या ये "तू" और "मैं", जो छुपा है ये नकाब से ! कौन "तू" कौन "मैं", ये बला आन पड़ा, या रब दिल्लगी कैसा है ये जज़्बात से ! मौजूद नहीं कोई सिवा तेरे यंहा, जो कुछ भी है सिर्फ तू और तेरी जात से ! नैन सोती रही गहरी नींद यंहा, और मैं जागे जा रहा हुँ मुद्दतों रात से ! -मोहम्मद शाहबाज़

13 Love

जिसे सजाया था कभी, अब मायूस है यहाँ गुलिस्तां, आती नहीं क्यों अब तितलियाँ ओ बागबाँ, सोचा ना था होगा कभी ये सूरत-ए-हाल यहाँ, ज़मीन ओ आसमां और ज़र्रा ज़र्रा है फ़ुग़ाँ, कौन सा ये दौर है, कैसा है ये ज़माना, मिलता हू "बाज़" खुद से ऐसे, तन्हाई सज़ा है कैसा ओ दिल-ए-बयाबाँ -मोहम्मद शाह बाज़

 जिसे सजाया था कभी, अब मायूस है यहाँ गुलिस्तां, आती नहीं क्यों अब तितलियाँ ओ बागबाँ, 

सोचा ना था होगा कभी ये सूरत-ए-हाल यहाँ, 
ज़मीन ओ आसमां और ज़र्रा ज़र्रा है फ़ुग़ाँ, 

कौन सा ये दौर है, कैसा है ये ज़माना, 
मिलता हू "बाज़" खुद से ऐसे, तन्हाई सज़ा है कैसा ओ दिल-ए-बयाबाँ 


-मोहम्मद शाह बाज़

जिसे सजाया था कभी, अब मायूस है यहाँ गुलिस्तां, आती नहीं क्यों अब तितलियाँ ओ बागबाँ, सोचा ना था होगा कभी ये सूरत-ए-हाल यहाँ, ज़मीन ओ आसमां और ज़र्रा ज़र्रा है फ़ुग़ाँ, कौन सा ये दौर है, कैसा है ये ज़माना, मिलता हू "बाज़" खुद से ऐसे, तन्हाई सज़ा है कैसा ओ दिल-ए-बयाबाँ -मोहम्मद शाह बाज़

10 Love

कायनात और इंसान की हक़ीक़त सूफ़ी की नज़र ए करम से हिदायत ए हक़, खुदा का हर पल एहसान !!! #मोहम्मद शाहबाज़

#मोहम्मद  कायनात और इंसान की हक़ीक़त 

सूफ़ी की नज़र ए करम से हिदायत ए हक़, खुदा का हर पल एहसान !!! 


#मोहम्मद शाहबाज़

कायनात और इंसान की हक़ीक़त सूफ़ी की नज़र ए करम से हिदायत ए हक़, खुदा का हर पल एहसान !!! #मोहम्मद शाहबाज़

10 Love

kaash ye tasbeeh hatho se chutt jaye, aur ban kr tasbeeh ye dhadkan uth jaye, "baaz" ibadat howe soote hue bhi, kaash ye lataif-e-Qalb iss tarah jutt jaye -mohammad shahbaz

 kaash ye tasbeeh hatho se chutt jaye, aur 
ban kr tasbeeh ye dhadkan uth jaye,
 
"baaz"

ibadat howe soote hue bhi, 
kaash ye lataif-e-Qalb iss tarah jutt jaye 







-mohammad shahbaz

kaash ye tasbeeh hatho se chutt jaye, aur ban kr tasbeeh ye dhadkan uth jaye, "baaz" ibadat howe soote hue bhi, kaash ye lataif-e-Qalb iss tarah jutt jaye -mohammad shahbaz

14 Love

यार एक खता मैंने ज़ार-ओ-कतार किया, यार तुझको क्यों इतना प्यार किया !! तुझको मुझसे हो गया इश्क़, यार ये ग़ुमान मैंने बार बार किया !! =mohammad shahbaz

 यार एक खता मैंने ज़ार-ओ-कतार किया, 
यार तुझको क्यों इतना प्यार किया !!

तुझको मुझसे हो गया इश्क़, 
यार ये ग़ुमान मैंने बार बार किया !! 



=mohammad shahbaz

यार एक खता मैंने ज़ार-ओ-कतार किया, यार तुझको क्यों इतना प्यार किया !! तुझको मुझसे हो गया इश्क़, यार ये ग़ुमान मैंने बार बार किया !! =mohammad shahbaz

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