Fakat tu hai mujh me Sanam ab, kar du hasti fana apni tere kadam me ab
kha'la e khamoshi smjhe v kaise log shorgul sb,
jo tanz krte hain ki baaz tu jeeta hai bharam me ab
katre ka dariya me tum ne dekha nhi milan jb,
Qalb o seena ka, kaise kroge tawaf e haram tb
- mohammed shah-baaz
Fakat tu hai mujh me Sanam ab, kar du hasti fana apni tere kadam me ab
kha'la e khamoshi smjhe v kaise log shorgul sb,
jo tanz krte hain ki baaz tu jeeta hai bharam me ab
katre ka dariya me tum ne dekha nhi milan jb,
Qalb o seena ka, kaise kroge tawaf e haram tb
- mohammed shah-baaz
8 Love
बातें ही बने क्या अब यंहा, जे बाकि रहा 'मैं' दरमियाँ हिजाब के,
आखिर है क्या ये "तू" और "मैं", जो छुपा है ये नकाब से !
कौन "तू" कौन "मैं", ये बला आन पड़ा, या रब दिल्लगी कैसा है ये जज़्बात से !
मौजूद नहीं कोई सिवा तेरे यंहा, जो कुछ भी है सिर्फ तू और तेरी जात से !
नैन सोती रही गहरी नींद यंहा, और मैं जागे जा रहा हुँ मुद्दतों रात से !
-मोहम्मद शाहबाज़
बातें ही बने क्या अब यंहा, जे बाकि रहा 'मैं' दरमियाँ हिजाब के,
आखिर है क्या ये "तू" और "मैं", जो छुपा है ये नकाब से !
कौन "तू" कौन "मैं", ये बला आन पड़ा, या रब दिल्लगी कैसा है ये जज़्बात से !
मौजूद नहीं कोई सिवा तेरे यंहा, जो कुछ भी है सिर्फ तू और तेरी जात से !
नैन सोती रही गहरी नींद यंहा, और मैं जागे जा रहा हुँ मुद्दतों रात से !
-मोहम्मद शाहबाज़
13 Love
जिसे सजाया था कभी, अब मायूस है यहाँ गुलिस्तां, आती नहीं क्यों अब तितलियाँ ओ बागबाँ,
सोचा ना था होगा कभी ये सूरत-ए-हाल यहाँ,
ज़मीन ओ आसमां और ज़र्रा ज़र्रा है फ़ुग़ाँ,
कौन सा ये दौर है, कैसा है ये ज़माना,
मिलता हू "बाज़" खुद से ऐसे, तन्हाई सज़ा है कैसा ओ दिल-ए-बयाबाँ
-मोहम्मद शाह बाज़
जिसे सजाया था कभी, अब मायूस है यहाँ गुलिस्तां, आती नहीं क्यों अब तितलियाँ ओ बागबाँ,
सोचा ना था होगा कभी ये सूरत-ए-हाल यहाँ,
ज़मीन ओ आसमां और ज़र्रा ज़र्रा है फ़ुग़ाँ,
कौन सा ये दौर है, कैसा है ये ज़माना,
मिलता हू "बाज़" खुद से ऐसे, तन्हाई सज़ा है कैसा ओ दिल-ए-बयाबाँ
-मोहम्मद शाह बाज़
10 Love
कायनात और इंसान की हक़ीक़त
सूफ़ी की नज़र ए करम से हिदायत ए हक़, खुदा का हर पल एहसान !!!
#मोहम्मद शाहबाज़
कायनात और इंसान की हक़ीक़त
सूफ़ी की नज़र ए करम से हिदायत ए हक़, खुदा का हर पल एहसान !!!
#मोहम्मद शाहबाज़
10 Love
kaash ye tasbeeh hatho se chutt jaye, aur
ban kr tasbeeh ye dhadkan uth jaye,
"baaz"
ibadat howe soote hue bhi,
kaash ye lataif-e-Qalb iss tarah jutt jaye
-mohammad shahbaz
kaash ye tasbeeh hatho se chutt jaye, aur
ban kr tasbeeh ye dhadkan uth jaye,
"baaz"
ibadat howe soote hue bhi,
kaash ye lataif-e-Qalb iss tarah jutt jaye
-mohammad shahbaz
14 Love
यार एक खता मैंने ज़ार-ओ-कतार किया,
यार तुझको क्यों इतना प्यार किया !!
तुझको मुझसे हो गया इश्क़,
यार ये ग़ुमान मैंने बार बार किया !!
=mohammad shahbaz
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