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Winner Announcement of #whycensored presents Alfaaz Open Mic on Nojoto App.. #Nojoto #nojotonews best 3 Entries are Shreya Dhapola Dev Aanart Jha Videos will be posted soon..

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OPE has startedN MIC

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Open Mic has started send your Entry using #whycensored , winner gets E-certificate & chance to Host Next online Open Mic #nojoto #nojotonews #onlineopenmic

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whycensored presents Alfaaz, Open Mic on Nojoto App #nojoto #nojotonews #nojotoapp #whycensored to participate post your video tomorrow that is 18th April using hashtag whycensored & winner will get chance to feature and host Next open mic by whycensored on Nojoto app

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whycensored Open Mic

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तुम क्या हो मेरी, यह मुझे इल्म नहीं, कुछ तो हो जरूरी, अब बस यही समझ मुझे आता है। वीराने के उस अकेले खड़े पेड़ की तरह, हर दफा भीड़ में भी साफ नजर आती हो तुम मुझे, गर्मी की दोपहर में उस एक बादल की तरह, सुकून दे जाती हो तुम मुझे। बचपन में लगी उस पहली चोट की तरह, जेहन में हर दम बसी रहती हो तुम, घर पर बोले उस पहले झूट पर लगी पीटाई की तरह , याद मुझे रहती हो तुम, Part 2 Anshul

 तुम क्या हो मेरी, यह मुझे इल्म नहीं, कुछ तो हो जरूरी, अब बस यही समझ मुझे आता है। वीराने के उस अकेले खड़े पेड़ की तरह,
हर दफा भीड़ में भी साफ नजर आती हो तुम मुझे, गर्मी की दोपहर में उस एक  बादल की तरह,
सुकून दे जाती हो तुम मुझे। बचपन में लगी उस पहली चोट की तरह,
जेहन में हर दम बसी रहती हो तुम,
घर पर बोले उस पहले झूट पर लगी पीटाई की तरह ,
याद मुझे रहती हो तुम,

Part 2
Anshul

तुम क्या हो मेरी, यह मुझे इल्म नहीं, कुछ तो हो जरूरी, अब बस यही समझ मुझे आता है। वीराने के उस अकेले खड़े पेड़ की तरह, हर दफा भीड़ में भी साफ नजर आती हो तुम मुझे, गर्मी की दोपहर में उस एक बादल की तरह, सुकून दे जाती हो तुम मुझे। बचपन में लगी उस पहली चोट की तरह, जेहन में हर दम बसी रहती हो तुम, घर पर बोले उस पहले झूट पर लगी पीटाई की तरह , याद मुझे रहती हो तुम, Part 2 Anshul

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तुम क्या हो मेरी, यह मुझे इल्म नहीं, कुछ तो हो जरूरी, अब बस यही समझ मुझे आता है। सुबह हो,इस रात की, या छाव हो,इस धूप की, कहीं उन सुनसान राहों के उन पेड़ों की तरह तो नहीं तुम। बारिश हो शायद, तुम अप्रेल की, या दिसंबर की हो धूप तुम, कहीं फरवरी के उस छोटे से हसीन महीने की तरह तो नहीं तुम। part 1 Anshul

#Quote  तुम क्या हो मेरी, यह मुझे इल्म नहीं, कुछ तो हो जरूरी, अब बस यही समझ मुझे आता है। सुबह हो,इस रात की, या छाव हो,इस धूप की, कहीं उन सुनसान राहों के उन पेड़ों की तरह तो नहीं तुम।

बारिश हो शायद,
तुम अप्रेल की, या दिसंबर की हो धूप तुम,
कहीं फरवरी के उस छोटे से हसीन महीने की तरह तो नहीं तुम।


part 1
Anshul

तुम क्या हो मेरी, यह मुझे इल्म नहीं, कुछ तो हो जरूरी, अब बस यही समझ मुझे आता है। सुबह हो,इस रात की, या छाव हो,इस धूप की, कहीं उन सुनसान राहों के उन पेड़ों की तरह तो नहीं तुम। बारिश हो शायद, तुम अप्रेल की, या दिसंबर की हो धूप तुम, कहीं फरवरी के उस छोटे से हसीन महीने की तरह तो नहीं तुम। part 1 Anshul

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