Abhishek Bhardwaj ✍अभि ✍

Abhishek Bhardwaj ✍अभि ✍ Lives in Patna, Bihar, India

मुझे लिखने का शौक नहीं बस दिल ज़ख्मों से और अलमारी किताबों से भरे पड़े है writer - ✍अभि ✍ कवि गुरु कुमार विश्वास ❤ fb - Abhishek bhardwaj insta - abhishek .2. abhi

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फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये... आईना भी फ़िदा हो न जाए कहीँ सामने आईने के आप नहीं जाइये... फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये... हम है दिवाने सच्चे करेंगे यकीन चाहे झूठे कसम रोज़ ही खाइये... फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये... दिन है सावन के और हम है, प्यासे बहुत चाहने वाले को यूँ न तरसाये... फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये फूल रस्मों को खातिर नहीं लाइये... जा उठे पत्थरों में धड़कन जवाँ आ के छम से यूँ, दिलों पर छा जाइये... फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये...

 फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये 
फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये... 

आईना भी फ़िदा हो न जाए कहीँ 
 सामने आईने के आप नहीं जाइये... 
फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये 
फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये... 

हम है दिवाने सच्चे करेंगे यकीन 
चाहे झूठे कसम रोज़ ही खाइये... 
फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये 
फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये... 

दिन है सावन के और हम है, प्यासे बहुत 
चाहने वाले को यूँ न तरसाये... 
फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये 
फूल रस्मों को खातिर नहीं लाइये... 

जा उठे पत्थरों में धड़कन जवाँ
आ के छम से यूँ, दिलों पर छा जाइये...
फूल खिल जाएंगे, बस आप आ जाइये 
फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये...

🌹 ग़ज़ल 🌹 फूल रस्मों की खातिर नहीं लाइये फूल खिल जाएंगे बस आप आ जाइये.... (कॉमेंट में आप सभी अपना review दे youtube पर इसके videos avilable है satyam anandjee के आवाज में)

11 Love

पूरे जहाँ में मशहूर थी बस हमारी ही यारी कुछ बेवड़े, हरामी, कमीनों की है ये कहानी कोई अगर किसी को कुछ भी बोल दे तो ये छे लोग पड जाते थे सब पे बहुत भारी पांच रुपए की चाय के पैसे देने के लिए भी एक दूसरे से करते थे बहुत ही मनमानी याद आती है मुझे बिना हेलमेट की वो हमारी सुनसान सड़को पे ट्रिपल सवारी वैसे तो हम बहुत बड़े खानदान से थे मगर रास्तों में घूमते थे जैसे हो मवाली दोस्ती में एक दूसरे के नाम भी बढ़िया थे कोई किसी की ग़ज़ल थी तो कोई शायरी खाने के लिए हम दो जगह ही जाते थे ढोकले की दुकान और पानीपूरी की लारी क्या बताऊँ की कैसी थी हमारी ये यारी गालियों से भरपूर और बे-मतलब वाली हमने सबकी नाक में दम कर रखा था बाहर से शरीफ और अंदर से धमाली पूरे जहाँ में मशहूर थी बस हमारी ही यारी कुछ बेवड़े, हरामी, कमीनों की है ये कहानी

#nojotoonlie #friends #message  पूरे जहाँ में मशहूर थी बस हमारी ही यारी
कुछ बेवड़े, हरामी, कमीनों की है ये कहानी

                                                                                         कोई अगर किसी को कुछ भी बोल दे तो
                                                                                          ये छे लोग पड जाते थे सब पे बहुत भारी

पांच रुपए की चाय के पैसे देने के लिए भी
एक दूसरे से करते थे बहुत ही मनमानी

                                                                                              याद आती है मुझे बिना हेलमेट की वो
                                                                                            हमारी सुनसान सड़को पे ट्रिपल सवारी

वैसे तो हम बहुत बड़े खानदान से थे
मगर रास्तों में घूमते थे जैसे हो मवाली

                                                                                          दोस्ती में एक दूसरे के नाम भी बढ़िया थे
                                                                                          कोई किसी की ग़ज़ल थी तो कोई शायरी

खाने के लिए हम दो जगह ही जाते थे
ढोकले की दुकान और पानीपूरी की लारी

                                                                                            क्या बताऊँ की कैसी थी हमारी ये यारी
                                                                                            गालियों से भरपूर और बे-मतलब वाली

हमने सबकी नाक में दम कर रखा था
बाहर से शरीफ और अंदर से धमाली

                                                                                         पूरे जहाँ में मशहूर थी बस हमारी ही यारी
                                                                                      कुछ बेवड़े, हरामी, कमीनों की है ये कहानी

#message कुछ दोस्तों की है यह कहानी.... #nojoto #friends #message #nojotoonlie #Abhi

7 Love

यूँ लिखूं तो क्या लिखूं, मनुष्य की वैमनुष्यता लिखूं, या सभ्यों की सभ्यता लिखूं, छुपकर लिखूं या वयां लिखूं, स्त्री लिखूं या हया लिखूं, गीला लिखूं या सूखा लिखूं, ये पेट भरा लिखूं के भूखा लिखूं, यूं लिखूं तो - आखिर क्या लिखूं ।। सूरज लिखूं या चांद लिखूं , धरती लिखूं या आसमान लिखूं , भूत लिखूं या भविष्य लिखूं , या सब छोड़ वर्तमान लिखूं , घर लिखूं या शमशान लिखूं , या जलती हुयी मसान लिखूं , यूं लिखूं तो, आखिर क्या लिखूं ।। देश लिखूं या जहान लिखूं , आदर लिखूं के अपमान लिखूं , सोच लिखूं या जुबान लिखूं , कर्ज लिखूं के एहसान लिखूं , यूं लिखूं तो आखिर क्या लिखूं , गीता लिखूं या कुरान लिखूं , आखिर किसको महान लिखूं , रस लिखूं या जाम लिखूं , शुरुआत लिखूं या अन्जाम लिखूं , अकड़ लिखूं या दया लिखूं , जहर लिखूं के दवा लिखूं , या बदलते दौर की हवा लिखूं , यूं लिखूं तो आखिर क्या लिखूं ।।

#nojotoenglish #nojotopoetry #nojotohindi #nojotonews  यूँ लिखूं तो क्या लिखूं,
मनुष्य की वैमनुष्यता लिखूं,
या सभ्यों की सभ्यता लिखूं,
छुपकर लिखूं या
वयां लिखूं,
स्त्री लिखूं या हया लिखूं,
गीला लिखूं या
सूखा लिखूं,
ये पेट भरा लिखूं के भूखा लिखूं,
यूं लिखूं तो -
आखिर क्या लिखूं ।।

                                                                  

                                                सूरज लिखूं या चांद लिखूं ,
                                                         धरती लिखूं या आसमान लिखूं ,
                                                     भूत लिखूं या भविष्य लिखूं ,
                                                       या सब छोड़ वर्तमान लिखूं ,
                                                         घर लिखूं या शमशान लिखूं ,
                                                          या जलती हुयी मसान लिखूं ,
                                    यूं लिखूं तो,
                                                  आखिर क्या लिखूं ।।

                                                देश लिखूं या जहान लिखूं ,
                                           आदर लिखूं के अपमान लिखूं ,
                                              सोच लिखूं या जुबान लिखूं ,
                                             कर्ज लिखूं के एहसान लिखूं ,
                                          यूं लिखूं तो आखिर क्या लिखूं ,
                                             गीता लिखूं या कुरान लिखूं ,
                                            आखिर किसको महान लिखूं ,
                                                रस लिखूं या जाम लिखूं ,
                                       शुरुआत लिखूं या अन्जाम लिखूं ,
                                           अकड़ लिखूं या दया लिखूं ,
                                            जहर लिखूं के दवा लिखूं ,
                                         या बदलते दौर की हवा लिखूं ,
                                                 यूं लिखूं तो
                               आखिर क्या लिखूं ।।

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7 Love

#poem  एहसास  writer - अभि  writer - अभि हाँ आज तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूँ  मैं कविता नहीं एहसास लिख रहा हूँ

पुरानी और पहली यादें ❤

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 दुबला पतला हूँ यार मियाँ बिजली का हूँ तार मियाँ ✍ अभि ✍

nojoto

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happy holi frnds 🙏

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