लगे तु भटकी है कहीं
मुहब्बत कह सकता हुं क्या उसे
मज़हब मे ना तु बँटी हैं कभी
तु पश्मीना सी शॉल हैं
लाख कोशिशें लाख लडाइयाँ
करी जो तेरे वासते
तु उल्फत हैं या हैं कश्मीर
जीत मुझे न मिल रही
हारना मुझे गवारा नहि
रकीबों की पहरेदारी हैं मुझ पर
शरीफों की बातें लगती तुम्हें बेअसर
रकीबों पर स्ट्राइक भी तो कर सकते हैं
हम अमन से तुम्हें पाना चाहते हैं
Hindi shayari quotes सिर्फ तलबगारी कि श्याही मे भीगों के
लिखा एक नग्मा तो क्या लिखा
किसी डायरी के आखिरी पन्ने पर
जज्बातों को अपने कुरेदा तो क्या लिखा
सिर्फ किसी तकिये पर आंसुओं को
बिछा कर लिखा तो क्या लिखा
खामोशी के खंडहर मे चींखों
को जा़या कर लिखा तो क्या लिखा
कि पत्थरों पर प्यार
बयाँ कर लिखा तो क्या लिखा
लज्जा की डोर से बंधे अरमानों कि
शर्मोहया पर लिखा तो क्या लिखा
(निर्वाणा)
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here