Mohd.Zeeshan Firozabadi

Mohd.Zeeshan Firozabadi Lives in Firozabad, Uttar Pradesh, India

मुफ़लिसी के दौर में शौक़ नवावी रखते हैं मुहब्बत है कलम से महबूब शायरी रखते हैं

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हमपे इतनी वफादारी,, निभाना नहीं आता झूठी बातों पे हाँ में हाँ,, मिलाना नहीं आता और इतना शौक़ है तो कोई,, खिलौना ले आइये हमें हर बात पे गर्दन,, हिलाना नहीं आता

#alonesoul  हमपे इतनी वफादारी,, निभाना नहीं आता 
झूठी बातों पे हाँ में हाँ,, मिलाना नहीं आता 
और इतना शौक़ है तो कोई,, खिलौना ले आइये 
हमें हर बात पे गर्दन,,  हिलाना नहीं आता

#alonesoul

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गुलाब ये आसमान में काला बादल ज़ुल्फाए हमदम की तरह लगता है वल्लाह.... तेरी पेशानी पर पसीना गुलाब पे शबनम की तरह लगता है

#गुलाब  गुलाब ये आसमान में काला बादल ज़ुल्फाए हमदम की तरह लगता है 
वल्लाह.... तेरी पेशानी पर पसीना गुलाब पे शबनम की तरह लगता है

डरो न इम्तिहां से बुलंदियों को पाना सीखो करो टोटके मेहनत के बुज़दिली भगाना सीखो इतने जमाओ कदम के आंधियां न कुछ उखाड़ सकें चीर डालो ज़मीन को आसमाँ कदमों में लाना सीखो

#शायरी  डरो न इम्तिहां से बुलंदियों को पाना सीखो
करो टोटके मेहनत के बुज़दिली भगाना सीखो 
इतने जमाओ कदम के आंधियां न कुछ उखाड़ सकें
चीर डालो ज़मीन को आसमाँ कदमों में लाना सीखो

Meri shayeri आशीष रॉय 🇮🇳 @The unsung Lines @Sahani Baleshwar @Nishant Kamboj 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)

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तुम्हें इन हदों से आगे हम निकलने नहीं देगें तुम्हारे फैसले हरगिज़ हम बदलने नहीं देगें हर ज़ुबान पे होगें तुम्हारे कसीदे तुम्हारे बाद ऐ राहत तुम्हें हम कभी मरने नहीं देगें

#RIPRahatIndori  तुम्हें इन हदों से आगे हम निकलने नहीं देगें 
तुम्हारे फैसले हरगिज़ हम बदलने नहीं देगें 
हर ज़ुबान पे होगें तुम्हारे कसीदे तुम्हारे बाद
ऐ राहत तुम्हें हम कभी मरने नहीं देगें

Jnabe Rahat indori #RIPRahatIndori

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सुना है कि हिजरत करने से टल जाती हैं वलायें चलो ज़ीशान यहां से दारुल वका की तरफ कूज करें

#findingyourself #विचार  सुना है कि हिजरत करने से टल जाती हैं वलायें
चलो ज़ीशान यहां से दारुल वका की तरफ कूज करें

New shayeri #findingyourself आशीष रॉय 🇮🇳 @The unsung Lines @jigar @shahid Khan @Mohit Sharma

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दिल रो रहा है आसमाँ में गम के बादल छाये हैं ए खदा हम कैसी मुश्किल में घिर आये हैं लौटा दे हमे तौफीक ए ज़मात देख शर्मिन्दा हैं मौला ये तेरे गुनाहगार बन्दे तेरे दरपे लौट आये हैं Mohd.Zeeshan Firozabadi

 दिल रो रहा है आसमाँ में गम के बादल छाये हैं 
ए खदा हम कैसी मुश्किल में घिर आये हैं
लौटा दे हमे तौफीक ए ज़मात देख शर्मिन्दा हैं मौला
ये तेरे गुनाहगार बन्दे तेरे दरपे लौट आये हैं
Mohd.Zeeshan Firozabadi

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