ram lala ayodhya mandir संतों की तपस्या से जाकर वनवास ये टला है,
सब खोकर भी राम अडिग कैसे वन को चला है,
पिता के आशीष और मां की लाड में जो पला है,
राजकुमार वो पिता को ढांढस बंधाता छोड़ चला है,
भौतिक सुखों से मुंह फेर नाता तोड चला है,
वैरागी राम ने आधिपत्य तक को है भुलाया,
अयोध्या ने राम को फिर मंदिर में है बुलाया,
आंदोलन वो कारसेवकों के खून से सना है,
राह कठिन थी मगर मंदिर वहीं बना है।।
खामोश
©Kshitij Raj
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