Kshitij Raj

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#AakhriAlvida #SAD

#AakhriAlvida

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साहित्य विधा में कोई शायरी गजल कविता छंद लिख दें, बेलगाम बिगड़ैल अमीरजादे की जवानी पे दंड लिख दें, न्याय व्यवस्था पर खड़ा सवाल प्रक्रिया को पाखंड लिख दें, जब हत्यारे जमानत में 300 शब्दों का निबंध लिख दें।। खामोश ©Kshitij Raj

#Mumbai  साहित्य विधा में कोई शायरी गजल कविता छंद लिख दें,
बेलगाम बिगड़ैल अमीरजादे की जवानी पे दंड लिख दें,
न्याय व्यवस्था पर खड़ा सवाल प्रक्रिया को पाखंड लिख दें,
जब हत्यारे जमानत में 300 शब्दों का निबंध लिख दें।।
खामोश

©Kshitij Raj

#Mumbai

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#sad_quotes #Quotes  White तोड़कर कुछ करार चले गए,
छूकर दिल के तार चले गए,
कौन कहेगा बेवफा तुम्हे,
सीखाकर तुम प्यार चले गए।।
'खामोश'

©Kshitij Raj

#sad_quotes

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ram lala ayodhya mandir संतों की तपस्या से जाकर वनवास ये टला है, सब खोकर भी राम अडिग कैसे वन को चला है, पिता के आशीष और मां की लाड में जो पला है, राजकुमार वो पिता को ढांढस बंधाता छोड़ चला है, भौतिक सुखों से मुंह फेर नाता तोड चला है, वैरागी राम ने आधिपत्य तक को है भुलाया, अयोध्या ने राम को फिर मंदिर में है बुलाया, आंदोलन वो कारसेवकों के खून से सना है, राह कठिन थी मगर मंदिर वहीं बना है।। खामोश ©Kshitij Raj

#ramlalaayodhyamandir #JaiShreeRam  ram lala ayodhya mandir संतों की तपस्या से जाकर वनवास ये टला है,
सब खोकर भी राम अडिग कैसे वन को चला है,
पिता के आशीष और मां की लाड में जो पला है,
राजकुमार वो पिता को ढांढस बंधाता छोड़ चला है,
भौतिक सुखों से मुंह फेर नाता तोड चला है,
वैरागी राम ने आधिपत्य तक को है भुलाया,
अयोध्या ने राम को फिर मंदिर में है बुलाया,
आंदोलन वो कारसेवकों के खून से सना है,
राह कठिन थी मगर मंदिर वहीं बना है।।

खामोश

©Kshitij Raj
#jaimaadurga #jaimatadi #navratri #jaikaali #Bhakti  धर्मार्थ पुरुषों की उपासक हो, मानवता की संचालक हो, 
कथानक की कथाओं में ,मां दुर्गा तुम सबमें निराली हो,
सौम्यता की परिचायक हो, शक्ति की संवाहक हो, 
रूप अन्यान्य देवी तुम्हारी, सर्वविद्यामान देवी तुम सर्वशक्तिशाली हो,
गौरी देवी चित्ताकर्षक हो,करालवदना रूप लिए अति भयानक हो,
चण्ड मूण्ड विनाशिनी महिषासुरमर्दिनी, शिवदूती करती सबकी रखवाली हो,
दुष्टों की संहारक हो, पापमोचन बुद्धि की विनाशक हो, 
सौम्यातिरौद्राय देवी धर्म क्षेत्र में ब्रह्माणी, रुद्रानी तुम रणचंडी काली हो।।

 - खामोश

©Kshitij Raj
#Holi  मुबारक हो रंगों की होली हे,
मीठी गुजिया मिठाई सी बोली हे,
रंगों ने खुशियों से भर दी झोली हे,
गालों पे रंग गुलाल ओ चंदन रोली हे,
गलियों में घूम रही दीवानों की टोली हे,

खेलत झूमत नाचत गावत वृंदावन धाम हे,
रंगों से रंग गए मंदिर द्वार और सुबहो शाम हे,
मथुरा की गलियों में गूंज रहा कृष्ण नाम हे,

काशी मथुरा वृंदावन में सारे देश ने खेली हे,
लजाती भाग रही कृष्ण से बचती सहेली हे,

आनंद रस खूब हो रही हंसी ठिठोली हे,
खुशियों में झूम रहे, खेलत सब होली हे,

आज बिरज में होली है।।।

'खामोश'

©Kshitij Raj

#Holi

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