Ankit verma 'utkarsh'

Ankit verma 'utkarsh' Lives in Bhind, Madhya Pradesh, India

medical student & Author मैं एक बादल की बूंद नहीं, मुझसे पूरा आसमां है।🤞😎🍁 author of two books 1. thandi dhoop link:- https://www.amazon.in/dp/B09Y9KDRJJ 2. untold life link:- https://www.amazon.in/dp/B09Y9LX67X?ref_=pe_3052080_276849420 https://www.amazon.in/gp/offer-listing/9393269386 instagram:- @ankit_verma_utkarsh_ twitter:- @ankit_utkarsh_1 Facebook:- https://www.facebook.com/profile.php?id=100055615680505 born in agra (U.P.) ❣️तत् त्वम् असि(you are that) 💫 Journey icecream🍧->candle🕯 ❤radhe radhe❤ ❤be love❤ ❤be yourself❤ Moment💤🎶⬜ ▫️⏹0⃣ ❤keep smiling and spread happiness.❤ 💞The possibility of being anything is in the impossible of something. 💕 if you love, stay in love and be a part of it. 💕

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White कितनी है चाहतें, कितनी है मिन्नतें, ना जानो तुम, ना जानो तुम। ©Ankit verma 'utkarsh'

#विचार #Sad_Status  White कितनी है चाहतें,
कितनी है मिन्नतें,
ना जानो तुम,
ना जानो तुम।

©Ankit verma 'utkarsh'

White रात की काली स्याही रात की काली स्याही से, ह्रदय के ख्याबों की लेखी, अर्तंमन की दीवारों पर, पाषाण सी कथा देखी। स्नेह सरोवर में, अर्थ भरी कंपन महसूस की‌। दो शिखरों के दरमियां, एक शून्य संभावना थी। स्वर्णिम भवन के कमरों में, एक बंजारीपन था। अति शोरगुल में, एक अनसुनी अरदास थी। रात की काली स्याही से, एक जटिल सत्य रचा था। ©Ankit verma 'utkarsh'

#कविता #Moon  White रात की काली स्याही

रात की काली स्याही से,
ह्रदय के ख्याबों की लेखी,
अर्तंमन की दीवारों पर,
पाषाण सी कथा देखी।
स्नेह सरोवर में,
अर्थ भरी कंपन महसूस की‌।
दो शिखरों के दरमियां,
एक शून्य संभावना थी।
स्वर्णिम भवन के कमरों में,
एक बंजारीपन था।
अति शोरगुल में,
एक अनसुनी अरदास थी।
रात की काली स्याही से,
एक जटिल सत्य रचा था।

©Ankit verma 'utkarsh'

#Moon ❤️❤️Aman jassal @Rakesh Srivastava @Rina Giri @rasmi @Suresh Gulia

16 Love

White फिर चला तू सफर की बेड़ियों में, लम्हा ना रुक सका। सब्र के इम्तिहान में, जुनून ना थम सका। राहों की‌ अड़चन में, नाउम्मीद ना हो सका। मौसम की नमी में, सुकून का एहसास ना मिट सका। आजादी की हवा में, घर की याद ना भूला सका। ©Ankit verma 'utkarsh'

#शायरी #Couple  White फिर चला तू

सफर की बेड़ियों में,
लम्हा ना रुक सका।
सब्र के इम्तिहान में,
जुनून ना थम सका।
राहों की‌ अड़चन में,
नाउम्मीद ना हो सका।
मौसम की नमी में,
सुकून का एहसास ना मिट सका।
आजादी की हवा में,
घर की याद ना भूला सका।

©Ankit verma 'utkarsh'

#Couple ❤️❤️

15 Love

Autumn स्मृति एक जिदंगी की कहानी, स्मृति की लकीरें पानी, स्मृति ही संयोग,स्मृति ही वियोग। स्मृति ही आनंद,स्मृति ही विषाद। स्मृति ही नभ,स्मृति ही गर्त। स्मृति ही अज़ीज़,स्मृति ही गरल। स्मृति ही संपूर्ण,स्मृति ही तुच्छ। ©Ankit verma 'utkarsh'

#शायरी #autumn  Autumn स्मृति

एक जिदंगी की कहानी,
स्मृति की लकीरें पानी,
स्मृति ही संयोग,स्मृति ही वियोग।
स्मृति ही आनंद,स्मृति ही विषाद।
स्मृति ही नभ,स्मृति ही गर्त।
स्मृति ही अज़ीज़,स्मृति ही गरल।
स्मृति ही संपूर्ण,स्मृति ही तुच्छ।

©Ankit verma 'utkarsh'

#autumn ❤️❤️@Manu Govind Batra R K Mishra " सूर्य " @Dharm Chand Paliwal @Archana Chaudhary"Abhimaan" @Ambika Jha

17 Love

#कविता  टूटे जब भी तारे (part 2)
विस्मित जगत के इस हृदय में,कोई गहन विलीन हो रहा है,
शब्दों की वीणा में,कोई मंत्र रच रहा है।
समझ के परे में,कोई विद्यावान हो रहा है,
शिखाओं की चुभन में,कोई अलंकृत छवि हो रहा है।
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?
ईश्क की सीधी रेखा में,कोई विशेष हो रहा है,
जीवन की साखी वो अटूट रेखा में,कोई अविस्मरणीय हो रहा है।
झील सी आंखे पंकज मुख में, कोई छुप रहा है,
सांस भी मद्दम लय में, इनमें सुकून रहा है।
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?

©Ankit verma 'utkarsh'

❤️❤️❤️ khan perfect @Dr.Majid Ali Majid Official Sudha Tripathi @Manu Govind Batra दिल के अरमान

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टूटे जब भी तारे(part 1) सरगम है फिजाओं में,कोई गुनगुना रहा है, बातें गर्त हैं इशारों में,कोई सुन रहा है। दूर तक जाना है गवाहीं में,कोई मासूम रहा है, आराम नहीं इन पलकों में,कोई जाग रहा है। टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना? टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना? मौसम भी बिगड़ा रुह में,कोई बारिश हो रहा है, सुबह की ओश रेशों में,कोई चहक रहा है। फूल की सुलभ महक में,कोई विभोर हो रहा है, विशाल गंभीर इस आसमान में,कोई अनंत शून्य हो रहा है। टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना? टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना? ©Ankit verma 'utkarsh'

#कविता #boatclub  टूटे जब भी तारे(part 1)


सरगम है फिजाओं में,कोई गुनगुना रहा है,
बातें गर्त हैं इशारों में,कोई सुन रहा है।
दूर तक जाना है गवाहीं में,कोई मासूम रहा है,
आराम नहीं इन पलकों में,कोई जाग रहा है।
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?
मौसम भी बिगड़ा रुह में,कोई बारिश हो रहा है,
सुबह की ओश रेशों में,कोई चहक रहा है।
फूल की सुलभ महक में,कोई विभोर हो रहा है,
विशाल गंभीर इस आसमान में,कोई अनंत शून्य हो रहा है।
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?
टूटे जब भी तारे,मुझे ही मांगोगे ना?

©Ankit verma 'utkarsh'
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