की तेरी सारी बातें
गुनगुनाया करतें थें ,
अपनी बेतुकी बातें ,
तेरी तस्वीर को सुनाया करतें थे ।
लिख कर तेरा नाम ,
फिर मिटाकर मुस्कुराया करतें थें ।
सायद यही गलती थी,
काश तेरी बातें सब को सुनाया करता,
हर रोज़ एक नई याद बनाया करता ।
भूलकर सारी समझदारीयां,
अपनी बेतुकी बातें तुझे बताया करता ।
लिख कर तेरा नाम ग़ज़ल बनाया करता ।
की ये हक मेरा कोई और ले गया ,
काश वक़्त रहते हर कुछ जताया करता ।
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