उमर सतरा के बारे में सुना बहुत था,,,
इस उम्र में आने से पहले,
इस अनजान एहसास के लिए लोगों ने टोका बहुत था।
तब तो हम नादान थे, ताजुब है ....
तजुर्बे वाले शक्सियतों कि बातों को,,,
बेकार समझ,,,....
ख़ुद पर डेढ़ भरोसा करते थे।
,,,,, अब वो लाईलाज लम्हा आहिगया,,...
के कुछ सालों बाद हम भी सतरा के होगे।।
ये अनजान सी ख्वाहिशें ,,
और अजीब उलझे हुए एहसास..
हमारे समझ से परे होने लगे...
अपने फ़ैसले अपनी चीज़े सच ,,,,
बाकी सारा संसार झूठा महसूस होने लगा।
केवल अपनी फरमाहिसे...
जीने कि सबसे बड़ी जरूरत ,,
और बाकि रोक टोक घुटन,
व ख़ुद पे जुर्म लगने लगा।
आवारा दोस्तों को अपने जीने कि वजह,
और बेहिसाब ईश्क करने वाले आशिक़ (परिवार).....
को अपने मौत के ज़िम्मेदार ठहराने लगें।।
©Naina Chandravanshi
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