हम वो परिंदे नही जो फस जाए जाल में,
चल तू जाल डाल के देख।
खुद की मुस्कुराहटों के पीछे लिए फिरते है जख्म लाखों।
चल तू एक दो पाल के देख।
मैं दोनों तरफ एक सा हूं मेरी जां।
यकीन नहीं तो उछाल के देख।
तेरे मन की गहराइयों में बैठ रहा हूं मैं धीरे धीरे,
मुझमें हो रहे है ये बदलाव कमाल के देख।
किसी गिरते हुए को संभालने में मिलता है सुकून बड़ा।
यकीन नहीं तो संभाल के देख।
हम वो परिंदे नही जो फस जाए जाल में,
चल तू जाल डाल के देख।
खुद की मुस्कुराहटों के पीछे लिए फिरते है जख्म लाखों।
चल तू एक दो पाल के देख।
मैं दोनों तरफ एक सा हूं मेरी जां।
यकीन नहीं तो उछाल के देख।
©Sandip rohilla
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