अगर कईं परिवारों को भाड़े पर दिए हुए, एक-मंज़िला घर की छत के, किसी भी एक कोने से जल का रिसाव होने लगे, तो हम उसे कारीगरी का बेहतरीन नमूना नहीं बता सकते।
जता सकते हैं तो महज सहानुभूति, उस कोने के नीचे रहने वाले परिवारों के लिए।
~Lafz_Kuch_Ankahe
ख़िलाफ़त की पतंग, यूँ मांझों से उलझने लगी है;
दिल जहाँ बिखरे थे कल, अब राहें वहीं जुड़ने लगी हैं।
क़यामत की ख़बर तू भी, ऐ शब क्या साथ लाई है?
कुछ बात रही होगी, उस तस्वीर में उसकी,
जो देख कईं रोज़ पर, तू मुस्कुराई है।
~Lafz_Kuch_Ankahe
ख़िलाफ़त की पतंग, यूँ मांझों से उलझने लगी है;
दिल जहाँ बिखरे थे कल, अब राहें वहीं जुड़ने लगी हैं।
क़यामत की ख़बर तू भी, ऐ शब क्या साथ लाई है?
कुछ बात रही होगी, उस तस्वीर में उसकी,
जो देख कईं रोज़ पर, तू मुस्कुराई है।
~Lafz_Kuch_Ankahe
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हम तहज़ीब में लगे रहे,
लोग नसीब बनाते गए।
हम नसीब की ओर जब चले,
लोग तहज़ीब सिखाते गए।
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