Raushan Rajput

Raushan Rajput Lives in Gurugram, Haryana, India

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जय छठी मैया

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#jaishreekrishna

#jaishreekrishna कृष्ण ही सार है

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 अश्रु जल निर्झर बहे जब कष्ट किसी को होय

लाख जतन  करले  कोई  रोक सके  ना कोय

जिसपर बीते  वो ही जाने  कितनी  पीड़ा होय

कर्म का ही सब खेल बताए मर्म ना जाने कोय

©Raushan Rajput

अश्रु जल निर्झर बहे जब कष्ट किसी को होय लाख जतन  करले  कोई  रोक सके  ना कोय जिसपर बीते  वो ही जाने  कितनी  पीड़ा होय कर्म का ही सब खेल बताए मर्म ना जाने कोय ©Raushan Rajput

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सोलह सृंगार 

तुम सोलह सृंगार करना मैं तुम्हे अपलक निहारूँगा।ऋषभ अपनी नयी
 नवेली पत्नी के सिरहाने उसके गेसुओं को संवारते हुये कहता।शायद 
ये शब्द उसकी पत्नी निशि को अंदर से प्रफुल्लित कर देती है।निशि भी
 ऋषभ का हाथ अपने हाथ मे लेकर बड़े ही प्यार से कहती है।मेरा सजना
 सवरना अगर आपको इतना ही प्रिय है तो मेरे नाथ मैं सजूंग ठीक उसी 
तरह जैसे आपको पसंद हो।मुझे भी अच्छा लगेगा जब मैं सज संवर कर
 आपके सिराहने आकर लेटूंगी और आप मुझे यूँही अपलक निहारते हुये
 मेरी लटों के साथ अठखेलियां करेंगे।मैं भी आपके प्रेम में निशब्द 
निर्विकार अपनी सुध बुध खोकर आपको अपने आलिंगन में भर लुंगी।
आह कितना मनमोहक ये पल जब ऋषभ और निशि दोनों एक दूसरे
 से इतनी प्यारी बातों को अंजाम दे रहा था

आगे जारी है

©Raushan Rajput

सोलह सृंगार  तुम सोलह सृंगार करना मैं तुम्हे अपलक निहारूँगा।ऋषभ अपनी नयी नवेली पत्नी के सिरहाने उसके गेसुओं को संवारते हुये कहता।शायद ये शब्द उसकी पत्नी निशि को अंदर से प्रफुल्लित कर देती है।निशि भी ऋषभ का हाथ अपने हाथ मे लेकर बड़े ही प्यार से कहती है।मेरा सजना सवरना अगर आपको इतना ही प्रिय है तो मेरे नाथ मैं सजूंग ठीक उसी तरह जैसे आपको पसंद हो।मुझे भी अच्छा लगेगा जब मैं सज संवर कर आपके सिराहने आकर लेटूंगी और आप मुझे यूँही अपलक निहारते हुये मेरी लटों के साथ अठखेलियां करेंगे।मैं भी आपके प्रेम में निशब्द निर्विकार अपनी सुध बुध खोकर आपको अपने आलिंगन में भर लुंगी। आह कितना मनमोहक ये पल जब ऋषभ और निशि दोनों एक दूसरे से इतनी प्यारी बातों को अंजाम दे रहा था आगे जारी है ©Raushan Rajput

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#Devotional #series #kanha  खुद थे सवार टोकरी में यमुना की धार में
हाथ पिता के तभी ना डगमगाये मूसलाधार मे

कहते है अगर साथ हो कान्हा का सफर में
कट जाएंगे विपदा सभी  जो आये डगर में

एक वही हैं अनेक वही हैं यत्र ओ सर्वत्र वही हैं
साधना हो या हो प्रार्थना कोई सबका मंत्र वही हैं

उनकी रची दुनियां है उनकी रची लीला है सारी
करबद्ध करो याचना तो हर लेंगे पीड़ा वो तुम्हारी

कान्हा की भक्ति में तुम बस भाव को रखना
हो डगर फिर कैसा भी कान्हा का काम है चलाना

खुद को कभी डरने नही देना है तुम्हे किसी हार में
हरि हैं साथ तो कभी डूबने ना देंगे तुम्हे मजधार में
खुद थे सवार टोकरी....................................

©Raushan Rajput
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