माय लाख करू भलाई कौन यह देखता हाय ,
अपने फायदे का सब यह सोचता हाय ,
अगर जरूरत पड़े मेरी तो माय भगवान होजती ,
बेजान होजऊ अगर कभी, तो रद्दी के भाव फेक दी जाती।
अपने हाय अपने हाय ये सब रिश्ते के ढांचे,
आइना अगर दिखे कभी तो आऊकत दिखजाती।
फरेविदुनिया झूठे हाय हर शब्द यहां,
अपनो के नाम पे हयवान हुए बस यहा।
हरामियो की दुनिया में माय मासूमियत लिए बैठी थी,
कोई समझे मुझे गलत फायमी लिए बैठी थी।
ना अब लोगो से आश रही मुझे
ना अब रिश्ते से चाह रही मुझे ।
माय लाख करू भलाई कौन यहा देखता हाय ।
©Sushmita pathak
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