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White एक गम जो मेरी जिंदगी से कभी नही जाता! जो चला गया फिर लौटकर क्यों नहीं आता राह चलते मैं आसानी से रिश्ते बना लेता हूं मगर उन रिश्तों को निभाने का हुनर क्यों नहीं आता!! ©Anuj thakur "बेख़बर"

#शायरी  White एक गम जो मेरी जिंदगी से कभी नही जाता!
जो चला गया फिर  लौटकर क्यों नहीं आता
राह चलते मैं आसानी से रिश्ते बना लेता हूं मगर 
उन रिश्तों को निभाने का हुनर क्यों नहीं आता!!

©Anuj thakur "बेख़बर"

बेबसी

10 Love

#शायरी #बेबसी  White बेबसी में खो जाना, वो भी बेवजह, जैसे कोई राहत के बिना हो ये ज़िन्दगी की राह।

हर रोज़ की तरह दिल उदास है, जैसे कोई ख्वाब टूट गया हो बिना सपनों के जैसे न हो कोई चाह।।

©आगाज़
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#ज़िन्दगी #बेबसी  हम एक ही गलती दोहराते रहे,
ओ हमे नजरंदाज करते रहे,
हम उन्ही पर ए नजरे टिकाते रहे।
ओ बेबस नासमझ बनते रहे,
हम पागल उन्हें समझाते रहे ।

©Abhishek Pandey
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

White एक गम जो मेरी जिंदगी से कभी नही जाता! जो चला गया फिर लौटकर क्यों नहीं आता राह चलते मैं आसानी से रिश्ते बना लेता हूं मगर उन रिश्तों को निभाने का हुनर क्यों नहीं आता!! ©Anuj thakur "बेख़बर"

#शायरी  White एक गम जो मेरी जिंदगी से कभी नही जाता!
जो चला गया फिर  लौटकर क्यों नहीं आता
राह चलते मैं आसानी से रिश्ते बना लेता हूं मगर 
उन रिश्तों को निभाने का हुनर क्यों नहीं आता!!

©Anuj thakur "बेख़बर"

बेबसी

10 Love

#शायरी #बेबसी  White बेबसी में खो जाना, वो भी बेवजह, जैसे कोई राहत के बिना हो ये ज़िन्दगी की राह।

हर रोज़ की तरह दिल उदास है, जैसे कोई ख्वाब टूट गया हो बिना सपनों के जैसे न हो कोई चाह।।

©आगाज़
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#ज़िन्दगी #बेबसी  हम एक ही गलती दोहराते रहे,
ओ हमे नजरंदाज करते रहे,
हम उन्ही पर ए नजरे टिकाते रहे।
ओ बेबस नासमझ बनते रहे,
हम पागल उन्हें समझाते रहे ।

©Abhishek Pandey
#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

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