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एक संघर्ष की दुनिया में जी रही एक बेरोजगार पीढ़ी चाट रही किताबों को दीमक की तरह...... रोज़....... दर रोज़ और कर रही इंतजार कि.... चाटी हुई किताबें एक दिन हमारी ख्वाहिशों के ढांचे को......पूरा कर पाएंगी ©Harpinder Kaur

 एक संघर्ष की दुनिया में जी रही
एक बेरोजगार  पीढ़ी
चाट रही किताबों को
दीमक की तरह...... 
रोज़....... दर रोज़
और कर रही इंतजार
कि.... चाटी हुई किताबें
एक दिन हमारी ख्वाहिशों के ढांचे
को......पूरा कर पाएंगी

©Harpinder Kaur

# आखिर कब तक?

10 Love

 White तुम जो क़ातिल न मसीहा ठहरे
न इलाज-ए-शब-ए-हिज्राँ न ग़म-ए-चारागराँ
न कोई दुश्ना-ए-पिन्हाँ
न कहीं ख़ंजर-ए-सम-आलूदा
न क़रीब-ए-रग-ए-जाँ
तुम तो उस अहद के इंसाँ हो जिसे
वादी-ए-मर्ग में जीने का हुनर आता था
मुद्दतों पहले भी जब रख़्त-ए-सफ़र बाँधा था
हाथ जब दस्त-ए-दुआ थे अपने
पाँव ज़ंजीर के हल्क़ों से कटे जाते थे
लफ़्ज़ तक़्सीर थे
आवाज़ पे ताज़ीरें थीं
तुम ने मासूम जसारत की थी
इक तमन्ना की इबादत की थी
पा बरहना थे तुम्हारे
यही बोसीदा क़बा थी तन पर
और यही सुर्ख़ लहू के धब्बे
जिन्हें तहरीर-ए-गुल-ओ-लाला कहा था तुम ने
हर नज़्ज़ारा पे नज्ज़ारगी-ए-जाँ तुम को
हर गली कूचा-ए-महबूब नज़र आई थी
रात को ज़ुल्फ़ से ताबीर किया था तुम ने
तुम भला क्यूँ रसन-ओ-दार तक आ पहुँचे हो
तुम न मंसूर न ईसा ठहरे

©Jashvant

आखिर क्यों? @R... Ojha @NAZAR @Raunak PФФJД ЦDΞSHI @Geet Sangeet

135 View

आखिर क्यों? आखिर क्यों? बढ़ती शिक्षा, बेहतर होते जीवन स्तर के साथ, बेतहाशा बढ़ रहे हैं, दुराचार, मारकाट व भ्रष्टाचार ! मिल रहा है, पाखंड को सम्मान! हो रहा है, सत्य का अपमान! क्या हो गया है, आदमी को, बहकाना इतनी आसान? पढ़ाया जा रहा है, गलियों में नफरत का पाठ! कैसे कोई देगा, इंसानियत का साथ! डूबते का वीडियो, बनाती है भीड़, मदद के नाम पर, खड़ा करतें हैं हाथ! हर तरफ आबाद है, दलदल जानलेवा, धार्मिक उन्माद व जातिवाद के! खून तो बहता है, सिर्फ इंसान का, जब छुरे चलतें हैं, बेरहम जल्लाद के! ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #आखिर  आखिर क्यों?

 आखिर क्यों?
  बढ़ती शिक्षा,
  बेहतर होते जीवन स्तर के साथ,
  बेतहाशा बढ़ रहे हैं,
  दुराचार, मारकाट व भ्रष्टाचार !
   
  मिल रहा है,
   पाखंड को सम्मान!
  हो रहा है,
  सत्य का अपमान!
  क्या हो गया है,
  आदमी को,
  बहकाना इतनी आसान?

  पढ़ाया जा रहा है,
  गलियों में नफरत का पाठ!
  कैसे कोई देगा,
 इंसानियत का साथ!
  डूबते का वीडियो,
  बनाती है भीड़,
  मदद के नाम पर,
  खड़ा करतें हैं हाथ!

  हर तरफ आबाद है,
  दलदल जानलेवा,
  धार्मिक उन्माद व जातिवाद के!
  खून तो बहता है,
  सिर्फ इंसान का,
  जब छुरे चलतें हैं,
   बेरहम जल्लाद के!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आखिर _क्यों?

10 Love

#शायरी

हाइलाइट कैसी फिल्म वस्तावरी

108 View

#शायरी #आखिर  पुरूष जब स्त्री से हारने लगता है तो पहला
 हमला उसके चरित्र पर करता है..!

©Andy Mann

#आखिर क्यों

333 View

#शायरी

आखिर वहीं लोग

5,652 View

एक संघर्ष की दुनिया में जी रही एक बेरोजगार पीढ़ी चाट रही किताबों को दीमक की तरह...... रोज़....... दर रोज़ और कर रही इंतजार कि.... चाटी हुई किताबें एक दिन हमारी ख्वाहिशों के ढांचे को......पूरा कर पाएंगी ©Harpinder Kaur

 एक संघर्ष की दुनिया में जी रही
एक बेरोजगार  पीढ़ी
चाट रही किताबों को
दीमक की तरह...... 
रोज़....... दर रोज़
और कर रही इंतजार
कि.... चाटी हुई किताबें
एक दिन हमारी ख्वाहिशों के ढांचे
को......पूरा कर पाएंगी

©Harpinder Kaur

# आखिर कब तक?

10 Love

 White तुम जो क़ातिल न मसीहा ठहरे
न इलाज-ए-शब-ए-हिज्राँ न ग़म-ए-चारागराँ
न कोई दुश्ना-ए-पिन्हाँ
न कहीं ख़ंजर-ए-सम-आलूदा
न क़रीब-ए-रग-ए-जाँ
तुम तो उस अहद के इंसाँ हो जिसे
वादी-ए-मर्ग में जीने का हुनर आता था
मुद्दतों पहले भी जब रख़्त-ए-सफ़र बाँधा था
हाथ जब दस्त-ए-दुआ थे अपने
पाँव ज़ंजीर के हल्क़ों से कटे जाते थे
लफ़्ज़ तक़्सीर थे
आवाज़ पे ताज़ीरें थीं
तुम ने मासूम जसारत की थी
इक तमन्ना की इबादत की थी
पा बरहना थे तुम्हारे
यही बोसीदा क़बा थी तन पर
और यही सुर्ख़ लहू के धब्बे
जिन्हें तहरीर-ए-गुल-ओ-लाला कहा था तुम ने
हर नज़्ज़ारा पे नज्ज़ारगी-ए-जाँ तुम को
हर गली कूचा-ए-महबूब नज़र आई थी
रात को ज़ुल्फ़ से ताबीर किया था तुम ने
तुम भला क्यूँ रसन-ओ-दार तक आ पहुँचे हो
तुम न मंसूर न ईसा ठहरे

©Jashvant

आखिर क्यों? @R... Ojha @NAZAR @Raunak PФФJД ЦDΞSHI @Geet Sangeet

135 View

आखिर क्यों? आखिर क्यों? बढ़ती शिक्षा, बेहतर होते जीवन स्तर के साथ, बेतहाशा बढ़ रहे हैं, दुराचार, मारकाट व भ्रष्टाचार ! मिल रहा है, पाखंड को सम्मान! हो रहा है, सत्य का अपमान! क्या हो गया है, आदमी को, बहकाना इतनी आसान? पढ़ाया जा रहा है, गलियों में नफरत का पाठ! कैसे कोई देगा, इंसानियत का साथ! डूबते का वीडियो, बनाती है भीड़, मदद के नाम पर, खड़ा करतें हैं हाथ! हर तरफ आबाद है, दलदल जानलेवा, धार्मिक उन्माद व जातिवाद के! खून तो बहता है, सिर्फ इंसान का, जब छुरे चलतें हैं, बेरहम जल्लाद के! ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #आखिर  आखिर क्यों?

 आखिर क्यों?
  बढ़ती शिक्षा,
  बेहतर होते जीवन स्तर के साथ,
  बेतहाशा बढ़ रहे हैं,
  दुराचार, मारकाट व भ्रष्टाचार !
   
  मिल रहा है,
   पाखंड को सम्मान!
  हो रहा है,
  सत्य का अपमान!
  क्या हो गया है,
  आदमी को,
  बहकाना इतनी आसान?

  पढ़ाया जा रहा है,
  गलियों में नफरत का पाठ!
  कैसे कोई देगा,
 इंसानियत का साथ!
  डूबते का वीडियो,
  बनाती है भीड़,
  मदद के नाम पर,
  खड़ा करतें हैं हाथ!

  हर तरफ आबाद है,
  दलदल जानलेवा,
  धार्मिक उन्माद व जातिवाद के!
  खून तो बहता है,
  सिर्फ इंसान का,
  जब छुरे चलतें हैं,
   बेरहम जल्लाद के!

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आखिर _क्यों?

10 Love

#शायरी

हाइलाइट कैसी फिल्म वस्तावरी

108 View

#शायरी #आखिर  पुरूष जब स्त्री से हारने लगता है तो पहला
 हमला उसके चरित्र पर करता है..!

©Andy Mann

#आखिर क्यों

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