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#काल_चक्र #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  काल चक्र (दोहे)

काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार।
देता सबको सीख है, जो माने वह पार।।

रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास।
सदुपयोग इसका करें, उनको भी है आस।।

काल चक्र के देवता, देते हैं परिणाम।
जिसका जैसा कर्म है, वैसा उसको दाम।।

काल चक्र बलवान है, कहते सभी सुजान।
विमुुख न होना तुम कभी, बनकर के अनजान।।

काल चक्र से बच सका, जरा बताओ कौन।
मूल्य नहीं क्यों जानते, अभी रहो तुम मौन।।
..........................................................
देवेश दीक्षित.

©Devesh Dixit

#काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा

189 View

#Like__Follow__And__Share #sad_shayari #Bhakti #Video  White श्री कृष्ण 🥰 गोविंद मुरारी ♥️

Uff तुम्हारी ये मुस्कान 💞

“ दिल तुमसे लगा बैठे हैं,
प्रेम की राह पर सपने सजाएं बैठे है,
हर किसी ने तोड़े है सपने हमारे,
एक तू ही है कन्हैया, 
जिससे हर उम्मीद लगाए बैठे है…”

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी ,
हे नाथ नारायण वासुदेवा..!!😘😘❤️😌

©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda

#sad_shayari 🙏🙏जय श्री कृष्ण 🙏🙏 रंग तो तेरा श्याम है कान्हा तिरछे तेरे नैन, रूप सलोना है मोहन और बांके तेरे बैन...!! शंख चक्र वैजयंती माल

126 View

आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती समुद्र से बादल बन मेंह बनकर फिर बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा आत्मा पवित्र और शुद्ध होती मैला तो तन और मन होता जल को क्या मालूम बिस्लेरी का काम बुझाना प्यास जल का आत्मा का वास तन का मन क्या जाने उसको तो बस रहता इंतजार उस दिन मिलन होना प्रभु से कब इसी आस में जीना ©Mahadev Son

#Bhakti  आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल 
प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती

समुद्र से बादल बन मेंह बनकर  फिर 
बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में 

चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा 
आत्मा पवित्र और शुद्ध होती

मैला तो तन और मन होता
जल को क्या मालूम बिस्लेरी का 
काम बुझाना प्यास जल का 

आत्मा का वास तन का मन क्या जाने
उसको तो बस रहता इंतजार उस दिन

मिलन होना प्रभु से कब इसी आस में जीना

©Mahadev Son

आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती समुद्र से बादल बन मेंह बनकर फिर बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में च

15 Love

White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son

#Bhakti  White  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते...

मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि
मुश्किल या मालूम ही नहीं....


       मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार।    
           जीवन की अंतिम परिणति है। 

मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के
संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है!

आत्मा को जीवन, मृत्यु और
पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से
मुक्त करता है!

©Mahadev Son

जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह

14 Love

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का हिसाब किताब जैसा वैसा तन पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को ©Mahadev Son

#Bhakti  आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से 
मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है 

कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का
हिसाब किताब जैसा वैसा तन

पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न
मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को

©Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द

11 Love

#funnybaba513🤣🤣 #कॉमेडी #dkbaba513💔 #dkbaba001💔

लड़ाई की चक्र मैं भारी नुकसान होगया 😭 #Nojoto #funnybaba513🤣🤣 #dkbaba513💔 #dkbaba001💔

171 View

#काल_चक्र #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  काल चक्र (दोहे)

काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार।
देता सबको सीख है, जो माने वह पार।।

रचा ईश ने जब इसे, मकसद है कुछ खास।
सदुपयोग इसका करें, उनको भी है आस।।

काल चक्र के देवता, देते हैं परिणाम।
जिसका जैसा कर्म है, वैसा उसको दाम।।

काल चक्र बलवान है, कहते सभी सुजान।
विमुुख न होना तुम कभी, बनकर के अनजान।।

काल चक्र से बच सका, जरा बताओ कौन।
मूल्य नहीं क्यों जानते, अभी रहो तुम मौन।।
..........................................................
देवेश दीक्षित.

©Devesh Dixit

#काल_चक्र #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry काल चक्र (दोहे) काल चक्र है घूमता, समझो इसका सार। देता सबको सीख है, जो माने वह पार।। रचा

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#Like__Follow__And__Share #sad_shayari #Bhakti #Video  White श्री कृष्ण 🥰 गोविंद मुरारी ♥️

Uff तुम्हारी ये मुस्कान 💞

“ दिल तुमसे लगा बैठे हैं,
प्रेम की राह पर सपने सजाएं बैठे है,
हर किसी ने तोड़े है सपने हमारे,
एक तू ही है कन्हैया, 
जिससे हर उम्मीद लगाए बैठे है…”

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी ,
हे नाथ नारायण वासुदेवा..!!😘😘❤️😌

©Hina Kumari my Instagram ID @Rakesh radhika sarda

#sad_shayari 🙏🙏जय श्री कृष्ण 🙏🙏 रंग तो तेरा श्याम है कान्हा तिरछे तेरे नैन, रूप सलोना है मोहन और बांके तेरे बैन...!! शंख चक्र वैजयंती माल

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आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती समुद्र से बादल बन मेंह बनकर फिर बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा आत्मा पवित्र और शुद्ध होती मैला तो तन और मन होता जल को क्या मालूम बिस्लेरी का काम बुझाना प्यास जल का आत्मा का वास तन का मन क्या जाने उसको तो बस रहता इंतजार उस दिन मिलन होना प्रभु से कब इसी आस में जीना ©Mahadev Son

#Bhakti  आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल 
प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती

समुद्र से बादल बन मेंह बनकर  फिर 
बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में 

चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा 
आत्मा पवित्र और शुद्ध होती

मैला तो तन और मन होता
जल को क्या मालूम बिस्लेरी का 
काम बुझाना प्यास जल का 

आत्मा का वास तन का मन क्या जाने
उसको तो बस रहता इंतजार उस दिन

मिलन होना प्रभु से कब इसी आस में जीना

©Mahadev Son

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15 Love

White जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते... मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि मुश्किल या मालूम ही नहीं.... मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार। जीवन की अंतिम परिणति है। मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है! आत्मा को जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से मुक्त करता है! ©Mahadev Son

#Bhakti  White  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते...

मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि
मुश्किल या मालूम ही नहीं....


       मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार।    
           जीवन की अंतिम परिणति है। 

मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के
संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है!

आत्मा को जीवन, मृत्यु और
पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से
मुक्त करता है!

©Mahadev Son

जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना ह

14 Love

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का हिसाब किताब जैसा वैसा तन पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को ©Mahadev Son

#Bhakti  आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी
जन्म मन का, मरण तन का हुआ

यही जीवन चक्र सृजन हुआ
जिसका नष्ट भी होना तय उसका
सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी

त्याग देगा, भर जायेगा, मन इस तन से 
मन तो अज़र है बस कर्मों पे निर्भर है 

कर्म अच्छे होंगें जितने तन पायेगा वैसा
जैसे जेब में पैसे होते वैसे वस्त्र खरीदता तू 

गणित यहाँ माया का वहाँ कर्मों का
हिसाब किताब जैसा वैसा तन

पायेगा भोगेगा क्या फिर से मन को भी न
मालूम वर्ना छोड़ता न कभी इस तन को

©Mahadev Son

आत्मा थी अज़र है अमर रहेगी जन्म मन का, मरण तन का हुआ यही जीवन चक्र सृजन हुआ जिसका नष्ट भी होना तय उसका सफर यही तक ये तेरी ही भूल थी त्याग द

11 Love

#funnybaba513🤣🤣 #कॉमेडी #dkbaba513💔 #dkbaba001💔

लड़ाई की चक्र मैं भारी नुकसान होगया 😭 #Nojoto #funnybaba513🤣🤣 #dkbaba513💔 #dkbaba001💔

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