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New 'अंतर्मन में संघर्ष' Status, Photo, Video

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#कविता  अंतर्मन की सुनो"

हाड़ मांस का पुतला है ये दिल, इससे भी 
जाने अनजाने में ,कभी गलतियां हो जाती हैं ।
ऐसा वक्त भी आता है, होश नहीं रहता दिल
 को पिघल के सांसें अग्नि शिखा में बह जाती हैं।

 ना कोई ग्लानि, न पश्चाताप, मधुर पलों की 
चिरस्थाई ,यादें बनकर बस हृदय में रह जाती हैं 
दोष नहीं होता उस क्षण का,अकस्मात की
 घटना, स्वीकारोक्ति कहती  है "अंतर्मन की सुनो"।

©Anuj Ray

# अंतर्मन की सुनो"

198 View

#विचार  White कुछ ऐसा है उसका जीवन 
जैसे पानी में है दर्पन 
कुछ ऐसा है उसका जीवन ।।
आँखें कुछ उसकी ऐसी हैं 
जैसे कि बोल पड़ेंगी वो 
कोयल सी कूक है बातों में 
सबके मन पीर हरेंगी वो
वो तितली सी वो बुलबुल सी 
मेरे मन में है वो हलचल सी 
है भाव भरा उसका ये मन 
कुछ ऐसा है उसका जीवन।।

©Sachin Goswami

# मेरा अंतर्मन

54 View

#शायरी

अंतर्मन

117 View

#संघर्ष #विचार  *संघर्ष में आदमी अकेला* 
  *होता है*❗
   *सफलता में दुनिया उसके*
      *साथ होती है‼️*

*जब-जब ये जग किसी*
  *पर हंसा है*
    *तब-तब उसी ने इतिहास*
       *रचा है*‼️

          🙏 *प्रमोद मालाकार*🙏

©pramod malakar

#संघर्ष में आदमी अकेला होता है

153 View

मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व तिमिर सा गहन होता जा रहा है एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ... ©Richa Dhar

#कविता #samay  मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में
और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है
समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे 
वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है
समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको
ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है
सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप
अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है 
तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व
तिमिर सा गहन होता जा रहा है
एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ 
आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ...

©Richa Dhar

#samay अंतर्मन

17 Love

#बारिशें #अंतर्मन #शायरी #की  ये जो हमारे अंतर्मन की बारिशें हैं,
यही तो जगाती सैंकड़ों ख़्वाहिशें हैं।
अगर अंतर्मन को संतुष्ट कर लेंगे,
अपने जीवन को खुशियों से भर देंगे।

©Amit Singhal "Aseemit"
#कविता  अंतर्मन की सुनो"

हाड़ मांस का पुतला है ये दिल, इससे भी 
जाने अनजाने में ,कभी गलतियां हो जाती हैं ।
ऐसा वक्त भी आता है, होश नहीं रहता दिल
 को पिघल के सांसें अग्नि शिखा में बह जाती हैं।

 ना कोई ग्लानि, न पश्चाताप, मधुर पलों की 
चिरस्थाई ,यादें बनकर बस हृदय में रह जाती हैं 
दोष नहीं होता उस क्षण का,अकस्मात की
 घटना, स्वीकारोक्ति कहती  है "अंतर्मन की सुनो"।

©Anuj Ray

# अंतर्मन की सुनो"

198 View

#विचार  White कुछ ऐसा है उसका जीवन 
जैसे पानी में है दर्पन 
कुछ ऐसा है उसका जीवन ।।
आँखें कुछ उसकी ऐसी हैं 
जैसे कि बोल पड़ेंगी वो 
कोयल सी कूक है बातों में 
सबके मन पीर हरेंगी वो
वो तितली सी वो बुलबुल सी 
मेरे मन में है वो हलचल सी 
है भाव भरा उसका ये मन 
कुछ ऐसा है उसका जीवन।।

©Sachin Goswami

# मेरा अंतर्मन

54 View

#शायरी

अंतर्मन

117 View

#संघर्ष #विचार  *संघर्ष में आदमी अकेला* 
  *होता है*❗
   *सफलता में दुनिया उसके*
      *साथ होती है‼️*

*जब-जब ये जग किसी*
  *पर हंसा है*
    *तब-तब उसी ने इतिहास*
       *रचा है*‼️

          🙏 *प्रमोद मालाकार*🙏

©pramod malakar

#संघर्ष में आदमी अकेला होता है

153 View

मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व तिमिर सा गहन होता जा रहा है एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ... ©Richa Dhar

#कविता #samay  मैं अभी भी वहीं रुकी हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा में
और आहिस्ता आहिस्ता समय बीत रहा है
समंदर के किनारे रेत पर जो तुमने पदचिन्ह बनाये थे 
वो मेरे हृदय में अपनी छाप छोड़ता जा रहा है
समय की गति का अंदाजा भी नहीं है तुमको
ये उम्र अब यौवन को ढलती उम्र का लिबाज़ पहना रहा है
सुबह के सूरज सा चमकता था जो मेरा रंग-रूप
अब आहिस्ता आहिस्ता धूमिल हो रहा है 
तुम्हारी प्रतीक्षा में मेरा व्यक्तित्व
तिमिर सा गहन होता जा रहा है
एक बार इस अंर्तमन की व्यथा को समझ के आ जाओ 
आ जाओ प्रिय इन श्वासों का बोझ अब सहन नहीं हो रहा है ...

©Richa Dhar

#samay अंतर्मन

17 Love

#बारिशें #अंतर्मन #शायरी #की  ये जो हमारे अंतर्मन की बारिशें हैं,
यही तो जगाती सैंकड़ों ख़्वाहिशें हैं।
अगर अंतर्मन को संतुष्ट कर लेंगे,
अपने जीवन को खुशियों से भर देंगे।

©Amit Singhal "Aseemit"
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