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#परिवार #सम्मान #FathersDaySpecial #प्यार #कविता #HappyFathersDay  White 

एक पिता सदा देता रहा ,अपने संतानों को प्यार ।
अपने कांधे मे सदा ही रखा ,अपनो परिवार के दायित्वों का भार ।

वो कभी नहीं घुटने दिए ,अपने बच्चों के वो अरमान को ।
एक मांग था , लाकर दिया हर सामान को ।।

एक पिता पालता  है अपने परिवार को , रखता है पूरा  ध्यान ।
घर में मिलता हो कभी , भले न मिले उसको मान ।।

एक पिता नहीं  वो भगवान है , पर समझे है कौन ।
ये दुनिया इस सम्मान पर ,कभी हो जाती है मौन ।।

ये बच्चे बेशक दें नहीं देते , कभी अपने पिता को मान ।
पिता मगर रखता सदा है , अपने बच्चों का ध्यान ।।

©Shivkumar बेजुबान शायर

#fathers_day #HappyFathersDay #FathersDay #FathersDaySpecial #Family #familylove एक #पिता सदा देता रहा ,अपने संतानों को #प्यार । अपन

162 View

#Motivational #sad_shayari #story  White कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं।

क्रोधः पापस्य कारणम् – अर्थः क्रोध पाप का कारण होता हैं।

©Ganesh joshi

#sad_shayari कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं। क्रोधः पापस्य कारणम् – अर्थः क्रोध पाप का कारण होता हैं। #sto

108 View

#nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi #गरल  गरल (दोहे)

गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान।
कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।।

दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह।
मर्म उसे सोहे नहीं, उसको क्या परवाह।।

गरल धरे जो कंठ में, वो हैं भोले नाथ।
दुष्टों का संहार कर, भक्तों का दें साथ।।

करे गरल का त्याग जो, सज्जन उसको मान।
छोड़ सभी वह द्वेष को, करता सुख का पान।।

गरल भरे आस्तीन में, छिप कर करता वार।
अपमानित होता तभी, मन में रखता भार।।
..............................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#गरल #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे

153 View

#Motivational #mahadev #status #story #Smile  White कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं।

©Ganesh joshi

#Smile कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं। #story #status #mahadev #story

81 View

 White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , 
तुम भी ऊँचे बन जाओ । 
ये सागर कहता तुम लहराकर , 
तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ ।

तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है ,
तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा ।
तु भर ले अपने इस मन में , 
तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥

पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , 
  इस सर पर भार कितना ही हो । 
नभ कहता फैलो इतना कि , 
तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥

©Shivkumar

#mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो

126 View

#आंजनेय #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  आंजनेय (दोहे)

आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान।
निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान।

दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।
देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट।

हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान।
लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान।

संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार।
जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार।

भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार।
हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार।
.................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं

423 View

#परिवार #सम्मान #FathersDaySpecial #प्यार #कविता #HappyFathersDay  White 

एक पिता सदा देता रहा ,अपने संतानों को प्यार ।
अपने कांधे मे सदा ही रखा ,अपनो परिवार के दायित्वों का भार ।

वो कभी नहीं घुटने दिए ,अपने बच्चों के वो अरमान को ।
एक मांग था , लाकर दिया हर सामान को ।।

एक पिता पालता  है अपने परिवार को , रखता है पूरा  ध्यान ।
घर में मिलता हो कभी , भले न मिले उसको मान ।।

एक पिता नहीं  वो भगवान है , पर समझे है कौन ।
ये दुनिया इस सम्मान पर ,कभी हो जाती है मौन ।।

ये बच्चे बेशक दें नहीं देते , कभी अपने पिता को मान ।
पिता मगर रखता सदा है , अपने बच्चों का ध्यान ।।

©Shivkumar बेजुबान शायर

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#Motivational #sad_shayari #story  White कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं।

क्रोधः पापस्य कारणम् – अर्थः क्रोध पाप का कारण होता हैं।

©Ganesh joshi

#sad_shayari कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं। क्रोधः पापस्य कारणम् – अर्थः क्रोध पाप का कारण होता हैं। #sto

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#nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi #गरल  गरल (दोहे)

गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान।
कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।।

दुष्ट धरे जो भावना, वो बदले की राह।
मर्म उसे सोहे नहीं, उसको क्या परवाह।।

गरल धरे जो कंठ में, वो हैं भोले नाथ।
दुष्टों का संहार कर, भक्तों का दें साथ।।

करे गरल का त्याग जो, सज्जन उसको मान।
छोड़ सभी वह द्वेष को, करता सुख का पान।।

गरल भरे आस्तीन में, छिप कर करता वार।
अपमानित होता तभी, मन में रखता भार।।
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देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#गरल #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry गरल (दोहे) गरल भरे मन में यहाँ, देखो जो इंसान। कष्ट भोगता है वही, कहते हैं भगवान।। दुष्ट धरे

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#Motivational #mahadev #status #story #Smile  White कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं।

©Ganesh joshi

#Smile कोअतिभारः समर्थानाम – अर्थः समर्थ जनों के लिए क्या अधिक भार हैं। #story #status #mahadev #story

81 View

 White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , 
तुम भी ऊँचे बन जाओ । 
ये सागर कहता तुम लहराकर , 
तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ ।

तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है ,
तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा ।
तु भर ले अपने इस मन में , 
तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥

पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , 
  इस सर पर भार कितना ही हो । 
नभ कहता फैलो इतना कि , 
तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥

©Shivkumar

#mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो

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#आंजनेय #nojotohindipoetry #दोहे #sandiprohila #nojotohindi  आंजनेय (दोहे)

आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान।
निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान।

दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट।
देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट।

हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान।
लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान।

संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार।
जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार।

भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार।
हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार।
.................................................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं

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