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#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #Motivational #inspirdaily #RohanRoy  White दुनिया की सारी बखान तो केवल, 
हमारा अभिमान करता है। 
जो हमसे हमारी इंसानियत की, 
पहचान छीन लेता है। 
हमारी पहचान बस इतनी सी है, 
कि हम केवल एक इंसान हैं।

©Rohan Roy

दुनिया की सारी बखान तो केवल, हमारा अभिमान करता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #RohanRoymotivatio

117 View

ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।। मोह जिस बाप में आज औलाद का । उनको धृतराष्ट्र खुद में दिखे कुछ नही ।। माफ़ कर दो उन्हें आज नादान वो । हमको लगते अभी वो बुरे कुछ नही ।। जिनकी आखों पे चश्मा चढ़ा प्यार का । ऐब अपनों में उनको मिले कुछ नही । चुप रहा और देखा तमाशा सभी । उनको ऊँचा किया पर झुके कुछ नही ।। इस तरह तोड़ अभिमान मेरा दिया । सिर उठाना भी चाहूँ उठे कुछ नही ।। मिट गये है वहम अपने पन के सभी । कह दिया है प्रखर तुम रहे कुछ नही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही ।
आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।।

मोह जिस बाप में आज औलाद का ।
उनको धृतराष्ट्र खुद में दिखे कुछ नही ।।

माफ़ कर दो उन्हें आज नादान वो ।
हमको लगते अभी वो बुरे कुछ नही ।।

जिनकी आखों पे चश्मा चढ़ा प्यार का ।
ऐब अपनों में उनको मिले कुछ नही ।

चुप रहा और देखा तमाशा सभी ।
उनको ऊँचा किया पर झुके कुछ नही ।।

इस तरह तोड़ अभिमान मेरा दिया ।
सिर उठाना भी चाहूँ उठे कुछ नही ।।

मिट गये है वहम अपने पन के सभी ।
कह दिया है प्रखर तुम रहे कुछ नही ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।।

14 Love

#शुभकामनाएं #अभिमान #स्वभाव #विचार #सूर्य #डूबने  White अपना स्वभाव सूर्य की तरह रखें... 
जिसे ना उगने का अभिमान है 
और ना ही डूबने का डर ...

आप सभी को फादर डे की बहुत बहुत शुभकामनाएं

©Mukesh Poonia

#fathers_day अपना #स्वभाव #सूर्य की तरह रखें... जिसे ना #उगने का #अभिमान है और ना ही #डूबने का डर ... आप सभी को #फादर #डे की बहुत बहुत #शु

297 View

#अभिमान #कविता  अलग अलग प्रकार के व्यंजन
जो तु मंहगे-मंहगे होटलों में खाता है
हमें देखकर जो तु घिन्नाता है
उगाते है उन फसलों को
ये घिन्नौने हाथ ही
तो बता न
इन घिन्नौने हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

बड़े- बडे मकानों में
जो तु आराम फर्माता है
देख हमारी झोपड़ी जो तु इसे धब्बा बताता है
बनाते हैं उन मकानों को
ये धब्बिले हाथ ही
तो बता न
इन धब्बिले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

मंहगे मंहगे कपड़े पहन
जो तु इठलाता है
देख मैले कुच्चे कपडो को हमारी
जो तु निच दृष्टि डालता है
बुनते है उन कपडो को
ये मैले कुचले हाथ ही
तो बता न
इन मैले कुचले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

तेरा पेट भरते है
तुझे स्वच्छ, स्वस्थ्य रखते हैं
महलों में बिठा तुझे , खुद झोपड़ी में रहते हैं
गाड़ी में बिठा तुझे, खुद पैदल ही चलते हैं
खुदपर अभिमान करते नहीं 
       लेकिन
तुम भी सम्मान करते नहीं

तुम्हारी नजरों में जब हमारा सम्मान नही
तो बता अभिमान क्यों नहीं?

©कलम की दुनिया

#अभिमान क्यों न हो

144 View

दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद में , दे सुंदर परिणाम ।। परम-पिता से मेल का, कष्ट बनाये योग । बाद मृत्यु के आप भी , करते इसका भोग ।। जीवन के संताप को ,  एक परीक्षा जान । करते जाओ पार सब , पाओगे सम्मान ।। मीठे होंगे फल सभी , पहले कर संतोष । यूँ ही अपने भाग्य को , नहीं आप दें दोष ।। करता जो संघर्ष है , मन में अपने ठान । पाता है वह एक दिन , जग में सुन सम्मान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान ।
मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।।

जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम ।
एक समय के बाद में , दे सुंदर परिणाम ।।

परम-पिता से मेल का, कष्ट बनाये योग ।
बाद मृत्यु के आप भी , करते इसका भोग ।।

जीवन के संताप को ,  एक परीक्षा जान ।
करते जाओ पार सब , पाओगे सम्मान ।।

मीठे होंगे फल सभी , पहले कर संतोष ।
यूँ ही अपने भाग्य को , नहीं आप दें दोष ।।

करता जो संघर्ष है , मन में अपने ठान ।
पाता है वह एक दिन , जग में सुन सम्मान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद

14 Love

#अभिमानी_तिरंगा #कविता  फहर रहा तिरंगा उस दिन
लाशों के बीच
न जाने कितने दिन रातें गिन
बड़े ही शान से
बड़े ही अभिमान से


इन्द्र देव ने स्वागत किया
इन्द्रधनुष के बान से
बाकी सारे देवताएं लगा रहे थे जयकारा
हजारों हजारों वीरों के नाम से
आजाद देश का तिरंगा लहर रहा था उस दिन
पुरे विश्व पटल पर
बड़े अभिमान से

कितना अभिमानी था वो तिरंगा
जो फहर रहा था लाशों के बीच
बड़े ही आराम से


क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ एक बच्चा भी रहता है तैयार
करने को न्योछावर अपनी जान
बस इस तिरंगे के नाम से

क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ 19 साल के बच्चे ने अपना घर परिवार, यौवन
सारा सुख त्यागकर
फांसी के फंदे को चुमा था
बस इस तिरंगे के नाम से
तो बताओ क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी

क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ माँ अपने बच्चे को खिलौने की जगह
तलवार से खेलना सिखाती थी
लोरी की जगह
देशभक्ति गीत सुनाती थी
जान न्योछावर करने को सिखाती थी
बस इस तिरंगे के नाम से
तो बताओ क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी

आकाश में ऊंचा फहर रहा वो तिरंगा अभिमानी
आजादी को बताता है
कितने बलिदान हुए, कितनों के खुन से सिंचा ये तिरंगा अभिमानी
वीरों की गाथा को गाता है
विश्वपटल पर फहर रहा ये तिरंगा अभिमानी
विकासशील भारत को विकसित होता बताता है

हाँ ये तिरंगा अभिमानी
हमेशा अभिमानी ही रहेगा
इसके अभिमान के लिए
हर हिंदुस्तानी अपना यौवन न्योछावर करेगा

©कलम की दुनिया
#motivation_for_life #rohanroymotivation #dailymotivation #Motivational #inspirdaily #RohanRoy  White दुनिया की सारी बखान तो केवल, 
हमारा अभिमान करता है। 
जो हमसे हमारी इंसानियत की, 
पहचान छीन लेता है। 
हमारी पहचान बस इतनी सी है, 
कि हम केवल एक इंसान हैं।

©Rohan Roy

दुनिया की सारी बखान तो केवल, हमारा अभिमान करता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #RohanRoymotivatio

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ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।। मोह जिस बाप में आज औलाद का । उनको धृतराष्ट्र खुद में दिखे कुछ नही ।। माफ़ कर दो उन्हें आज नादान वो । हमको लगते अभी वो बुरे कुछ नही ।। जिनकी आखों पे चश्मा चढ़ा प्यार का । ऐब अपनों में उनको मिले कुछ नही । चुप रहा और देखा तमाशा सभी । उनको ऊँचा किया पर झुके कुछ नही ।। इस तरह तोड़ अभिमान मेरा दिया । सिर उठाना भी चाहूँ उठे कुछ नही ।। मिट गये है वहम अपने पन के सभी । कह दिया है प्रखर तुम रहे कुछ नही ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही ।
आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।।

मोह जिस बाप में आज औलाद का ।
उनको धृतराष्ट्र खुद में दिखे कुछ नही ।।

माफ़ कर दो उन्हें आज नादान वो ।
हमको लगते अभी वो बुरे कुछ नही ।।

जिनकी आखों पे चश्मा चढ़ा प्यार का ।
ऐब अपनों में उनको मिले कुछ नही ।

चुप रहा और देखा तमाशा सभी ।
उनको ऊँचा किया पर झुके कुछ नही ।।

इस तरह तोड़ अभिमान मेरा दिया ।
सिर उठाना भी चाहूँ उठे कुछ नही ।।

मिट गये है वहम अपने पन के सभी ।
कह दिया है प्रखर तुम रहे कुछ नही ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- आज रिश्तों में रिश्ते बचे कुछ नही । आज अपनों से अपने कहे कुछ नही ।।

14 Love

#शुभकामनाएं #अभिमान #स्वभाव #विचार #सूर्य #डूबने  White अपना स्वभाव सूर्य की तरह रखें... 
जिसे ना उगने का अभिमान है 
और ना ही डूबने का डर ...

आप सभी को फादर डे की बहुत बहुत शुभकामनाएं

©Mukesh Poonia

#fathers_day अपना #स्वभाव #सूर्य की तरह रखें... जिसे ना #उगने का #अभिमान है और ना ही #डूबने का डर ... आप सभी को #फादर #डे की बहुत बहुत #शु

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#अभिमान #कविता  अलग अलग प्रकार के व्यंजन
जो तु मंहगे-मंहगे होटलों में खाता है
हमें देखकर जो तु घिन्नाता है
उगाते है उन फसलों को
ये घिन्नौने हाथ ही
तो बता न
इन घिन्नौने हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

बड़े- बडे मकानों में
जो तु आराम फर्माता है
देख हमारी झोपड़ी जो तु इसे धब्बा बताता है
बनाते हैं उन मकानों को
ये धब्बिले हाथ ही
तो बता न
इन धब्बिले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

मंहगे मंहगे कपड़े पहन
जो तु इठलाता है
देख मैले कुच्चे कपडो को हमारी
जो तु निच दृष्टि डालता है
बुनते है उन कपडो को
ये मैले कुचले हाथ ही
तो बता न
इन मैले कुचले हाथों पर
अभिमान क्यों न हो? 

तेरा पेट भरते है
तुझे स्वच्छ, स्वस्थ्य रखते हैं
महलों में बिठा तुझे , खुद झोपड़ी में रहते हैं
गाड़ी में बिठा तुझे, खुद पैदल ही चलते हैं
खुदपर अभिमान करते नहीं 
       लेकिन
तुम भी सम्मान करते नहीं

तुम्हारी नजरों में जब हमारा सम्मान नही
तो बता अभिमान क्यों नहीं?

©कलम की दुनिया

#अभिमान क्यों न हो

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दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद में , दे सुंदर परिणाम ।। परम-पिता से मेल का, कष्ट बनाये योग । बाद मृत्यु के आप भी , करते इसका भोग ।। जीवन के संताप को ,  एक परीक्षा जान । करते जाओ पार सब , पाओगे सम्मान ।। मीठे होंगे फल सभी , पहले कर संतोष । यूँ ही अपने भाग्य को , नहीं आप दें दोष ।। करता जो संघर्ष है , मन में अपने ठान । पाता है वह एक दिन , जग में सुन सम्मान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान ।
मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।।

जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम ।
एक समय के बाद में , दे सुंदर परिणाम ।।

परम-पिता से मेल का, कष्ट बनाये योग ।
बाद मृत्यु के आप भी , करते इसका भोग ।।

जीवन के संताप को ,  एक परीक्षा जान ।
करते जाओ पार सब , पाओगे सम्मान ।।

मीठे होंगे फल सभी , पहले कर संतोष ।
यूँ ही अपने भाग्य को , नहीं आप दें दोष ।।

करता जो संघर्ष है , मन में अपने ठान ।
पाता है वह एक दिन , जग में सुन सम्मान ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- जीवन में किस बात का , कहिए है अभिमान । मृत्यु बाद सब चाहते , दो गज भू का दान ।। जीवन में संघर्ष ही , देता हरदम काम । एक समय के बाद

14 Love

#अभिमानी_तिरंगा #कविता  फहर रहा तिरंगा उस दिन
लाशों के बीच
न जाने कितने दिन रातें गिन
बड़े ही शान से
बड़े ही अभिमान से


इन्द्र देव ने स्वागत किया
इन्द्रधनुष के बान से
बाकी सारे देवताएं लगा रहे थे जयकारा
हजारों हजारों वीरों के नाम से
आजाद देश का तिरंगा लहर रहा था उस दिन
पुरे विश्व पटल पर
बड़े अभिमान से

कितना अभिमानी था वो तिरंगा
जो फहर रहा था लाशों के बीच
बड़े ही आराम से


क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ एक बच्चा भी रहता है तैयार
करने को न्योछावर अपनी जान
बस इस तिरंगे के नाम से

क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ 19 साल के बच्चे ने अपना घर परिवार, यौवन
सारा सुख त्यागकर
फांसी के फंदे को चुमा था
बस इस तिरंगे के नाम से
तो बताओ क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी

क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी
जहाँ माँ अपने बच्चे को खिलौने की जगह
तलवार से खेलना सिखाती थी
लोरी की जगह
देशभक्ति गीत सुनाती थी
जान न्योछावर करने को सिखाती थी
बस इस तिरंगे के नाम से
तो बताओ क्यों न हो वो तिरंगा अभिमानी

आकाश में ऊंचा फहर रहा वो तिरंगा अभिमानी
आजादी को बताता है
कितने बलिदान हुए, कितनों के खुन से सिंचा ये तिरंगा अभिमानी
वीरों की गाथा को गाता है
विश्वपटल पर फहर रहा ये तिरंगा अभिमानी
विकासशील भारत को विकसित होता बताता है

हाँ ये तिरंगा अभिमानी
हमेशा अभिमानी ही रहेगा
इसके अभिमान के लिए
हर हिंदुस्तानी अपना यौवन न्योछावर करेगा

©कलम की दुनिया
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