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#मौत_हूँ_मैं #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मौत हूँ मैं

................का शेष भाग..........

क्योंकि देख मौत हूँ मैं,
अधर्मी के लिए खौफ हूँ मैं।
बेगुनाह भी चपेट में आते,
पर क्या करूँ मौत हूँ मैं।

मुझे खुद का धर्म निभाना है,
यमराज तक तो ले जाना है।
तत्पश्चात न्याय वो ही करेंगे,
जो किये तूने तेरे कर्म कहेंगे।

जो की अटल सत्य है,
यही तो उचित कथ्य है।
मुझसे न पीछा छूटेगा,
आखिर तू भी टूटेगा।

जीवन सरल यदि जिओगे,
मुझसे भी बेखौफ़ रहोगे।
जीवन भी यह सुखद रहेगा,
धारा प्रवाह ही यह बहेगा।

मैं तो मौत हूँ मेरा काम है आना,
पर अकाल मृत्यु से तुम बचोगे।
ईश्वर की बात को अगर है माना,
फिर क्यों तुम अब मुझसे डरोगे।
..........................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मौत_हूँ_मैं #nojotohindi #nojotohindipoetry ............का शेष भाग प्रस्तुत है........... क्योंकि देख मौत हूँ मैं, अधर्मी के लिए खौफ हूँ

189 View

#mothers_day  White लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं,
पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बता सकूं,,
उसके स्नेह और प्यार को  चंद लफ्जो में जता सकूं।।
वो कहती हैं, जब बता आज क्या खाया तूने, तब अहसास होता हैं कि मां का साया भी पाया हैं मैंने।।
उसके जीवन भर प्रेम ,त्याग का मेरा अनुमान व्यर्थ हो जायेगा,,
जो नापू मै पोर्वो पर उसका मेरे सारे काम करना, मेरा जीवन अनर्थ हो जायेगा।।
जब वो बोले तू आजा न मैं तेरे लिए कुछ खास बनाऊंगी,,
उस पर लिख कर 4 लफ्ज़  मैं कैसे महान बताऊंगी।।।
मैं क्या लिखूं उस पर कुछ खास, 
जो मेरी दुनिया इतनी सुंदर लिखने वाली हो,,
वो प्यार हैं, परोपकार हैं,,
मीठा सा दुलार हैं,,
जो कायनात ने नवाजा रब का दिया उपहार हैं।।
न द्वेष हैं, न लालच शेष हैं।।
 जीवन का आधार हैं वो मां हैं,,
इसलिए विशेष हैं।।
Happy mother's day 💐❤️ 
mammy lot's of love.

©Kajal The Poetry Writer

#mothers_day लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बत

243 View

#शायरी #SAD  White न जाने क्यों सारे दर्द अश्क बनकर आ रहे हैं। शायद मेरी डायरी के पन्ने कोई गीत गुनगुना रहे हैं। आते आते रुक जाते हैं लब्ज़ लब पर तेरे लिए। आख़िरी वादा किया था जो वही निभा रहे हैं
।

©Yogesh Goswami

#SAD शेष कथा फिर कभी

5,958 View

#शायरी #nightthoughts  White .
बची  थी जो शेष जिंदगी उसी  को विशेष
बनाने के चक्कर में कब यह जीवन
भूत  से  वर्तमान,वर्तमान से भविष्य
में कहीं खो गया, पता ही नहीं लगा...

तुम्हारा कसकर हाथ पकड़ने की चाह में
 नमी जिंदगी.. कब सूखी रेत सी हो 
हाथों से फिसल गई पता ही नहीं लगा

न  मै..मेँ  रही,ना तुम.. तुम रहे
 तुम्हारी जो जिंदगी थी मैँ..कब -कैसे - क्यूं
रास्ते का पत्थर बन गई पता ही नहीं लगा...x

 कांच के टुकड़ों को क्यूँ हीरोँ  का नाम
दे...देकर यूं ही सहेजते रहे हम
जबकि अपना शीशे सा दिल  
कब पत्थर हो गया पता ही नहीं लगा..

 एक मुलाकात के  इंतजार में तुम्हारे ख्यालों को कब
 कस्तूरी..मृग.. मन..से जिंदगी..ऐ..रुह में उतार लिया...
पता ही नहीं लगा....

दीवारों को दर्द सुनाते सुनाते तन्हा दिल ने
तन्हा-तन्हा सी जिंदगी में कब..तन्हा..शहर बसा लिया
 पता ही नहीं लगा...पता  ही  नहीं  लगा...

©AwadheshPSRathore_7773

#nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत

126 View

प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है, शेष कुछ भी नहीं। ©||स्वयं लेखन||

#Life_Experiences #विचार #thought #Shiva #God  प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है,
शेष कुछ भी नहीं।

©||स्वयं लेखन||

प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है, शेष कुछ भी नहीं। #Life #Life_Experiences #Shiva #God #thought

14 Love

विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । देवो के वो देवा बैठी सोचूँ द्वारे । प्राणों को मैं हारे ।। ३ राधा-राधा बोलूँ । मस्ती में मैं डोलूँ ।। माई देखो झोली । मीठी दे दो बोली ।। ०३/०४/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द
१
आँखें जो मैं खोलूँ ।
कान्हा-कान्हा बोलूँ ।।
घेरे गोपी सारी ।
मैं कान्हा पे वारी ।।
२
पावें कैसे मेवा ।
देवो के वो देवा
बैठी सोचूँ द्वारे ।
प्राणों को मैं हारे ।।
३
राधा-राधा बोलूँ ।
मस्ती में मैं डोलूँ ।।
माई देखो झोली ।
मीठी दे दो बोली ।।
०३/०४/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा ।

14 Love

#मौत_हूँ_मैं #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मौत हूँ मैं

................का शेष भाग..........

क्योंकि देख मौत हूँ मैं,
अधर्मी के लिए खौफ हूँ मैं।
बेगुनाह भी चपेट में आते,
पर क्या करूँ मौत हूँ मैं।

मुझे खुद का धर्म निभाना है,
यमराज तक तो ले जाना है।
तत्पश्चात न्याय वो ही करेंगे,
जो किये तूने तेरे कर्म कहेंगे।

जो की अटल सत्य है,
यही तो उचित कथ्य है।
मुझसे न पीछा छूटेगा,
आखिर तू भी टूटेगा।

जीवन सरल यदि जिओगे,
मुझसे भी बेखौफ़ रहोगे।
जीवन भी यह सुखद रहेगा,
धारा प्रवाह ही यह बहेगा।

मैं तो मौत हूँ मेरा काम है आना,
पर अकाल मृत्यु से तुम बचोगे।
ईश्वर की बात को अगर है माना,
फिर क्यों तुम अब मुझसे डरोगे।
..........................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मौत_हूँ_मैं #nojotohindi #nojotohindipoetry ............का शेष भाग प्रस्तुत है........... क्योंकि देख मौत हूँ मैं, अधर्मी के लिए खौफ हूँ

189 View

#mothers_day  White लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं,
पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बता सकूं,,
उसके स्नेह और प्यार को  चंद लफ्जो में जता सकूं।।
वो कहती हैं, जब बता आज क्या खाया तूने, तब अहसास होता हैं कि मां का साया भी पाया हैं मैंने।।
उसके जीवन भर प्रेम ,त्याग का मेरा अनुमान व्यर्थ हो जायेगा,,
जो नापू मै पोर्वो पर उसका मेरे सारे काम करना, मेरा जीवन अनर्थ हो जायेगा।।
जब वो बोले तू आजा न मैं तेरे लिए कुछ खास बनाऊंगी,,
उस पर लिख कर 4 लफ्ज़  मैं कैसे महान बताऊंगी।।।
मैं क्या लिखूं उस पर कुछ खास, 
जो मेरी दुनिया इतनी सुंदर लिखने वाली हो,,
वो प्यार हैं, परोपकार हैं,,
मीठा सा दुलार हैं,,
जो कायनात ने नवाजा रब का दिया उपहार हैं।।
न द्वेष हैं, न लालच शेष हैं।।
 जीवन का आधार हैं वो मां हैं,,
इसलिए विशेष हैं।।
Happy mother's day 💐❤️ 
mammy lot's of love.

©Kajal The Poetry Writer

#mothers_day लिखने को तो मैं पूरी किताब, शायरियां, कविताएं पक्तियां, लिख दूं, पर" काया " मेरी इतनी औकात नहीं मैं उस मां को अपने शब्दो में बत

243 View

#शायरी #SAD  White न जाने क्यों सारे दर्द अश्क बनकर आ रहे हैं। शायद मेरी डायरी के पन्ने कोई गीत गुनगुना रहे हैं। आते आते रुक जाते हैं लब्ज़ लब पर तेरे लिए। आख़िरी वादा किया था जो वही निभा रहे हैं
।

©Yogesh Goswami

#SAD शेष कथा फिर कभी

5,958 View

#शायरी #nightthoughts  White .
बची  थी जो शेष जिंदगी उसी  को विशेष
बनाने के चक्कर में कब यह जीवन
भूत  से  वर्तमान,वर्तमान से भविष्य
में कहीं खो गया, पता ही नहीं लगा...

तुम्हारा कसकर हाथ पकड़ने की चाह में
 नमी जिंदगी.. कब सूखी रेत सी हो 
हाथों से फिसल गई पता ही नहीं लगा

न  मै..मेँ  रही,ना तुम.. तुम रहे
 तुम्हारी जो जिंदगी थी मैँ..कब -कैसे - क्यूं
रास्ते का पत्थर बन गई पता ही नहीं लगा...x

 कांच के टुकड़ों को क्यूँ हीरोँ  का नाम
दे...देकर यूं ही सहेजते रहे हम
जबकि अपना शीशे सा दिल  
कब पत्थर हो गया पता ही नहीं लगा..

 एक मुलाकात के  इंतजार में तुम्हारे ख्यालों को कब
 कस्तूरी..मृग.. मन..से जिंदगी..ऐ..रुह में उतार लिया...
पता ही नहीं लगा....

दीवारों को दर्द सुनाते सुनाते तन्हा दिल ने
तन्हा-तन्हा सी जिंदगी में कब..तन्हा..शहर बसा लिया
 पता ही नहीं लगा...पता  ही  नहीं  लगा...

©AwadheshPSRathore_7773

#nightthoughts शेष विशेष के जैसे चक्की के दो पाटों के बीच फंसती यह जिंदगी,किस तरह सादे मनुष्य से उसके जीवन की सारी सादगी छिन लेती है और अंतत

126 View

प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है, शेष कुछ भी नहीं। ©||स्वयं लेखन||

#Life_Experiences #विचार #thought #Shiva #God  प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है,
शेष कुछ भी नहीं।

©||स्वयं लेखन||

प्रकृति और परमेश्वर ही प्रेम है, शेष कुछ भी नहीं। #Life #Life_Experiences #Shiva #God #thought

14 Love

विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा । देवो के वो देवा बैठी सोचूँ द्वारे । प्राणों को मैं हारे ।। ३ राधा-राधा बोलूँ । मस्ती में मैं डोलूँ ।। माई देखो झोली । मीठी दे दो बोली ।। ०३/०४/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द
१
आँखें जो मैं खोलूँ ।
कान्हा-कान्हा बोलूँ ।।
घेरे गोपी सारी ।
मैं कान्हा पे वारी ।।
२
पावें कैसे मेवा ।
देवो के वो देवा
बैठी सोचूँ द्वारे ।
प्राणों को मैं हारे ।।
३
राधा-राधा बोलूँ ।
मस्ती में मैं डोलूँ ।।
माई देखो झोली ।
मीठी दे दो बोली ।।
०३/०४/२०२४   -  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विद्धुल्लेखा /शेषराज छन्द १ आँखें जो मैं खोलूँ । कान्हा-कान्हा बोलूँ ।। घेरे गोपी सारी । मैं कान्हा पे वारी ।। २ पावें कैसे मेवा ।

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