tags

New सहभागी लोकतंत्र की अवधारणा Status, Photo, Video

Find the latest Status about सहभागी लोकतंत्र की अवधारणा from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about सहभागी लोकतंत्र की अवधारणा.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#लोकतंत्र #वीडियो #treanding #Videos #story
#वीडियो #क्या

#क्या यही लोकतंत्र हैं @चुनाव आयोग कहा हैं

126 View

#कर्म_को_मतदान #एकमत__नीडरता #धर्म_को_नहीं #लोकतंत्र #शायरी #election  White गरीब की थाली में पुलाव आ गया 
लगता है शहर में चुनाव आ गया

©Ankit Upadhyay....
 White जो दीप खुद बुझा हुवा हो
वो दीप न दूजा जला सकता
जो निंदो में खुद सोया हुवा हो
वो औरों को न जगा सकता
'अंजान' उठो मतदान करो
क्यों झूठें वादों में खोए हुवे हो?
जो खुद न कदम बढ़ा सकता
तो कोई और भी न साथ आ सकता।

©कवि: अंजान

#VoteForIndia #लोकतंत्र #मतदान #कविता #शायरी #election #Poetry #Shayari

117 View

#कविता #nojotohindi #Likho  पल्लव की डायरी
लोकतंत्र का उत्सव,दमनकारी
एजेंसियों का तांडव चल रहा है
अन्याय अत्याचारी हो शासक
खाल जनता और विपक्ष की उधेड़ रहा है
मूल मुद्दों को दबाकर तौहीन सबकी कर रहा है
डर और भय का माहौल पैदा कर
व्यवस्था सब कराह रही है
रावण कंस दुर्योजन जैसा अंहकारी शासक 
जनता और विपक्ष को पनपने नही दे रहा है
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho लोकतंत्र का उत्सव दमनकारी #nojotohindi

234 View

#न्यायपालिका #पत्रकारिता #कार्यकारणी #लोकतंत्र #विधायिका #संविधान  शुद्ध, श्वेत एवं सत्य पत्र जनता के लिए, जनता द्वारा, मात्र जन हित में।

महान लोकतंत्र (Democracy) की सबसे महत्वपूर्ण रीढ़ (Foundation) हमारा संविधान (Constitution) है, परंतु हमारे इस संविधान को मजबूत बनाने हेतु, इन चतुर्थ (Fourth) स्तंभों (Pillars) का सशक्त होना भी अतिआवश्यक है, जो सौभाग्य से अनगिनत उतार चढ़ाव के बावजूद भी अब तक खड़ा है। परंतु प्रश्न है आख़िर कब तक ?

हमारे लोकतंत्र का प्रथम स्तंभ है कार्यकारणी (Executive), द्वितीय स्तंभ है विधायिका (Legislature), तृतीय स्तंभ है न्यायपालिका (Judiciary) मगर यह जो चतुर्थ स्तंभ है, वह भले ही संविधान से जुड़ा हुआ ना हो, परंतु चतुर्थ स्तंभ का महत्व, संविधान के अन्य स्तंभों में इसलिए आवश्यक है कि यह किसी भी सत्ता को निरंकुश होने नही देती, इनके कड़वे सवाल ही हर सत्ता के लिए लगाम का कार्य करती है, वह है पत्रकारिता (Journalism) जो अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

वैसे वर्तमान की वास्तविकता यह है कि यहां तो पत्रकारिता ही सत्ता के साथ बेलगाम हो चुकी है, वो चैनल निजी है, परंतु यह भी धीरे-धीरे पूर्णतया सरकारी होते जा रहे है या यूं कहें कि दरबारी हो चुकी है, कहने का उद्देश्य यह की चतुर्थ स्तंभ की स्थिति दयनीय एवं चिंताजनक है, साथ ही जो प्रथम एवं द्वितीय स्तंभ है वह भी लगभग सत्ता के चरणों में नतमस्तक है।

वर्तमान में हमारे लोकतंत्र के पास मात्र तृतीय स्तंभ ही है जो अब तक सरकार की जवाबदेही तय कर रही है, मुझे यह कहने में कोई भय या दबाव बिल्कुल नही है, इसलिए मैं यह कह सकता हूं कि, हमारे महान लोकतंत्र एवं महान संविधान की नींव, इज्ज़त, लाज, मान, सम्मान एवं सुरक्षा मात्र तृतीय स्तंभ न्यायपालिका पर ही निर्भर है।

अच्छा लगे तो अपना लो अपना समझो
बुरा लगे भी तो ठुकरा दो बेगाना समझो

©अदनासा-
#लोकतंत्र #वीडियो #treanding #Videos #story
#वीडियो #क्या

#क्या यही लोकतंत्र हैं @चुनाव आयोग कहा हैं

126 View

#कर्म_को_मतदान #एकमत__नीडरता #धर्म_को_नहीं #लोकतंत्र #शायरी #election  White गरीब की थाली में पुलाव आ गया 
लगता है शहर में चुनाव आ गया

©Ankit Upadhyay....
 White जो दीप खुद बुझा हुवा हो
वो दीप न दूजा जला सकता
जो निंदो में खुद सोया हुवा हो
वो औरों को न जगा सकता
'अंजान' उठो मतदान करो
क्यों झूठें वादों में खोए हुवे हो?
जो खुद न कदम बढ़ा सकता
तो कोई और भी न साथ आ सकता।

©कवि: अंजान

#VoteForIndia #लोकतंत्र #मतदान #कविता #शायरी #election #Poetry #Shayari

117 View

#कविता #nojotohindi #Likho  पल्लव की डायरी
लोकतंत्र का उत्सव,दमनकारी
एजेंसियों का तांडव चल रहा है
अन्याय अत्याचारी हो शासक
खाल जनता और विपक्ष की उधेड़ रहा है
मूल मुद्दों को दबाकर तौहीन सबकी कर रहा है
डर और भय का माहौल पैदा कर
व्यवस्था सब कराह रही है
रावण कंस दुर्योजन जैसा अंहकारी शासक 
जनता और विपक्ष को पनपने नही दे रहा है
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho लोकतंत्र का उत्सव दमनकारी #nojotohindi

234 View

#न्यायपालिका #पत्रकारिता #कार्यकारणी #लोकतंत्र #विधायिका #संविधान  शुद्ध, श्वेत एवं सत्य पत्र जनता के लिए, जनता द्वारा, मात्र जन हित में।

महान लोकतंत्र (Democracy) की सबसे महत्वपूर्ण रीढ़ (Foundation) हमारा संविधान (Constitution) है, परंतु हमारे इस संविधान को मजबूत बनाने हेतु, इन चतुर्थ (Fourth) स्तंभों (Pillars) का सशक्त होना भी अतिआवश्यक है, जो सौभाग्य से अनगिनत उतार चढ़ाव के बावजूद भी अब तक खड़ा है। परंतु प्रश्न है आख़िर कब तक ?

हमारे लोकतंत्र का प्रथम स्तंभ है कार्यकारणी (Executive), द्वितीय स्तंभ है विधायिका (Legislature), तृतीय स्तंभ है न्यायपालिका (Judiciary) मगर यह जो चतुर्थ स्तंभ है, वह भले ही संविधान से जुड़ा हुआ ना हो, परंतु चतुर्थ स्तंभ का महत्व, संविधान के अन्य स्तंभों में इसलिए आवश्यक है कि यह किसी भी सत्ता को निरंकुश होने नही देती, इनके कड़वे सवाल ही हर सत्ता के लिए लगाम का कार्य करती है, वह है पत्रकारिता (Journalism) जो अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

वैसे वर्तमान की वास्तविकता यह है कि यहां तो पत्रकारिता ही सत्ता के साथ बेलगाम हो चुकी है, वो चैनल निजी है, परंतु यह भी धीरे-धीरे पूर्णतया सरकारी होते जा रहे है या यूं कहें कि दरबारी हो चुकी है, कहने का उद्देश्य यह की चतुर्थ स्तंभ की स्थिति दयनीय एवं चिंताजनक है, साथ ही जो प्रथम एवं द्वितीय स्तंभ है वह भी लगभग सत्ता के चरणों में नतमस्तक है।

वर्तमान में हमारे लोकतंत्र के पास मात्र तृतीय स्तंभ ही है जो अब तक सरकार की जवाबदेही तय कर रही है, मुझे यह कहने में कोई भय या दबाव बिल्कुल नही है, इसलिए मैं यह कह सकता हूं कि, हमारे महान लोकतंत्र एवं महान संविधान की नींव, इज्ज़त, लाज, मान, सम्मान एवं सुरक्षा मात्र तृतीय स्तंभ न्यायपालिका पर ही निर्भर है।

अच्छा लगे तो अपना लो अपना समझो
बुरा लगे भी तो ठुकरा दो बेगाना समझो

©अदनासा-
Trending Topic