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#emotional_sad_shayari #Quotes  White Summer

The warmth on my skin, The heat on my face, Humidity in the air, The sweat after a race. Longest days with fun and joy, Is what summer brings. The sky in a brilliant shade of blue, And so many more things. The cold, tingling feeling of the pool, As our skin gives a sigh of relief. Our minds thinking of the lasy days, When nobody is in grief. Thesun shines merrily abov the horizon, Sharing its heart and light. A smile on everybody face

©Samar Rana

#emotional_sad_shayari Poem on summer

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White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ, सफर को कितनी बार दोहराया हूँ, किंतु जानी पहचानी इन गलियों में- बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! अब अंतहीन अँधियारा है गगन में, पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में, किसने मनमानी की इन गलियों में- उठते विचारों से सकपकाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नालियों में बजरी बदबू दबी है, कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है, जाहिलों से लबालब इन गलियों में- मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है, बस्तियों में प्रचंड मयखाने है, बेहोश मानवों की इन गलियों में- तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#poetananddadhich #kaviananddadhich #कविता #Sad_shayri #Pollution  White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ,
सफर को कितनी बार दोहराया हूँ,
किंतु जानी पहचानी इन गलियों में-
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

अब अंतहीन अँधियारा है गगन में,
पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में,
किसने मनमानी की इन गलियों में-
उठते विचारों से सकपकाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नालियों में बजरी बदबू दबी है,
कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है,
जाहिलों से लबालब इन गलियों में-
मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है,
बस्तियों में प्रचंड मयखाने है,
बेहोश  मानवों की इन गलियों में-
तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#विचार #SavePlanet #pujaudeshi #Pollution #Earth  White ज़िन्दगी है तो तूफ़ान आऐगे 
फिर गुजर भी जाऐगे 
कुदरत के रहस्य किसी क़ो समझ 
नहीं आऐगे, जो बो रहे है हम 
वही कटेगे फिर शिकवा शिकायत 
क्या मौसम मे बदलाव आऐगे 
बाढ़ मे वाहन, माचिस की डिब्बी की 
तरह तेरेगी और मकान डूबते नज़र 
आऐगे,दुबई की प्राकृतिक बरसात का plan देख लो, क्या हुआ,,अभी भी नहीं संभालेगा अगर 
धरती क़ो तो माल के साथ साथ जान 
के भी लाले पड़ जाऐगे...
Save planet Earth from pollution

©PФФJД ЦDΞSHI

एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है काली सूखी राहों पर, खंबे हम बो रहे है, अज्ञ विकास की राहों पर, लंबे हम हो रहे है। विलीन सी धाराओं पर, मैल हम धो रहे है, उदास जलमलाओं पर, लंबे हम हो रहे है। खुरदरे खड़े टीलों पर, शजर हम खो रहे है बनवा कोठे पर्वतों पर, लंबे हम हो रहे है। इन नशीली हवाओं पर, बाज़ सब रो रहे है, गिद्धों से हालातों पर, लंबे हम हो रहे है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#kaviananddadhich #poetananddadhich #कविता #PoemonPollution #POLLUTED_DELHI #hindipoetry  एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है

काली सूखी राहों पर,
खंबे हम बो रहे है,
अज्ञ विकास की राहों पर,
लंबे हम हो रहे है।

विलीन सी धाराओं पर,
मैल हम धो रहे है,
उदास जलमलाओं पर,
लंबे हम हो रहे है।

खुरदरे खड़े टीलों पर,
शजर हम खो रहे है
बनवा कोठे पर्वतों पर,
लंबे हम हो रहे है।

इन नशीली हवाओं पर,
बाज़ सब रो रहे है,
गिद्धों से हालातों पर,
लंबे हम हो रहे है।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#Pollution #hunarbaaz  Pollution  రాజకీయం కూడా ఒక మతం. అదొకపిండం-అందులోంచే యుద్దాలు పుడతాయి.

©VADRA KRISHNA

#Pollution *గైడీ మాస్రావా

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air pollution

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#emotional_sad_shayari #Quotes  White Summer

The warmth on my skin, The heat on my face, Humidity in the air, The sweat after a race. Longest days with fun and joy, Is what summer brings. The sky in a brilliant shade of blue, And so many more things. The cold, tingling feeling of the pool, As our skin gives a sigh of relief. Our minds thinking of the lasy days, When nobody is in grief. Thesun shines merrily abov the horizon, Sharing its heart and light. A smile on everybody face

©Samar Rana

#emotional_sad_shayari Poem on summer

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White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ, सफर को कितनी बार दोहराया हूँ, किंतु जानी पहचानी इन गलियों में- बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! अब अंतहीन अँधियारा है गगन में, पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में, किसने मनमानी की इन गलियों में- उठते विचारों से सकपकाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नालियों में बजरी बदबू दबी है, कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है, जाहिलों से लबालब इन गलियों में- मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है, बस्तियों में प्रचंड मयखाने है, बेहोश मानवों की इन गलियों में- तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ, बेचैन होकर आज घबराया हूँ ! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#poetananddadhich #kaviananddadhich #कविता #Sad_shayri #Pollution  White इन गलियों में कितनी बार आया हूँ,
सफर को कितनी बार दोहराया हूँ,
किंतु जानी पहचानी इन गलियों में-
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

अब अंतहीन अँधियारा है गगन में,
पेड़ मर चुके है धुओं की तपन में,
किसने मनमानी की इन गलियों में-
उठते विचारों से सकपकाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नालियों में बजरी बदबू दबी है,
कटे पशुओं की थोक बिक्री लगी है,
जाहिलों से लबालब इन गलियों में-
मन ही मन में बेबस सकुचाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

नशे नशेड़ियों की ही दुकानें है,
बस्तियों में प्रचंड मयखाने है,
बेहोश  मानवों की इन गलियों में-
तड़पते तन देख मैं छटपटाया हूँ,
बेचैन होकर आज घबराया हूँ !

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#विचार #SavePlanet #pujaudeshi #Pollution #Earth  White ज़िन्दगी है तो तूफ़ान आऐगे 
फिर गुजर भी जाऐगे 
कुदरत के रहस्य किसी क़ो समझ 
नहीं आऐगे, जो बो रहे है हम 
वही कटेगे फिर शिकवा शिकायत 
क्या मौसम मे बदलाव आऐगे 
बाढ़ मे वाहन, माचिस की डिब्बी की 
तरह तेरेगी और मकान डूबते नज़र 
आऐगे,दुबई की प्राकृतिक बरसात का plan देख लो, क्या हुआ,,अभी भी नहीं संभालेगा अगर 
धरती क़ो तो माल के साथ साथ जान 
के भी लाले पड़ जाऐगे...
Save planet Earth from pollution

©PФФJД ЦDΞSHI

एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है काली सूखी राहों पर, खंबे हम बो रहे है, अज्ञ विकास की राहों पर, लंबे हम हो रहे है। विलीन सी धाराओं पर, मैल हम धो रहे है, उदास जलमलाओं पर, लंबे हम हो रहे है। खुरदरे खड़े टीलों पर, शजर हम खो रहे है बनवा कोठे पर्वतों पर, लंबे हम हो रहे है। इन नशीली हवाओं पर, बाज़ सब रो रहे है, गिद्धों से हालातों पर, लंबे हम हो रहे है। डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳 ©Anand Dadhich

#kaviananddadhich #poetananddadhich #कविता #PoemonPollution #POLLUTED_DELHI #hindipoetry  एक सामयिक कविता - लंबे हम हो रहे है

काली सूखी राहों पर,
खंबे हम बो रहे है,
अज्ञ विकास की राहों पर,
लंबे हम हो रहे है।

विलीन सी धाराओं पर,
मैल हम धो रहे है,
उदास जलमलाओं पर,
लंबे हम हो रहे है।

खुरदरे खड़े टीलों पर,
शजर हम खो रहे है
बनवा कोठे पर्वतों पर,
लंबे हम हो रहे है।

इन नशीली हवाओं पर,
बाज़ सब रो रहे है,
गिद्धों से हालातों पर,
लंबे हम हो रहे है।

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' 🇮🇳

©Anand Dadhich
#Pollution #hunarbaaz  Pollution  రాజకీయం కూడా ఒక మతం. అదొకపిండం-అందులోంచే యుద్దాలు పుడతాయి.

©VADRA KRISHNA

#Pollution *గైడీ మాస్రావా

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