White बे-रहमी से तोड़ा उसने,
कलियों को ना छोड़ा उसने,
बागवान ठहरा बेचारा,
हाथ-पांव तक जोड़ा उसने,
दो दिन की रोटी भिजवाकर,
पीटा खूब ढिंढोरा उसने,
पत्थर का हो गया आदमी,
दिल को नहीं झिंझोड़ा उसने,
काट दिए कच्चे नींबु सा,
काफी देर निचोड़ा उसने,
अरमानों के ज़ख़्म कुरेदे,
मन को रक्खा कोरा उसने,
क़ामयाब मक़सद होने तक,
दिल पर डाला डोरा उसने,
ख़ुद से गलती किया ठीकरा,
औरों के सर फोड़ा उसने,
प्रेमी बन हटवाया 'गुंजन',
दूर राह का रोड़ा उसने,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
प्रयागराज उ• प्र•
©Shashi Bhushan Mishra
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