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New चाहाता राहु जनम जनम Status, Photo, Video

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#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (33 & 34) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

99 View

#Bhakti  हे औघड़दानी! तेरे शहर में हम रहते हैं।
तेरे चरणों की रज पाने,सब कुछ ही सहते हैं।।
जनम जनम की फटी बिवाई,उफ़ तक ना कहते हैं।
नाम तुम्हारा जो लेते हैं,वैतरनी से तर जाते हैं।।

©Bharat Bhushan pathak

हे औघड़दानी! तेरे शहर में हम रहते हैं। तेरे चरणों की रज पाने,सब कुछ ही सहते हैं।। जनम जनम की फटी बिवाई,उफ़ तक ना कहते हैं। नाम तुम्हारा जो ल

144 View

#कविता #lover #Holi   आ रंग दूं 

ऐ मेरी राधा
आ रंग दूं,
धीरे धीरे से
तेरी स्वेत गलियां ।
ऐसा रंग लगाऊं 
ऐसा रंग चढ़ाऊं 
मेरा खुद का 
श्याम रंग भी
लागे फीका फीका।
तू जितना उतारे 
रगड़ रगड़ के 
वो चढ़ता जाए
बिच्छू विष समाना।
तेरे लाल होठों 
को छू के 
एक एक करके 
बस निकले गालियां।
मेरे लिए तो
बस यही है
तेरी वो बलायियां।
जिसे सुनने को
जिसे पाने को
मैं हर बार
जनम लू यहां ।
जब भी मिले 
रंग दूं मैं 
धीरे धीरे से 
तेरी स्वेत गलियां।
ऐ मेरी राधा
आ रंग दूं।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK

#Holi आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं

207 View

#कविता  कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको,
कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......!
सुनो गर जनम दोबारा हो,
मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!!

चाहूँगी मैं जड़ में जाकर 
जड़ से तुमको सींचना..
मन वचन धरण 
नव अवतरण 
सब अपने भीतर भींचना.....

रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम,
भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..!
मेल असंभव क्यूँ हम तुम का,
इस पर उत्तर रखूँगी....!!

पुछूँगी कि किए कहाँ
वो भाव श्राद्ध 
कोमल कसीज,
खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ 
बोया गया था दंभ बीज...
उस नर्म धरा को पाछूँगी,
मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!!

मैं ढूंढूँगी 
वो वक्ष जहाँ,
स्त्रीत्व दबाया है निज का,
वो नेत्र जहाँ 
जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....!
प्रकृत विद्रोह तना होगा,
जब पुत्र पुरुष बना होगा.....

मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, 
कोमलताएं तलाशूँगी,
उन कारणों से जुझूँगी....
मैं तुमको जीना चाहूँगी......!!

अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व,
श्रेयस जो तुमने ढोया है...
और यूँ पुरुष को होने में 
कितने तक निज को खोया.....!
कदम कठिन रुक 
चलते चलते 
कित् जाकर आसान हुआ,
हृदय तुम्हारा पुरुष भार से 
किस हद तक पाषाण हुआ.....!!

मैं तुममें अंगीकार हो,
नवसृज होकर आऊँगी,
मैं तुमको जीना चाहूँगी........
फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!!
@पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya

कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में

3528 View

#हनुमान_चालीसा #हनुमान #भक्ति #hanumanjayanti #hanumanchalisa #hanumantemple

Shri Hanuman Chalisa (श्री हनुमान चालीसा) chaupai (33 & 34) explained with Hindi meaning (हिंदी अनुवाद/ अर्थ) ॥ Let's Learn with The Mystic

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#Bhakti  हे औघड़दानी! तेरे शहर में हम रहते हैं।
तेरे चरणों की रज पाने,सब कुछ ही सहते हैं।।
जनम जनम की फटी बिवाई,उफ़ तक ना कहते हैं।
नाम तुम्हारा जो लेते हैं,वैतरनी से तर जाते हैं।।

©Bharat Bhushan pathak

हे औघड़दानी! तेरे शहर में हम रहते हैं। तेरे चरणों की रज पाने,सब कुछ ही सहते हैं।। जनम जनम की फटी बिवाई,उफ़ तक ना कहते हैं। नाम तुम्हारा जो ल

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#कविता #lover #Holi   आ रंग दूं 

ऐ मेरी राधा
आ रंग दूं,
धीरे धीरे से
तेरी स्वेत गलियां ।
ऐसा रंग लगाऊं 
ऐसा रंग चढ़ाऊं 
मेरा खुद का 
श्याम रंग भी
लागे फीका फीका।
तू जितना उतारे 
रगड़ रगड़ के 
वो चढ़ता जाए
बिच्छू विष समाना।
तेरे लाल होठों 
को छू के 
एक एक करके 
बस निकले गालियां।
मेरे लिए तो
बस यही है
तेरी वो बलायियां।
जिसे सुनने को
जिसे पाने को
मैं हर बार
जनम लू यहां ।
जब भी मिले 
रंग दूं मैं 
धीरे धीरे से 
तेरी स्वेत गलियां।
ऐ मेरी राधा
आ रंग दूं।
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK

#Holi आ रंग दूं ऐ मेरी राधा आ रंग दूं, धीरे धीरे से तेरी स्वेत गलियां । ऐसा रंग लगाऊं

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#कविता  कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको,
कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......!
सुनो गर जनम दोबारा हो,
मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!!

चाहूँगी मैं जड़ में जाकर 
जड़ से तुमको सींचना..
मन वचन धरण 
नव अवतरण 
सब अपने भीतर भींचना.....

रक्तिम सा भ्रुण बन कर तुम सम,
भ्रुण भ्रुण में अंतर परखूँगी..!
मेल असंभव क्यूँ हम तुम का,
इस पर उत्तर रखूँगी....!!

पुछूँगी कि किए कहाँ
वो भाव श्राद्ध 
कोमल कसीज,
खोजूँगी मैं वहाँ जहाँ 
बोया गया था दंभ बीज...
उस नर्म धरा को पाछूँगी,
मैं नमी का कारण जाचूँगी.......!!

मैं ढूंढूँगी 
वो वक्ष जहाँ,
स्त्रीत्व दबाया है निज का,
वो नेत्र जहाँ 
जलधि समान अश्रु छुपाया है निज का....!
प्रकृत विद्रोह तना होगा,
जब पुत्र पुरुष बना होगा.....

मैं तुममें सेंध लगाकर हाँ, 
कोमलताएं तलाशूँगी,
उन कारणों से जुझूँगी....
मैं तुमको जीना चाहूँगी......!!

अनुभूत करूँ तुमसा स्वामित्व,
श्रेयस जो तुमने ढोया है...
और यूँ पुरुष को होने में 
कितने तक निज को खोया.....!
कदम कठिन रुक 
चलते चलते 
कित् जाकर आसान हुआ,
हृदय तुम्हारा पुरुष भार से 
किस हद तक पाषाण हुआ.....!!

मैं तुममें अंगीकार हो,
नवसृज होकर आऊँगी,
मैं तुमको जीना चाहूँगी........
फिर तुमसे मिलन निबाहूँगी........!!
@पुष्पवृतियाँ

©Pushpvritiya

कुछ यूँ जानूँगी मैं तुमको, कुछ यूँ मैं मिलन निबाहूँगी......! सुनो गर जनम दोबारा हो, मैं तुमको जीना चाहूँगी..........!! चाहूँगी मैं जड़ में

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