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ओ बादल , तू आ जा रे मेरे शहर की छत पर छा जा रे ये सूरज बहुत भभकता है इसको जरा समझा जा रे बहुत तपाया इसने हमको अब जम के बूंद बरसा जा रे सूख गई है धरा ये सारी इसको तनिक भीगा जा रे झुलस गए है नन्हे पौधे इनको जरा हर्षा जा रे रे बादल , तू आ जा रे , मेरे शहर की छत पर छा जा रे ©Dheeraj Kumar Singh

#nojohindi #Nature #Summer #Earth #cloud  ओ बादल , तू  आ जा  रे 

मेरे शहर की छत पर छा जा रे

ये सूरज बहुत भभकता है 

इसको जरा समझा जा रे

बहुत तपाया इसने हमको

अब जम के बूंद बरसा जा रे

सूख गई  है धरा ये सारी

इसको तनिक भीगा जा रे

झुलस गए है नन्हे पौधे

इनको जरा  हर्षा जा रे

रे बादल , तू आ जा रे ,

मेरे शहर की छत पर छा जा रे

©Dheeraj Kumar Singh

White Fruit of darkness tastes sometimes good when it downpours on a barren land....... ©Sheeba

#Motivational #cloud  White Fruit of darkness tastes sometimes good when it downpours on a barren land.......

©Sheeba

#cloud positive_quotes

16 Love

वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है चुनाव की हर किताब में यहां मौसम सुहाना है सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए वादों पे कौन कितना यहां सरकार रहता है दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है ये वक्त का समंदर है राम हर हिसाब से गहरा कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है *राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि 🖊️....

#कविता #cloud  वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है 
नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है 

मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां 
मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है 

सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब 
जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है

चुनाव की  हर किताब में यहां मौसम सुहाना है 
सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है 

चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए 
वादों पे कौन  कितना यहां सरकार रहता है 

दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको 
एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है 

ये वक्त का समंदर है  राम हर  हिसाब से गहरा 
कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है

*राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि  🖊️....

#cloud

14 Love

#वीडियो #aroplane #Enjoy #cloud #badal

କେତେ ପର୍'କାରେ ଗରିବ୍ ଦେଖ୍'ବୁ ନାଇଁ କରି ହୁଏ ଠାବ୍, ମନର ଗରିବ୍, ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଆର୍ ଗରିବ୍ ଆଏ କାର୍ ସ୍ବଭାବ୍ । ଧନର୍ ଗରିବ୍ ,ଗରିବ୍ ନୁହେ ତାର୍ ଧନର୍ ଖାଲି ଅଭାବ୍, ବେଭାର୍ ଟିକ୍'କ ବନେ ବୋଲି କରି ସବୁଠାନେ ତାର୍ ଭାବ୍ । ମନର୍ ଗରିବ୍ ଦୁଇ ପେଚିଆ ଉପ୍'ରେ ଉପ୍'ରେ ବନେ, ଭିତର କେ ଆର୍ କିଏ ଦେଖୁଛେ ଅହଙ୍କାର୍ ଥିବା ଘନେ । ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଅବିଚାର୍ ଥି ଏକ୍ ନମର୍ ରଜା । ଅଡ଼ୁଆ ଭିତରେ ଲୁକ୍'କୁ ପକେଇ ଦେଖ୍'ବା ଖାଲି ମଜା । ବେଭାରେ ଗରିବ୍ ଦୁର୍'ବେଭାର୍ କେ ନିଜର୍ ବୋଲି ଭାବେ , ଆର୍ ନୁକୋ କଥା କେ ଛି ଥୁ କରି ରହେସି ନିଜର୍ ଲାଭେ‌ । ଆର୍ କେତେ ଯେ ଗରିବ୍ ଥିବେ ନାଇଁ ମିଲେ ତାର୍ ଧାର୍ , ନିଜେ ବନେ ଥିଲେ ସବୁ ବନେ ଇନେ ଇ କଥା ଟା ସାର୍ । ମୁନୁଷ୍ ଜୀବନ୍ ବଡ଼ା ଦୁର୍ଲଭ୍ ପୁଇଁନ୍ କଲେ ମିଲେ , ଧନ୍ ଥାଇ କରି ଗରିବ୍ ହେଲେ ଘାଣ୍ଟି ହେବୁ ଅର୍କଲେ । ©ଶ୍ରଦ୍ଧା......

#cloud  କେତେ ପର୍'କାରେ ଗରିବ୍ ଦେଖ୍'ବୁ 
ନାଇଁ କରି ହୁଏ ଠାବ୍,
ମନର ଗରିବ୍, ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଆର୍ 
ଗରିବ୍ ଆଏ କାର୍ ସ୍ବଭାବ୍ ।
ଧନର୍ ଗରିବ୍ ,ଗରିବ୍ ନୁହେ ତାର୍ 
ଧନର୍ ଖାଲି ଅଭାବ୍,
ବେଭାର୍ ଟିକ୍'କ ବନେ ବୋଲି କରି 
ସବୁଠାନେ ତାର୍ ଭାବ୍ ।
ମନର୍ ଗରିବ୍ ଦୁଇ ପେଚିଆ 
ଉପ୍'ରେ ଉପ୍'ରେ ବନେ,
ଭିତର କେ ଆର୍ କିଏ ଦେଖୁଛେ 
ଅହଙ୍କାର୍ ଥିବା ଘନେ ।
ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଅବିଚାର୍ ଥି 
ଏକ୍ ନମର୍ ରଜା ।
ଅଡ଼ୁଆ ଭିତରେ ଲୁକ୍'କୁ ପକେଇ 
ଦେଖ୍'ବା ଖାଲି ମଜା ।
ବେଭାରେ ଗରିବ୍ ଦୁର୍'ବେଭାର୍ କେ 
ନିଜର୍ ବୋଲି ଭାବେ ,
ଆର୍ ନୁକୋ କଥା କେ ଛି ଥୁ କରି ରହେସି 
ନିଜର୍ ଲାଭେ‌ । 
ଆର୍ କେତେ ଯେ ଗରିବ୍ ଥିବେ 
ନାଇଁ ମିଲେ ତାର୍ ଧାର୍ , 
ନିଜେ ବନେ ଥିଲେ ସବୁ ବନେ ଇନେ
 ଇ କଥା ଟା ସାର୍ ।
ମୁନୁଷ୍ ଜୀବନ୍ ବଡ଼ା ଦୁର୍ଲଭ୍ 
ପୁଇଁନ୍ କଲେ ମିଲେ ,
ଧନ୍ ଥାଇ କରି ଗରିବ୍ ହେଲେ 
ଘାଣ୍ଟି ହେବୁ ଅର୍କଲେ ।

©ଶ୍ରଦ୍ଧା......

#cloud ଗରିବ୍

14 Love

#कविता #cloud  सोचता हूँ कभी कभी की जिंदगी
कितनी अजीब है
सब कुछ पास होकर भी इंसा गरीब है, 

कमाता उम्र भर जमाने भर की दौलत को, 
और,एक पल में छोड़ चला जाता कमाई
 शोहरत को, 

सोचता हूँ कभी कभी... 

कभी मिलता ही नही समय की रब को भी
याद कर ले
बस ख्वाहिश, की बेइंतहा दौलत से खाली
जेब भर ले, 

इंसा की इसी फितरत को देखकर मन में 
ख्याल आता है
की  इंसा को कभी, क्या खुद के  मरने का, 
ख्याल भी आता है, 

सोचता हूँ कभी कभी....

सत्य है की खाली हाथ आना है, और खाली जाना
फिर क्यों हद से ज्यादा दौलत कमाना

ये जो मिले है चार पल जिंदगी के इन्हें हंस
खेल गुजार दो, लौट के फिर न आयेंगे ये पल चाहे 
 उम्र भर की कमाई दौलत इस पर वार दो

सोचता हूँ कभी कभी....

©पथिक..

#cloud of lyf

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ओ बादल , तू आ जा रे मेरे शहर की छत पर छा जा रे ये सूरज बहुत भभकता है इसको जरा समझा जा रे बहुत तपाया इसने हमको अब जम के बूंद बरसा जा रे सूख गई है धरा ये सारी इसको तनिक भीगा जा रे झुलस गए है नन्हे पौधे इनको जरा हर्षा जा रे रे बादल , तू आ जा रे , मेरे शहर की छत पर छा जा रे ©Dheeraj Kumar Singh

#nojohindi #Nature #Summer #Earth #cloud  ओ बादल , तू  आ जा  रे 

मेरे शहर की छत पर छा जा रे

ये सूरज बहुत भभकता है 

इसको जरा समझा जा रे

बहुत तपाया इसने हमको

अब जम के बूंद बरसा जा रे

सूख गई  है धरा ये सारी

इसको तनिक भीगा जा रे

झुलस गए है नन्हे पौधे

इनको जरा  हर्षा जा रे

रे बादल , तू आ जा रे ,

मेरे शहर की छत पर छा जा रे

©Dheeraj Kumar Singh

White Fruit of darkness tastes sometimes good when it downpours on a barren land....... ©Sheeba

#Motivational #cloud  White Fruit of darkness tastes sometimes good when it downpours on a barren land.......

©Sheeba

#cloud positive_quotes

16 Love

वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है चुनाव की हर किताब में यहां मौसम सुहाना है सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए वादों पे कौन कितना यहां सरकार रहता है दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है ये वक्त का समंदर है राम हर हिसाब से गहरा कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है *राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि 🖊️....

#कविता #cloud  वक्त पर बारिश हो तो यहां खेत गुलजार रहता है 
नहीं तो कौन यहां किसी के लिए तैयार रहता है 

मौसम जब भी बेवक्त करवटें बदले यहां 
मेहनत लाख करे किसान बेकार रहता है 

सुखी मिट्टी को है सदियों से बादल की तलब 
जैसे प्यार में कोई आशिक बेकरार रहता है

चुनाव की  हर किताब में यहां मौसम सुहाना है 
सपनों में उलझा हुआ कहीं बेरोजगार रहता है 

चुनाव की फसल बस कटने पर देखिए 
वादों पे कौन  कितना यहां सरकार रहता है 

दिन का सूरज समझे या रात का तारा उसको 
एक सोच का फर्क है जो बनके दीवार रहता है 

ये वक्त का समंदर है  राम हर  हिसाब से गहरा 
कोई इस पार रहता है कोई उस पार रहता है

*राणा रामशंकर सिंह* उर्फ बंजारा कवि  🖊️....

#cloud

14 Love

#वीडियो #aroplane #Enjoy #cloud #badal

କେତେ ପର୍'କାରେ ଗରିବ୍ ଦେଖ୍'ବୁ ନାଇଁ କରି ହୁଏ ଠାବ୍, ମନର ଗରିବ୍, ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଆର୍ ଗରିବ୍ ଆଏ କାର୍ ସ୍ବଭାବ୍ । ଧନର୍ ଗରିବ୍ ,ଗରିବ୍ ନୁହେ ତାର୍ ଧନର୍ ଖାଲି ଅଭାବ୍, ବେଭାର୍ ଟିକ୍'କ ବନେ ବୋଲି କରି ସବୁଠାନେ ତାର୍ ଭାବ୍ । ମନର୍ ଗରିବ୍ ଦୁଇ ପେଚିଆ ଉପ୍'ରେ ଉପ୍'ରେ ବନେ, ଭିତର କେ ଆର୍ କିଏ ଦେଖୁଛେ ଅହଙ୍କାର୍ ଥିବା ଘନେ । ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଅବିଚାର୍ ଥି ଏକ୍ ନମର୍ ରଜା । ଅଡ଼ୁଆ ଭିତରେ ଲୁକ୍'କୁ ପକେଇ ଦେଖ୍'ବା ଖାଲି ମଜା । ବେଭାରେ ଗରିବ୍ ଦୁର୍'ବେଭାର୍ କେ ନିଜର୍ ବୋଲି ଭାବେ , ଆର୍ ନୁକୋ କଥା କେ ଛି ଥୁ କରି ରହେସି ନିଜର୍ ଲାଭେ‌ । ଆର୍ କେତେ ଯେ ଗରିବ୍ ଥିବେ ନାଇଁ ମିଲେ ତାର୍ ଧାର୍ , ନିଜେ ବନେ ଥିଲେ ସବୁ ବନେ ଇନେ ଇ କଥା ଟା ସାର୍ । ମୁନୁଷ୍ ଜୀବନ୍ ବଡ଼ା ଦୁର୍ଲଭ୍ ପୁଇଁନ୍ କଲେ ମିଲେ , ଧନ୍ ଥାଇ କରି ଗରିବ୍ ହେଲେ ଘାଣ୍ଟି ହେବୁ ଅର୍କଲେ । ©ଶ୍ରଦ୍ଧା......

#cloud  କେତେ ପର୍'କାରେ ଗରିବ୍ ଦେଖ୍'ବୁ 
ନାଇଁ କରି ହୁଏ ଠାବ୍,
ମନର ଗରିବ୍, ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଆର୍ 
ଗରିବ୍ ଆଏ କାର୍ ସ୍ବଭାବ୍ ।
ଧନର୍ ଗରିବ୍ ,ଗରିବ୍ ନୁହେ ତାର୍ 
ଧନର୍ ଖାଲି ଅଭାବ୍,
ବେଭାର୍ ଟିକ୍'କ ବନେ ବୋଲି କରି 
ସବୁଠାନେ ତାର୍ ଭାବ୍ ।
ମନର୍ ଗରିବ୍ ଦୁଇ ପେଚିଆ 
ଉପ୍'ରେ ଉପ୍'ରେ ବନେ,
ଭିତର କେ ଆର୍ କିଏ ଦେଖୁଛେ 
ଅହଙ୍କାର୍ ଥିବା ଘନେ ।
ବିଚାରେ ଗରିବ୍ ଅବିଚାର୍ ଥି 
ଏକ୍ ନମର୍ ରଜା ।
ଅଡ଼ୁଆ ଭିତରେ ଲୁକ୍'କୁ ପକେଇ 
ଦେଖ୍'ବା ଖାଲି ମଜା ।
ବେଭାରେ ଗରିବ୍ ଦୁର୍'ବେଭାର୍ କେ 
ନିଜର୍ ବୋଲି ଭାବେ ,
ଆର୍ ନୁକୋ କଥା କେ ଛି ଥୁ କରି ରହେସି 
ନିଜର୍ ଲାଭେ‌ । 
ଆର୍ କେତେ ଯେ ଗରିବ୍ ଥିବେ 
ନାଇଁ ମିଲେ ତାର୍ ଧାର୍ , 
ନିଜେ ବନେ ଥିଲେ ସବୁ ବନେ ଇନେ
 ଇ କଥା ଟା ସାର୍ ।
ମୁନୁଷ୍ ଜୀବନ୍ ବଡ଼ା ଦୁର୍ଲଭ୍ 
ପୁଇଁନ୍ କଲେ ମିଲେ ,
ଧନ୍ ଥାଇ କରି ଗରିବ୍ ହେଲେ 
ଘାଣ୍ଟି ହେବୁ ଅର୍କଲେ ।

©ଶ୍ରଦ୍ଧା......

#cloud ଗରିବ୍

14 Love

#कविता #cloud  सोचता हूँ कभी कभी की जिंदगी
कितनी अजीब है
सब कुछ पास होकर भी इंसा गरीब है, 

कमाता उम्र भर जमाने भर की दौलत को, 
और,एक पल में छोड़ चला जाता कमाई
 शोहरत को, 

सोचता हूँ कभी कभी... 

कभी मिलता ही नही समय की रब को भी
याद कर ले
बस ख्वाहिश, की बेइंतहा दौलत से खाली
जेब भर ले, 

इंसा की इसी फितरत को देखकर मन में 
ख्याल आता है
की  इंसा को कभी, क्या खुद के  मरने का, 
ख्याल भी आता है, 

सोचता हूँ कभी कभी....

सत्य है की खाली हाथ आना है, और खाली जाना
फिर क्यों हद से ज्यादा दौलत कमाना

ये जो मिले है चार पल जिंदगी के इन्हें हंस
खेल गुजार दो, लौट के फिर न आयेंगे ये पल चाहे 
 उम्र भर की कमाई दौलत इस पर वार दो

सोचता हूँ कभी कभी....

©पथिक..

#cloud of lyf

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