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New कड़कनाथ मुर्गा Status, Photo, Video

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 White एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था 
वहीं बगल में ..........................
भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था 
जा तो दोनो रहे थे कटने के लिए 
बस यही एक सामान्य सा फर्क था 
एक रो रहा था एक हस रहा था 
इसपर दोनो के बगल में खाट पर पड़े 
दर्द से कराह रहे एक बुजुर्ग ने बोला 
देखो जिन्हे पता है ...........
उनकी कीमत अब क्या है
वे खत्म होने के मुहाने पर भी हंस रहे हैं 
हमारे जैसे जिन्हे पता नहीं है 
अब हमारी कीमत क्या है 
वे जाते जाते भी रो रहे हैं 
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK

#कविता #किमत एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था वहीं बगल में .......................... भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था जा तो दोनो रहे

162 View

#कॉमेडी #comedyfilms #Funny

#Funny 🤪😜 बाबा मुर्गा मरगा इंन सबरे न मे आग लगा दे🤪😜 #comedyfilms

99 View

#मुर्गा #हिंदी #कोट्स #मवाली #खाली #Instagram  White पेट खाली हो और  भूख बड़ा सवाली हो,
तो सुखी  रोटी भी शहद सा मीठा लगता है।
लेकिन पेट भरा हो और जीभ मवाली हो,
तो फ़ना मुर्गे में स्वाद थोड़ा नमक मांगता है।

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://clubparadis.prezly.com/koen-vanmechelen-lands-in-knokke-heist-with-the-major-exhibition-cosmopo

171 View

Meri Mati Mera Desh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा अपने को जनता का हितैषी बता रहा पैदल गाँव गाँव घूम रहा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा अपना गुणगान गा रहा सबको उल्लू बना रहा चुनाव चुनाव में ही मिल रहा चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा अपना जेब सब भर रहा जनता का खून चूस रहा सब अपने को ईमानदार बता रहा सच्चाई ऐसा न दिख रहा दागी दोषी से है भरा पड़ा कोई जेल का चक्कर काट रहा तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा कर जोड़ विनती कर रहा जाँच परख कर वोट डालना किसी के बहकावे में मत आना जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा ज्ञान न अब उसमे मिल रहा नेतागिरी सिर्फ हो रहा प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा अंचल, अनुमण्डल, जिला कार्यालय में लोग भटक रहे समय से न काम हो रहा पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा नहर नाले का न व्यवस्था हुआ लोगों का जीवन बदहाल हुआ मच्छर सब जगह भनभना रहा अस्पताल सब गंदगी से भरापरा लोगों को उपचार न मिल रहा उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ जनता तो प्रांत छोड़ चला गुंडागर्दी दिख रहा लोग बात -बात पर लड़ रहा हाल बहुत बुरा है भैया जात पात से ऊपर उठना अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना चला दौर चुनाव का भैया ©संगीत कुमार

#MeriMatiMeraDesh #कविता  Meri Mati Mera Desh (चुनाव) 
चला दौर चुनाव का भैया 
पार्टी सार्टी मन रहा 
दारू मुर्गा खूब चल रहा 
नेता जनता का पैर पकड़ रहा 
खूब वादा कर रहा 
अपने को जनता का बेटा बता रहा
घर घर सब से मिल रहा
अपने को जनता का हितैषी बता रहा
पैदल गाँव गाँव घूम रहा 
एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा 
अपना गुणगान गा रहा 
सबको उल्लू बना रहा 
चुनाव चुनाव में ही मिल रहा 
चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा
अपना जेब सब भर रहा 
जनता का खून चूस रहा
सब अपने को ईमानदार बता रहा
सच्चाई ऐसा न दिख रहा 
दागी दोषी से है भरा पड़ा 
कोई जेल का चक्कर काट रहा 
तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा 
कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा 
कर जोड़ विनती कर रहा 
जाँच परख कर वोट डालना 
किसी के बहकावे में मत आना 
जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का
महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा 
ज्ञान न अब उसमे मिल रहा 
नेतागिरी सिर्फ हो रहा 
प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे 
लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा 
अंचल, अनुमण्डल,  जिला कार्यालय में लोग भटक रहे 
समय से न काम हो रहा 
पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा 
बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा 
 नहर नाले का न व्यवस्था हुआ 
 लोगों का जीवन बदहाल हुआ 
मच्छर सब जगह भनभना रहा 
अस्पताल सब गंदगी से भरापरा 
लोगों को उपचार न मिल रहा 
उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ
जनता तो प्रांत छोड़ चला 
गुंडागर्दी दिख रहा
लोग बात -बात पर लड़ रहा 
हाल बहुत बुरा है भैया 
जात पात से ऊपर उठना 
अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना 
चला दौर चुनाव का भैया

©संगीत कुमार

#MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा

12 Love

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ । उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४ तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल । मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५ रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल । आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६ भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार । मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७ २८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३

स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ ।
उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४

तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल ।
मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५

रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल ।
आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६

भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार ।
मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७
२८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त

10 Love

 White एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था 
वहीं बगल में ..........................
भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था 
जा तो दोनो रहे थे कटने के लिए 
बस यही एक सामान्य सा फर्क था 
एक रो रहा था एक हस रहा था 
इसपर दोनो के बगल में खाट पर पड़े 
दर्द से कराह रहे एक बुजुर्ग ने बोला 
देखो जिन्हे पता है ...........
उनकी कीमत अब क्या है
वे खत्म होने के मुहाने पर भी हंस रहे हैं 
हमारे जैसे जिन्हे पता नहीं है 
अब हमारी कीमत क्या है 
वे जाते जाते भी रो रहे हैं 
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’

©AJAY NAYAK

#कविता #किमत एक कसाई की दुकान पर मुर्गा रो रहा था वहीं बगल में .......................... भंगार के दुकान पर टीन हस रहा था जा तो दोनो रहे

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#कॉमेडी #comedyfilms #Funny

#Funny 🤪😜 बाबा मुर्गा मरगा इंन सबरे न मे आग लगा दे🤪😜 #comedyfilms

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#मुर्गा #हिंदी #कोट्स #मवाली #खाली #Instagram  White पेट खाली हो और  भूख बड़ा सवाली हो,
तो सुखी  रोटी भी शहद सा मीठा लगता है।
लेकिन पेट भरा हो और जीभ मवाली हो,
तो फ़ना मुर्गे में स्वाद थोड़ा नमक मांगता है।

©अदनासा-

चित्र सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://clubparadis.prezly.com/koen-vanmechelen-lands-in-knokke-heist-with-the-major-exhibition-cosmopo

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Meri Mati Mera Desh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा अपने को जनता का बेटा बता रहा घर घर सब से मिल रहा अपने को जनता का हितैषी बता रहा पैदल गाँव गाँव घूम रहा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा अपना गुणगान गा रहा सबको उल्लू बना रहा चुनाव चुनाव में ही मिल रहा चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा अपना जेब सब भर रहा जनता का खून चूस रहा सब अपने को ईमानदार बता रहा सच्चाई ऐसा न दिख रहा दागी दोषी से है भरा पड़ा कोई जेल का चक्कर काट रहा तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा कर जोड़ विनती कर रहा जाँच परख कर वोट डालना किसी के बहकावे में मत आना जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा ज्ञान न अब उसमे मिल रहा नेतागिरी सिर्फ हो रहा प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा अंचल, अनुमण्डल, जिला कार्यालय में लोग भटक रहे समय से न काम हो रहा पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा नहर नाले का न व्यवस्था हुआ लोगों का जीवन बदहाल हुआ मच्छर सब जगह भनभना रहा अस्पताल सब गंदगी से भरापरा लोगों को उपचार न मिल रहा उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ जनता तो प्रांत छोड़ चला गुंडागर्दी दिख रहा लोग बात -बात पर लड़ रहा हाल बहुत बुरा है भैया जात पात से ऊपर उठना अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना चला दौर चुनाव का भैया ©संगीत कुमार

#MeriMatiMeraDesh #कविता  Meri Mati Mera Desh (चुनाव) 
चला दौर चुनाव का भैया 
पार्टी सार्टी मन रहा 
दारू मुर्गा खूब चल रहा 
नेता जनता का पैर पकड़ रहा 
खूब वादा कर रहा 
अपने को जनता का बेटा बता रहा
घर घर सब से मिल रहा
अपने को जनता का हितैषी बता रहा
पैदल गाँव गाँव घूम रहा 
एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहा 
अपना गुणगान गा रहा 
सबको उल्लू बना रहा 
चुनाव चुनाव में ही मिल रहा 
चुनाव जीतने पर जनता को भूल रहा
अपना जेब सब भर रहा 
जनता का खून चूस रहा
सब अपने को ईमानदार बता रहा
सच्चाई ऐसा न दिख रहा 
दागी दोषी से है भरा पड़ा 
कोई जेल का चक्कर काट रहा 
तो कोई जेल से चुनाव लड़ रहा 
कुछ तो बीबी,बेटे को चुनाव उतार रहा 
कर जोड़ विनती कर रहा 
जाँच परख कर वोट डालना 
किसी के बहकावे में मत आना 
जर्जर हाल है शिक्षा व्यवस्था का
महाविद्यालय, विश्वविद्यालय सिर्फ चमक रहा 
ज्ञान न अब उसमे मिल रहा 
नेतागिरी सिर्फ हो रहा 
प्रोफेसर साहब कक्षा में न दिख रहे 
लगता जैसे शिक्षण संस्थान बंद पड़ा 
अंचल, अनुमण्डल,  जिला कार्यालय में लोग भटक रहे 
समय से न काम हो रहा 
पर नेता जी कहते खूब तरक्की हो रहा 
बाढ़ सूखे से ग्रस्त रहा 
 नहर नाले का न व्यवस्था हुआ 
 लोगों का जीवन बदहाल हुआ 
मच्छर सब जगह भनभना रहा 
अस्पताल सब गंदगी से भरापरा 
लोगों को उपचार न मिल रहा 
उद्योग धंधा कुछ न स्थापित हुआ
जनता तो प्रांत छोड़ चला 
गुंडागर्दी दिख रहा
लोग बात -बात पर लड़ रहा 
हाल बहुत बुरा है भैया 
जात पात से ऊपर उठना 
अच्छे प्रत्याशी को मिल चुनना 
चला दौर चुनाव का भैया

©संगीत कुमार

#MeriMatiMeraDesh (चुनाव) चला दौर चुनाव का भैया पार्टी सार्टी मन रहा दारू मुर्गा खूब चल रहा नेता जनता का पैर पकड़ रहा खूब वादा कर रहा

12 Love

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२ जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान । हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३ स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ । उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४ तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल । मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५ रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल । आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६ भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार । मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७ २८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास ।
वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१

गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप ।
मिट जायेंगे एक दिन , सब तेरे संताप ।।२

जीवन के हर मोड़ पर , करिये गुरु का ध्यान ।
हो जायेंगी आपकी , राहें फिर आसान ।।३

स्वस्थ करो गुरुदेव को , विनती है रघुनाथ ।
उनका अपने शिष्य पर , रहता निशिदिन हाथ ।।४

तन पर दिखता है नहीं , अब तो कहीं गुलाल ।
मन में ज्यों का त्यों रहा , सबके आज मलाल ।।५

रंग प्रीति का जब चढ़े , फीका लगे गुलाल ।
आज सखी पाहुन मिले , हुए लाल फिर गाल ।।६

भटक गये हैं लोग सब , बिगड़ गये त्यौहार ।
मुर्गा दारू बिन यहाँ , नज़र न आये प्यार ।।७
२८/०३/२०२४      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मातु-पिता की बात पर, होना नहीं उदास । वो तो इतना चाहते , बने न तू परिहास ।।१ गौरीशंकर नाम का , कर ले प्यारे जाप । मिट जायेंगे एक दिन , सब त

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