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New अहिंसा पर कविता Status, Photo, Video

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#76thMahatmaGandhiPunyatithi #कविता #nojotohindi  76th Mahatma Gandhi Punyatithi पल्लव की डायरी
डरे हुये हम सब बाबा
सब कुछ अब मिट जाना है
चौखट लोकतंत्र की घायल करके
सियासी पैतरे वादी करते है
लूट रहे है भर भर कर जनता को
दहशत पैदा करते भारी है
वोट करना अब बेमानी हो गया
चार सौ पार करने के लिये
एजेंसियों का इस्तेमाल जारी है
गाँधी के दर्शन को मिटाकर
फांसीवादी ताकत हावी है
अहिँसा की ताकत नैतिकता थी
जिसमे हर कौम भाषा जीवित रहती थी
वोटो की ताकत दम तोड़ती
फजीहत लोकतंत्र की होती है
                                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#76thMahatmaGandhiPunyatithi अहिंसा की ताकत नैतिकता थी #nojotohindi

279 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार

अहिंसा, संयम ,तप कषाय मुक्त करते हैं

144 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#76thMahatmaGandhiPunyatithi #कविता #nojotohindi  76th Mahatma Gandhi Punyatithi पल्लव की डायरी
डरे हुये हम सब बाबा
सब कुछ अब मिट जाना है
चौखट लोकतंत्र की घायल करके
सियासी पैतरे वादी करते है
लूट रहे है भर भर कर जनता को
दहशत पैदा करते भारी है
वोट करना अब बेमानी हो गया
चार सौ पार करने के लिये
एजेंसियों का इस्तेमाल जारी है
गाँधी के दर्शन को मिटाकर
फांसीवादी ताकत हावी है
अहिँसा की ताकत नैतिकता थी
जिसमे हर कौम भाषा जीवित रहती थी
वोटो की ताकत दम तोड़ती
फजीहत लोकतंत्र की होती है
                                        प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#76thMahatmaGandhiPunyatithi अहिंसा की ताकत नैतिकता थी #nojotohindi

279 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार

अहिंसा, संयम ,तप कषाय मुक्त करते हैं

144 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

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