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New मिठीत तुझ्या कविता Status, Photo, Video

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#सौंदर्य #चांदणी #सोनेरी #प्रेम #चेहरा #हास्य  तुझ्या हास्याची मधुरता, तुझ्या डोळ्यांची चमक,
मनाला भिडणारी तुझ्या सौंदर्याची गमक 

तूझ्या चेहऱ्याची चांदणी, तूझ्या आवाजाची सरस,
प्रेमाच्या रंगात रंगणारी, सोनेरी फुलांची बरस

©aaj_ki_peshkash

तुझ्या हास्याची मधुरता , तुझ्या डोळ्यांची #चमक , मनाला भिडणारी तुझ्या सौंदर्याची गमक तूझ्या चेहऱ्याची #चांदणी, तूझ्या आवाजाची सरस, प्रेमाच

198 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

 ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

©Harsh Sharma

#कविता

16 Love

#कविता

कविता

432 View

#कविता

12,519 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

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#सौंदर्य #चांदणी #सोनेरी #प्रेम #चेहरा #हास्य  तुझ्या हास्याची मधुरता, तुझ्या डोळ्यांची चमक,
मनाला भिडणारी तुझ्या सौंदर्याची गमक 

तूझ्या चेहऱ्याची चांदणी, तूझ्या आवाजाची सरस,
प्रेमाच्या रंगात रंगणारी, सोनेरी फुलांची बरस

©aaj_ki_peshkash

तुझ्या हास्याची मधुरता , तुझ्या डोळ्यांची #चमक , मनाला भिडणारी तुझ्या सौंदर्याची गमक तूझ्या चेहऱ्याची #चांदणी, तूझ्या आवाजाची सरस, प्रेमाच

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Harsh Sharma

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©Harsh Sharma

#कविता

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#कविता

कविता

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 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

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