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New कविता एकान्त काटनेवाला का सारांश Status, Photo, Video

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#पलकों_का_कँपना #good_night #लव  "सपने की एक किरण मुझको दो ना,
है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना।
और सब समय पराया है,
बस उतना ही क्षण अपना।
तुम्हारी पलकों का कँपना,
तनिक-सा चमक खुलना, फिर झँपना।"¹

©HintsOfHeart.

#good_night 💖 1.अज्ञेय की कविता #पलकों_का_कँपना का अंश।

270 View

#सुमित्रानंदन_पंत #good_night #womensday  "यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, 
तो वह नारी उर के भीतर,
दल पर दल खोल हृदय के अस्तर
जब बिठलाती प्रसन्न होकर
वह अमर प्रणय के शतदल पर!

मादकता जग में कहीं अगर, 
वह नारी अधरों में सुखकर,
क्षण में प्राणों की पीड़ा हर,
नव जीवन का दे सकती वर
वह अधरों पर धर मदिराधर।"¹

©HintsOfHeart.

#सुमित्रानंदन_पंत #good_night 💖 1. सुमित्रानंदन पंत की कविता 'स्त्री' का अंश।

180 View

#कविता  बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थीयों के लिए एक मोटिवेशनल कविता
वक्त आया है कुछ दिखाने का 
स्वरचित
@मां का लाल

जबरदस्त मोटिवेशनल कविता @मां का लाल @हार नही मानूंगा

117 View

#समाज

बूंद उसी का सागर उसी का उसकी लहरों में हम गोते लगाने लगे कविता

135 View

नई कविता ... मेरे गीत का रंग ना देखो

126 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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#पलकों_का_कँपना #good_night #लव  "सपने की एक किरण मुझको दो ना,
है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना।
और सब समय पराया है,
बस उतना ही क्षण अपना।
तुम्हारी पलकों का कँपना,
तनिक-सा चमक खुलना, फिर झँपना।"¹

©HintsOfHeart.

#good_night 💖 1.अज्ञेय की कविता #पलकों_का_कँपना का अंश।

270 View

#सुमित्रानंदन_पंत #good_night #womensday  "यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, 
तो वह नारी उर के भीतर,
दल पर दल खोल हृदय के अस्तर
जब बिठलाती प्रसन्न होकर
वह अमर प्रणय के शतदल पर!

मादकता जग में कहीं अगर, 
वह नारी अधरों में सुखकर,
क्षण में प्राणों की पीड़ा हर,
नव जीवन का दे सकती वर
वह अधरों पर धर मदिराधर।"¹

©HintsOfHeart.

#सुमित्रानंदन_पंत #good_night 💖 1. सुमित्रानंदन पंत की कविता 'स्त्री' का अंश।

180 View

#कविता  बोर्ड परीक्षा के विद्यार्थीयों के लिए एक मोटिवेशनल कविता
वक्त आया है कुछ दिखाने का 
स्वरचित
@मां का लाल

जबरदस्त मोटिवेशनल कविता @मां का लाल @हार नही मानूंगा

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#समाज

बूंद उसी का सागर उसी का उसकी लहरों में हम गोते लगाने लगे कविता

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नई कविता ... मेरे गीत का रंग ना देखो

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