tags

New अरहान बहल Status, Photo, Video

Find the latest Status about अरहान बहल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about अरहान बहल.

Related Stories

  • Latest
  • Popular
  • Video
#हिन्दीकविता #हिन्दीलेखन #मुताबिक #उम्मीद #कविता #ग़ज़ल  तेरे मुताबिक ढल के देखेंगे
हम लहज़ा बदल के देखेंगे

है उम्मीद नहीं तू थामेगा हाथ
पर तेरी ओर चल के देखेंगे

मैं तो डूब गया तेरी आंखों में
तेरी बातों से बहल के देखेंगे

ताउम्र यूं ही लिखना है तुम्हें
लोग करिश्में ग़ज़ल के देखेंगे

अब चैन-ओ-सुकूँ नहीं दिल को
तेरी बाहों में संभल के देखेंगे

©बेजुबान शायर shivkumar

तेरे #मुताबिक ढल के देखेंगे हम लहज़ा #बदल के देखेंगे है #उम्मीद नहीं तू थामेगा हाथ पर तेरी ओर चल के देखेंगे मैं तो डूब गया तेरी #आंखों

81 View

#उम्मीदें #ज़िंदगी #वास्ते #रास्ता #ख़्वाब #कविता  सफ़र में धूप तो होगी ही अगर चल सको तो चलो 
भीड़ में तो सभी हैं लेकिन तुम भी निकल सको तो चलो 

किसी के वास्ते ये राहें भी कहाँ बदलती हैं 
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो बद लो 

यहाँ पर हर किसी को कोई रास्ता नहीं देता 
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो सँभल लो

कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा मे 
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो निकलकर चलो 

यही है ज़िंदगी के कुछ ख़्वाब ही चंद उम्मीदें से 
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो बहल लो

©बेजुबान शायर shivkumar

#sad_dp #SAD #सफ़र में धूप तो होगी ही अगर चल सको तो चलो भीड़ में तो सभी हैं लेकिन तुम भी निकल सको तो चलो किसी के #वास्ते ये राहें

144 View

#AnjaliSinghal

"दो लफ़्ज़ बोल दो कभी हमसे, कब तक सुनते रहें हम खामोशी तुम्हारी! दो बातें पड़ जाएँ तुम्हारी ग़र कानों में हमारे, तबीयत बहल जाएगी ज़रा हमारी

162 View

White ग़ज़ल :- 2122-- 1122 -- 1122--22 आदमी मुश्किलों से ख़ुद ही निकल जाता है । वक़्त को देख के  जो रस्ता बदल जाता है ।। गिरता है उठता है औ फिर से संभल जाता है । बच्चों के जैसे बशर जल्दी बहल जाता है ।। मुश्किलें घर नहीं आयी कभी रहते जिनके । हाथ उनका ही क्यों हाथों से फिसल जाता है ।। मत कहो उसको ही पत्थर जो मदद की खातिर  मोम सा आज भी हर बार पिघल जाता है ।। छोड़कर माँ बाप को खुश लगे रहने बेटे । वक्त कुछ सोच से ज्यादा ही बदल जाता है ।। थाम कर हाथ जो खाई थी बहन कल कसमें । आज मन उसका भी दौलत पे मचल जाता है ।। स्वार्थ से सब बँधे हैं जग के ये रिश्ते-नाते । प्रेम का इसलिए मुरझा ये कमल जाता है ।। अब नही तौल प्रखर माया के पलड़े में इन्हें  जो भी आता है यहाँ इसमें ही ढ़ल जाता है । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
2122-- 1122 -- 1122--22
आदमी मुश्किलों से ख़ुद ही निकल जाता है ।
वक़्त को देख के  जो रस्ता बदल जाता है ।।

गिरता है उठता है औ फिर से संभल जाता है ।
बच्चों के जैसे बशर जल्दी बहल जाता है ।।

मुश्किलें घर नहीं आयी कभी रहते जिनके ।
हाथ उनका ही क्यों हाथों से फिसल जाता है ।।

मत कहो उसको ही पत्थर जो मदद की खातिर 
मोम सा आज भी हर बार पिघल जाता है ।।

छोड़कर माँ बाप को खुश लगे रहने बेटे ।
वक्त कुछ सोच से ज्यादा ही बदल जाता है ।।

थाम कर हाथ जो खाई थी बहन कल कसमें ।
आज मन उसका भी दौलत पे मचल जाता है ।।

स्वार्थ से सब बँधे हैं जग के ये रिश्ते-नाते ।
प्रेम का इसलिए मुरझा ये कमल जाता है ।।

अब नही तौल प्रखर माया के पलड़े में इन्हें 
जो भी आता है यहाँ इसमें ही ढ़ल जाता है ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- 2122-- 1122 -- 1122--22 आदमी मुश्किलों से ख़ुद ही निकल जाता है । वक़्त को देख के  जो रस्ता बदल जाता है ।।

0 Love

#हिन्दीकविता #हिन्दीलेखन #मुताबिक #उम्मीद #कविता #ग़ज़ल  तेरे मुताबिक ढल के देखेंगे
हम लहज़ा बदल के देखेंगे

है उम्मीद नहीं तू थामेगा हाथ
पर तेरी ओर चल के देखेंगे

मैं तो डूब गया तेरी आंखों में
तेरी बातों से बहल के देखेंगे

ताउम्र यूं ही लिखना है तुम्हें
लोग करिश्में ग़ज़ल के देखेंगे

अब चैन-ओ-सुकूँ नहीं दिल को
तेरी बाहों में संभल के देखेंगे

©बेजुबान शायर shivkumar

तेरे #मुताबिक ढल के देखेंगे हम लहज़ा #बदल के देखेंगे है #उम्मीद नहीं तू थामेगा हाथ पर तेरी ओर चल के देखेंगे मैं तो डूब गया तेरी #आंखों

81 View

#उम्मीदें #ज़िंदगी #वास्ते #रास्ता #ख़्वाब #कविता  सफ़र में धूप तो होगी ही अगर चल सको तो चलो 
भीड़ में तो सभी हैं लेकिन तुम भी निकल सको तो चलो 

किसी के वास्ते ये राहें भी कहाँ बदलती हैं 
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो बद लो 

यहाँ पर हर किसी को कोई रास्ता नहीं देता 
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो सँभल लो

कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा मे 
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो निकलकर चलो 

यही है ज़िंदगी के कुछ ख़्वाब ही चंद उम्मीदें से 
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो बहल लो

©बेजुबान शायर shivkumar

#sad_dp #SAD #सफ़र में धूप तो होगी ही अगर चल सको तो चलो भीड़ में तो सभी हैं लेकिन तुम भी निकल सको तो चलो किसी के #वास्ते ये राहें

144 View

#AnjaliSinghal

"दो लफ़्ज़ बोल दो कभी हमसे, कब तक सुनते रहें हम खामोशी तुम्हारी! दो बातें पड़ जाएँ तुम्हारी ग़र कानों में हमारे, तबीयत बहल जाएगी ज़रा हमारी

162 View

White ग़ज़ल :- 2122-- 1122 -- 1122--22 आदमी मुश्किलों से ख़ुद ही निकल जाता है । वक़्त को देख के  जो रस्ता बदल जाता है ।। गिरता है उठता है औ फिर से संभल जाता है । बच्चों के जैसे बशर जल्दी बहल जाता है ।। मुश्किलें घर नहीं आयी कभी रहते जिनके । हाथ उनका ही क्यों हाथों से फिसल जाता है ।। मत कहो उसको ही पत्थर जो मदद की खातिर  मोम सा आज भी हर बार पिघल जाता है ।। छोड़कर माँ बाप को खुश लगे रहने बेटे । वक्त कुछ सोच से ज्यादा ही बदल जाता है ।। थाम कर हाथ जो खाई थी बहन कल कसमें । आज मन उसका भी दौलत पे मचल जाता है ।। स्वार्थ से सब बँधे हैं जग के ये रिश्ते-नाते । प्रेम का इसलिए मुरझा ये कमल जाता है ।। अब नही तौल प्रखर माया के पलड़े में इन्हें  जो भी आता है यहाँ इसमें ही ढ़ल जाता है । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
2122-- 1122 -- 1122--22
आदमी मुश्किलों से ख़ुद ही निकल जाता है ।
वक़्त को देख के  जो रस्ता बदल जाता है ।।

गिरता है उठता है औ फिर से संभल जाता है ।
बच्चों के जैसे बशर जल्दी बहल जाता है ।।

मुश्किलें घर नहीं आयी कभी रहते जिनके ।
हाथ उनका ही क्यों हाथों से फिसल जाता है ।।

मत कहो उसको ही पत्थर जो मदद की खातिर 
मोम सा आज भी हर बार पिघल जाता है ।।

छोड़कर माँ बाप को खुश लगे रहने बेटे ।
वक्त कुछ सोच से ज्यादा ही बदल जाता है ।।

थाम कर हाथ जो खाई थी बहन कल कसमें ।
आज मन उसका भी दौलत पे मचल जाता है ।।

स्वार्थ से सब बँधे हैं जग के ये रिश्ते-नाते ।
प्रेम का इसलिए मुरझा ये कमल जाता है ।।

अब नही तौल प्रखर माया के पलड़े में इन्हें 
जो भी आता है यहाँ इसमें ही ढ़ल जाता है ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- 2122-- 1122 -- 1122--22 आदमी मुश्किलों से ख़ुद ही निकल जाता है । वक़्त को देख के  जो रस्ता बदल जाता है ।।

0 Love

Trending Topic