tags

New सद्भावना पर कविता Status, Photo, Video

Find the latest Status about सद्भावना पर कविता from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about सद्भावना पर कविता.

Related Stories

  • Latest
  • Popular
  • Video
#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता

कविता

432 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

#कविता

12681 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

#कविता

कविता

432 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

#कविता

12681 View

 में थी और शायद तू भी…
शायद एक सांस के फासले पर खड़ा
शायद एक नज़र के अँधेरे पे बैठा
शायद एहसास के एक मोड़ पर चल रहा
पर वह
पुराने-ऐतिहासिक समय की बात है

©Saroj Patwa

#कविता

198 View

Trending Topic