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#कविता  🙏 मेंरी छंद की अवधारणा 🙏

फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा..
गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा..

एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.
फूल से फल तक मधुर मकरंद की अवधारणा..

जीव ईश्वर का अनाविल नित्य चेतन अंश है.
द्वन्द से होती प्रगट निर्द्वन्द की अवधारणा.. 

एक रचनाकार तो स्थितप्रज्ञ होता है उसे
आँसुओं में भी मिली आनंद की अवधारणा..

प्यार से ही स्पष्ट होती है, अघोषित अनलिखे 
और अनहस्ताक्षरित अनुबंध की अवधारणा..

प्रेम में  सात्विक समर्पण के सहज सुख से पृथक.
अन्य कुछ होती न ब्रम्हानंद की अवधारणा..

मुक्तिका मेरी पढ़ी हो तो निवेदन है लिखें
क्या बनी सामान्य पाठक वृन्द की अवधारणा.........✍️ प्लीज़....... 🙏🙏

©Neelam Modanwal

🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.

1,152 View

#ब्रह्मचारिणी #विख्यात #वस्त्र #दुर्गा #तपस्या #भक्ति  
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l
मां दुर्गा को दूसरा रुप है ,  मां ब्रह्मचारिणी का ll

तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l
पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l

श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l
तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll

दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l
खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll

स्वच्छ आसन पर बैठकर ,  मां का करें ध्यान l
मंत्र जाप करने से  , माता कल्याण करती है ll

राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी  l
विधाता उनके लिए ,  शिव-संबंध रच रखे थे  ll

वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l
घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई  ll

भोलेशंकर ,  मां के तपस्या जब प्रसन्न  हुए 
मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll

तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l
ब्रह्मचारिणी नाम से ,  विख्यात होने का दिए वर ll

©Shivkumar

#navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि

108 View

#कविता  🙏 मेंरी छंद की अवधारणा 🙏

फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा..
गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा..

एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.
फूल से फल तक मधुर मकरंद की अवधारणा..

जीव ईश्वर का अनाविल नित्य चेतन अंश है.
द्वन्द से होती प्रगट निर्द्वन्द की अवधारणा.. 

एक रचनाकार तो स्थितप्रज्ञ होता है उसे
आँसुओं में भी मिली आनंद की अवधारणा..

प्यार से ही स्पष्ट होती है, अघोषित अनलिखे 
और अनहस्ताक्षरित अनुबंध की अवधारणा..

प्रेम में  सात्विक समर्पण के सहज सुख से पृथक.
अन्य कुछ होती न ब्रम्हानंद की अवधारणा..

मुक्तिका मेरी पढ़ी हो तो निवेदन है लिखें
क्या बनी सामान्य पाठक वृन्द की अवधारणा.........✍️ प्लीज़....... 🙏🙏

©Neelam Modanwal

🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.

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#ब्रह्मचारिणी #विख्यात #वस्त्र #दुर्गा #तपस्या #भक्ति  
नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां ब्रह्मचारिणी का l
मां दुर्गा को दूसरा रुप है ,  मां ब्रह्मचारिणी का ll

तपस्विनी माता , सात्विक रुप धारण करती है l
पूजा करने से भक्तों के , सारे कष्ट को वो हरती है l

श्वेत वस्त्र मां धारण करती , तपस्या सदा ही वो करती है l
तपस्या करने से , सारी सिद्धियां भक्तों को वो देती है ll

दूध चावल से बना भोग , मां बड़ा प्रिय वो लगता है l
खीर,पतासे, पान, सुपारी , मां को बहुत चढ़ाते हैं ll

स्वच्छ आसन पर बैठकर ,  मां का करें ध्यान l
मंत्र जाप करने से  , माता कल्याण करती है ll

राजा हिमाचल के यहां , माता उत्पन्न हुई थी  l
विधाता उनके लिए ,  शिव-संबंध रच रखे थे  ll

वह पति रुप में , भगवान शिव को चाहती थी l
घोर तपस्या करने , वह फिर जंगल में चली गई  ll

भोलेशंकर ,  मां के तपस्या जब प्रसन्न  हुए 
मनवांछित वर देने के लिए हो गए तत्पर ll

तपस्विनी रुप में , मां को देखकर बोले शिवशंकर l
ब्रह्मचारिणी नाम से ,  विख्यात होने का दिए वर ll

©Shivkumar

#navratri #navaratri2024 #navratri2025 नवरात्रि का दूसरा दिन है , मां #ब्रह्मचारिणी का l मां #दुर्गा को दूसरा रुप है , मां ब्रह्मचारि

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