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New महायोगराज गुग्गुल पतंजलि Status, Photo, Video

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#International_yoga_day #स्वस्थ #कविता #बेहतर #YogaGoodHealth #शांत  White // करें योग रहे निरोग //

योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को
सदैव क्रियाशील रखता
योग मनुष्य के दिमाग को शांत रखता
योग से मानव तनाव रहित रहता

योग से बेहतर नींद का सुख पाता
ये भूख को बढाये पाचन दूरुस्त रखे
योग समाधि चित को शांत रखे
योग मनुष्य की आकुलता, कलुषता

पीड़ा, चिंता, तनाव को खत्म करता
योग शरीर सांस व मन को जोड़ता
नित प्रति शारीरिक आसन स्वांस
अभ्यास, ध्यान से शरीर स्वस्थ रहता

योग के जनक महर्षि पतंजलि कहे गये
योग में चौरासी आसन, मुद्राएं होती
सबसे उत्तम शीर्षासन, सर्वांगासन
और सिद्धासन माने जाते

नित योग करने से शरीर
लचीला हस्टपुस्ट स्वस्थ रहेगा
सुंदर सुडोल स्वस्थ शरीर का राज
नित योग के लिए समय निकालो प्रभात

भाग दौड़ की जीवन शैली शरीर को अस्वस्थ रोगी बनाती
करें योग रहे निरोगी ये नियम अपनाते हैं ।।

©Shivkumar बेजुबान शायर

#Yoga #yogaday #International_yoga_day #YogaGoodHealth #yogalife // करें योग रहे निरोग // #योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रिय

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#विचार #mothers_day  White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥
 (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये।
  सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ।

©N S Yadav GoldMine

#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क

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#विचार #yogisonu #Holi  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. महर्षि पतंजलि कहते है सुख न मांगो तो कोई दुःख भी नही देता अपेक्षा ही छोड़ दो मांग कि बस दो और मांगो ही मत ।।

©Yogi Sonu

महर्षि पतंजलि कहते है सुख न मांगो तो कोई दुःख भी नही देता अपेक्षा ही छोड़ दो मांग कि बस दो और मांगो ही मत ।। #yogisonu #Holi

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#International_yoga_day #स्वस्थ #कविता #बेहतर #YogaGoodHealth #शांत  White // करें योग रहे निरोग //

योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को
सदैव क्रियाशील रखता
योग मनुष्य के दिमाग को शांत रखता
योग से मानव तनाव रहित रहता

योग से बेहतर नींद का सुख पाता
ये भूख को बढाये पाचन दूरुस्त रखे
योग समाधि चित को शांत रखे
योग मनुष्य की आकुलता, कलुषता

पीड़ा, चिंता, तनाव को खत्म करता
योग शरीर सांस व मन को जोड़ता
नित प्रति शारीरिक आसन स्वांस
अभ्यास, ध्यान से शरीर स्वस्थ रहता

योग के जनक महर्षि पतंजलि कहे गये
योग में चौरासी आसन, मुद्राएं होती
सबसे उत्तम शीर्षासन, सर्वांगासन
और सिद्धासन माने जाते

नित योग करने से शरीर
लचीला हस्टपुस्ट स्वस्थ रहेगा
सुंदर सुडोल स्वस्थ शरीर का राज
नित योग के लिए समय निकालो प्रभात

भाग दौड़ की जीवन शैली शरीर को अस्वस्थ रोगी बनाती
करें योग रहे निरोगी ये नियम अपनाते हैं ।।

©Shivkumar बेजुबान शायर

#Yoga #yogaday #International_yoga_day #YogaGoodHealth #yogalife // करें योग रहे निरोग // #योग हमारे शरीर की मांसपेशियों को सदैव क्रिय

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#विचार #mothers_day  White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥
 (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये।
  सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ।

©N S Yadav GoldMine

#mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क

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#विचार #yogisonu #Holi  Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. महर्षि पतंजलि कहते है सुख न मांगो तो कोई दुःख भी नही देता अपेक्षा ही छोड़ दो मांग कि बस दो और मांगो ही मत ।।

©Yogi Sonu

महर्षि पतंजलि कहते है सुख न मांगो तो कोई दुःख भी नही देता अपेक्षा ही छोड़ दो मांग कि बस दो और मांगो ही मत ।। #yogisonu #Holi

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