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New लेखक विष्णु प्रभाकर Status, Photo, Video

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White मां मुझको कितना सुकून मिलता है। तेरे आंचल में आने से। सबकुछ सुलझा सा लगता है। तेरी गोद में सो जाने से। सब से ज्यादा तू खुश थी मां। मेरे दुनिया में आने से। मां धूप छाया का खेल नहीं है। मां दो शब्दों का मेल नहीं है। रब की मां से तुलना मत कर। मां से रब का मेल नहीं है। किरणों का उजागर है मां। बिहारी जी की गागर है मां। हम सब बहते पानी से है। इस पृथ्वी का सागर है मां। Happy mother's day ©Sandip rohilla

#mothers_day  White   
मां मुझको कितना सुकून मिलता है।
 तेरे आंचल में आने से। 
सबकुछ सुलझा सा लगता है। 
तेरी गोद में सो जाने से।

सब से ज्यादा तू खुश थी मां।
 मेरे दुनिया में आने से।

मां धूप छाया का खेल नहीं है। 
मां दो शब्दों का मेल नहीं है।
 रब की मां से तुलना मत कर। 
मां से रब का मेल नहीं है।

किरणों का उजागर है मां। 
बिहारी जी की गागर है मां। 
हम सब बहते पानी से है। 
इस पृथ्वी का सागर है मां।

Happy mother's day

©Sandip rohilla

#mothers_day @Sherni @mannu nagar प्रभाकर अजय शिवा सेन Parijat P @Mirza raj

19 Love

#navratri #Bhakti  मां काली का रूप कालारात्रि या कालिका के रूप में जाना जाता है, जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं। उन्हें धूम्र वर्ण, शूल, खड्ग, और दाहिने हाथ में शिर जैसे वस्त्रों के साथ दिखाया जाता है। उनके दर्शन साधकों को भय के बंधनों से मुक्ति और उनकी शक्ति को प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं

©Amit Bharti Shrivastav

#navratri Shilpa yadav @Anshu writer प्रभाकर अजय शिवा सेन @sana naaz @Ganesha•~•

144 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#समाज  🙏 🙏 🙏 है गुरु ब्रह्मा है गुरु विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में। चरणोंनो में सारे तीरथधाम आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों मैं।
 🙏

है गुरू ब्रह्मा है गुरु विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में

63 View

#समाज  है गुरू ब्रह्मा है गुरू विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में। चारणोनो में सारे तीरथधाम आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में।

है गुरू ब्रह्मा है गुरू विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में।

63 View

#विष्णु #शायरी #snowpark  तुम्हें पता नही तुमसे एकतरफा 
इश्क करने का गुनाह की है,
अपने दिल के हाथों मजबूर हो
 के तुमसे इश्क सरेराह की है।
लोग समझते हैं मुझे तन्हाई 
में अकेले मुस्कुराते हुए देख के
मैं तेरे इश्क की दीवाना 
अपनी जिंदगी तेरे लिए तबाह की है।

©Vishnu Hallu

White मां मुझको कितना सुकून मिलता है। तेरे आंचल में आने से। सबकुछ सुलझा सा लगता है। तेरी गोद में सो जाने से। सब से ज्यादा तू खुश थी मां। मेरे दुनिया में आने से। मां धूप छाया का खेल नहीं है। मां दो शब्दों का मेल नहीं है। रब की मां से तुलना मत कर। मां से रब का मेल नहीं है। किरणों का उजागर है मां। बिहारी जी की गागर है मां। हम सब बहते पानी से है। इस पृथ्वी का सागर है मां। Happy mother's day ©Sandip rohilla

#mothers_day  White   
मां मुझको कितना सुकून मिलता है।
 तेरे आंचल में आने से। 
सबकुछ सुलझा सा लगता है। 
तेरी गोद में सो जाने से।

सब से ज्यादा तू खुश थी मां।
 मेरे दुनिया में आने से।

मां धूप छाया का खेल नहीं है। 
मां दो शब्दों का मेल नहीं है।
 रब की मां से तुलना मत कर। 
मां से रब का मेल नहीं है।

किरणों का उजागर है मां। 
बिहारी जी की गागर है मां। 
हम सब बहते पानी से है। 
इस पृथ्वी का सागर है मां।

Happy mother's day

©Sandip rohilla

#mothers_day @Sherni @mannu nagar प्रभाकर अजय शिवा सेन Parijat P @Mirza raj

19 Love

#navratri #Bhakti  मां काली का रूप कालारात्रि या कालिका के रूप में जाना जाता है, जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं। उन्हें धूम्र वर्ण, शूल, खड्ग, और दाहिने हाथ में शिर जैसे वस्त्रों के साथ दिखाया जाता है। उनके दर्शन साधकों को भय के बंधनों से मुक्ति और उनकी शक्ति को प्राप्त करने की प्रेरणा देते हैं

©Amit Bharti Shrivastav

#navratri Shilpa yadav @Anshu writer प्रभाकर अजय शिवा सेन @sana naaz @Ganesha•~•

144 View

शीर्षक- और तो क्या ? --------------------------------------------------------- खास तुम भी होते साथ में, या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में, और तो क्या ? यह खुशी दुगनी नहीं होती। ये दिन सुकून से गुजर जाते, मगर इस शक की दीवार को तो, तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी, और अपने अहम को भी, छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी। और तो क्या ? लोगों नहीं मिल जाता अवसर, कहानियां नई गढ़ने का, वहम को और बढ़ाने को, लेकिन इसमें हार तो, हम दोनों की ही होती, लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है, मेरे हारने का कोई गम। मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता, मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ , भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ , फिर भी मिल जाये कुछ खुशी, आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए, जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक, और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली, और तो क्या ? हंस लेता मैं भी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#कविता #लेखक  शीर्षक- और तो क्या ?
---------------------------------------------------------
खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

#लेखक

10 Love

#समाज  🙏 🙏 🙏 है गुरु ब्रह्मा है गुरु विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में। चरणोंनो में सारे तीरथधाम आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों मैं।
 🙏

है गुरू ब्रह्मा है गुरु विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में

63 View

#समाज  है गुरू ब्रह्मा है गुरू विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में। चारणोनो में सारे तीरथधाम आपके चरणों में। है गुरुदेव प्रणाम आपके चरणों में।

है गुरू ब्रह्मा है गुरू विष्णु है शंकर भगवान आपके चरणों में।

63 View

#विष्णु #शायरी #snowpark  तुम्हें पता नही तुमसे एकतरफा 
इश्क करने का गुनाह की है,
अपने दिल के हाथों मजबूर हो
 के तुमसे इश्क सरेराह की है।
लोग समझते हैं मुझे तन्हाई 
में अकेले मुस्कुराते हुए देख के
मैं तेरे इश्क की दीवाना 
अपनी जिंदगी तेरे लिए तबाह की है।

©Vishnu Hallu
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