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#विचार

पूर्णिमा के दिन करे#@mansi'sway

81 View

#विचार  **बौद्ध धर्म शांति का धर्म** 

  जब -जब मन उदास होता है, 
चली जाती हूँ मैं, 
अपनी खिड़की पर, 
औ'घंटों निहारती हूँ 
उस पीपल के पेड़ को, 
जो सदा की ही भांति 
शांत,मौन और स्थिर भाव से, 
हिलते हुये मुझे धैर्य औ साहस देता है। 
 
ऐसा लगता है.!! 
मानों कह रहा हो 
"जिंदगी के रहस्य को समझो, 
मगर उलझो मत, 
उसे जिओ,मगर रोओ मत। 
 
इसी जीवन को  
समझने की चाह ने, 
राजकुमार सिद्धार्थ को
 "बुद्ध " बना दिया । 
पर.. 
एक सच है, 
मुझमें ही सारी शांति निहित  है।

©shailja ydv

बुद्ध पूर्णिमा

135 View

घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar

#शायरी #loyalty  घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी
वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है
काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ
खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना
और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना
और कनखियों से मुझे भी देखना
मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को
और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी
सब कुछ याद है मुझे
याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के
अपनी हथेलियों को गीला कर लेना
और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके
मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना
और मेरे मन को भिगो देना.....

©Richa Dhar

#loyalty सावन की घटा

16 Love

#Dhund  सावन भादों घिर आते है
जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।।

©लेखक ओझा

#Dhund सावन भादो

153 View

#शायरी #मेरे #सावन #मन #का  मेरे मन का सावन वही जो मेरे मन को भिगोए,
केवल मेरे शरीर को भिगो कर ही न चला जाए।
मेरे होंठों पर मुस्कान लाए, आँख ज़रा सी रोए,
कुदरत में है ताक़त, जो ऐसा सावन भला लाए।

©Amit Singhal "Aseemit"
 निशब्द मूक भाव मेरे 
क्या करू गुणगान तेरे
तुम ही तो हो जैन धर्म के तरुवर
तुम ही तो हो जीवन आधार गुरुवर 
मैं तिनका सी चरणो की धूल भी नही
मैं अज्ञान तुम बिन जैन शब्द ही नहीं
तुम श्रेष्ठ चर्या के पालक
तुम जैन धर्म के साधक
तुम जड़ हो,तुम हो ध्वजा
जैन धर्म के तुम ही पिता
तुम्हारा जाना आसान नहीं
तुम सा कोई शासन नही 
शिष्य अनन्य है तुमने गढ़े
जिनमे धर्म के संस्कार भरे
जिन्हे तुम छोड़ जग से चले
जिसाशन की डोर थमा
मुक्ति मार्ग की ओर तुम बढ़े
अश्रु मेरे ठहरे कैसे.....
मन की पीढ़ा कह भी न सकें 
मैं टूटी हुई डाली के फूल जैसे
कौन  तुम सा
तुम सी साधना 
तुम सा साधु 
तुम सिद्ध 
तुम सा शुद्ध

©chahat

शरद पूर्णिमा का चांद

108 View

#विचार

पूर्णिमा के दिन करे#@mansi'sway

81 View

#विचार  **बौद्ध धर्म शांति का धर्म** 

  जब -जब मन उदास होता है, 
चली जाती हूँ मैं, 
अपनी खिड़की पर, 
औ'घंटों निहारती हूँ 
उस पीपल के पेड़ को, 
जो सदा की ही भांति 
शांत,मौन और स्थिर भाव से, 
हिलते हुये मुझे धैर्य औ साहस देता है। 
 
ऐसा लगता है.!! 
मानों कह रहा हो 
"जिंदगी के रहस्य को समझो, 
मगर उलझो मत, 
उसे जिओ,मगर रोओ मत। 
 
इसी जीवन को  
समझने की चाह ने, 
राजकुमार सिद्धार्थ को
 "बुद्ध " बना दिया । 
पर.. 
एक सच है, 
मुझमें ही सारी शांति निहित  है।

©shailja ydv

बुद्ध पूर्णिमा

135 View

घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना और कनखियों से मुझे भी देखना मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी सब कुछ याद है मुझे याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के अपनी हथेलियों को गीला कर लेना और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना और मेरे मन को भिगो देना..... ©Richa Dhar

#शायरी #loyalty  घटा सावन की जिस रोज़ बरसती थी
वो क्षण आज भी अविस्मरणीय है
काले बादलों के बीच बारिश की बूंदों के साथ
खाली सड़क पर तुम्हारा यूं घूमना
और बेवजह अनगिनत बूंदों को हथेलियों पर गिनना
और कनखियों से मुझे भी देखना
मैं समझ लेती थी तुम्हारी मनोभावना को
और मुस्कुरा कर तुम्हारा पागलपन देखती थी
सब कुछ याद है मुझे
याद है तुम्हारा खिड़की के बाहर हाथ निकाल के
अपनी हथेलियों को गीला कर लेना
और याद हो तुम,भीगी सड़कों पर चलके
मेरे सूखे मन पर अपने पैरों के निशान को छोड़ना
और मेरे मन को भिगो देना.....

©Richa Dhar

#loyalty सावन की घटा

16 Love

#Dhund  सावन भादों घिर आते है
जब अपने भी जेठ आसाढ बन जाते हैं।।

©लेखक ओझा

#Dhund सावन भादो

153 View

#शायरी #मेरे #सावन #मन #का  मेरे मन का सावन वही जो मेरे मन को भिगोए,
केवल मेरे शरीर को भिगो कर ही न चला जाए।
मेरे होंठों पर मुस्कान लाए, आँख ज़रा सी रोए,
कुदरत में है ताक़त, जो ऐसा सावन भला लाए।

©Amit Singhal "Aseemit"
 निशब्द मूक भाव मेरे 
क्या करू गुणगान तेरे
तुम ही तो हो जैन धर्म के तरुवर
तुम ही तो हो जीवन आधार गुरुवर 
मैं तिनका सी चरणो की धूल भी नही
मैं अज्ञान तुम बिन जैन शब्द ही नहीं
तुम श्रेष्ठ चर्या के पालक
तुम जैन धर्म के साधक
तुम जड़ हो,तुम हो ध्वजा
जैन धर्म के तुम ही पिता
तुम्हारा जाना आसान नहीं
तुम सा कोई शासन नही 
शिष्य अनन्य है तुमने गढ़े
जिनमे धर्म के संस्कार भरे
जिन्हे तुम छोड़ जग से चले
जिसाशन की डोर थमा
मुक्ति मार्ग की ओर तुम बढ़े
अश्रु मेरे ठहरे कैसे.....
मन की पीढ़ा कह भी न सकें 
मैं टूटी हुई डाली के फूल जैसे
कौन  तुम सा
तुम सी साधना 
तुम सा साधु 
तुम सिद्ध 
तुम सा शुद्ध

©chahat

शरद पूर्णिमा का चांद

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