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New बगलामुखी शत्रु विनाशक कवच Status, Photo, Video

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#भक्ति #good_night  White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l

श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्।

अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
(श्रीमद्भा० ७।५।२३)
जय श्री राधे कृष्ण जी......
'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है?

©N S Yadav GoldMine

#good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म

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#भक्ति #good_night  White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l

श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्।

अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
(श्रीमद्भा० ७।५।२३)
जय श्री राधे कृष्ण जी......
'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है?

©N S Yadav GoldMine

#good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म

153 View

#Nojoto#Shayari तूने मुझसे*बुगज जोरो का पाल रखा है जबसे, मेरी*शोहरत को खुदा ने संभाल रखा है तबसे/१ *ईर्ष्या*प्रसिद्धि मेरी बुलंदी का चर्चा

549 View

#shamawritesBebaak #Couple  White जो मेरे साथ में बुगज रखे हुए सोगवार हो,
लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१

        अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद 
          से ही फंस कर मुझसे ता उम्र शर्मसार हो//२

मैं शिरीन हूं,तु मुझे दिल में रखता क्यूं नही,तू
 तुर्श है तो फिर मेरे  इस दिल से तेरा उतार हो//३

तेरे दीदार को ये चश्म बहुत तमन्नाई है,कहीं ये
    ना हो तु आ गया हो और फिर भी इंतजार हो//४

खामख्वाह क्यूं करे अब ऐसे अपनों से इसरार,के "शमा"
को नहीं हाजत ऐसो की जो बस दिखावे से सोगवार हो//५
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Couple जो मेरे साथ में *बुगज रखे हुए सोगवार हो,लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१ *ईर्ष्या*शोकाकुल *अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद से

603 View

#कालरात्रि #नवरात्रि #भक्ति #navaratri2024 #आरती #navratri2025  मां का सप्तम रूप है मां कालरात्रि का,
क्षण में करती नाश दुष्ट,दैत्य, दानव का।

स्मरणमात्र से भाग जाते भूत, प्रेत, निशाचर,
उज्जैन से दूर हो जाते हैं पल में ग्रह-बाधा हर।

उपवासकों को नहीं भय अग्नि, जल, जंतु का,
नहीं होता है भय कभी भी रात्रि या शत्रु का।

नाम की तरह रुप भी है अंधकार-सा काला,
त्रिनेत्रधारी है माताजी सवारी है गर्दभ का।

दाहिना हाथ ऊपर उठा रहता है वरमुद्रा में,
बाया हाथ नीचे की ओर है अभय मुद्रा में।

तीसरे हाथ में मां के है खड्ग, चौथे में लौहशस्त्र,
विशेष पूजा रात्रि में मां की करते हैं तंत्र साधक।

शुभकारी है दूसरा नाम मां कालरात्रि का,
शुभ करने वाली है मां, है सबकी मान्यता।

गुड़हल का पुष्प है प्रिय, गुड़ का भोग लगाते हैं,
कपूर या दीपक जलाकर मां की आरती करते हैं।

©Shivkumar

#navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navaratri #नवरात्रि मां का सप्तम रूप है मां #कालरात्रि का, क्षण में करती #नाश दु

99 View

#learn_English #bhagwatgeeta #JaiShreeRam #hunarbaaz #Trending #be_happy  Jai shree ram Chapter 3, verse 34

इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ।
तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ॥ ३-३४

Transliteration:
indriyasyendriyasyārthe rāgadveṣau vyavasthitau।
tayorna vaśamāgacchettau hyasya paripanthinau॥ 3-34

Hindi Translation:
इन्द्रियइन्द्रिय (अर्थात् प्रत्येक इन्द्रिय)
के विषय के प्रति (मन में) रागद्वेष रहते हैं मनुष्य को चाहिये कि वह उन दोनों के वश में न हो क्योंकि वे इसके (मनुष्य के) शत्रु हैं।

English Translation:
Attraction and repulsion are ordained with regard to the objects of all the organs.
One should not come under the sway of these two, because they are his adversaries.

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©Anurag Vishwakarma
#भक्ति #good_night  White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l

श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्।

अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
(श्रीमद्भा० ७।५।२३)
जय श्री राधे कृष्ण जी......
'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है?

©N S Yadav GoldMine

#good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म

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#भक्ति #good_night  White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥
प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l

श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्।

अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥
{Bolo Ji Radhey Radhey}
(श्रीमद्भा० ७।५।२३)
जय श्री राधे कृष्ण जी......
'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है?

©N S Yadav GoldMine

#good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म

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#Nojoto#Shayari तूने मुझसे*बुगज जोरो का पाल रखा है जबसे, मेरी*शोहरत को खुदा ने संभाल रखा है तबसे/१ *ईर्ष्या*प्रसिद्धि मेरी बुलंदी का चर्चा

549 View

#shamawritesBebaak #Couple  White जो मेरे साथ में बुगज रखे हुए सोगवार हो,
लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१

        अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद 
          से ही फंस कर मुझसे ता उम्र शर्मसार हो//२

मैं शिरीन हूं,तु मुझे दिल में रखता क्यूं नही,तू
 तुर्श है तो फिर मेरे  इस दिल से तेरा उतार हो//३

तेरे दीदार को ये चश्म बहुत तमन्नाई है,कहीं ये
    ना हो तु आ गया हो और फिर भी इंतजार हो//४

खामख्वाह क्यूं करे अब ऐसे अपनों से इसरार,के "शमा"
को नहीं हाजत ऐसो की जो बस दिखावे से सोगवार हो//५
#shamawritesBebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#Couple जो मेरे साथ में *बुगज रखे हुए सोगवार हो,लानत हो ऐसो पर और बेशुमार हो//१ *ईर्ष्या*शोकाकुल *अदु अब चाले ना चल,ये ना हो कहीं तू खुद से

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#कालरात्रि #नवरात्रि #भक्ति #navaratri2024 #आरती #navratri2025  मां का सप्तम रूप है मां कालरात्रि का,
क्षण में करती नाश दुष्ट,दैत्य, दानव का।

स्मरणमात्र से भाग जाते भूत, प्रेत, निशाचर,
उज्जैन से दूर हो जाते हैं पल में ग्रह-बाधा हर।

उपवासकों को नहीं भय अग्नि, जल, जंतु का,
नहीं होता है भय कभी भी रात्रि या शत्रु का।

नाम की तरह रुप भी है अंधकार-सा काला,
त्रिनेत्रधारी है माताजी सवारी है गर्दभ का।

दाहिना हाथ ऊपर उठा रहता है वरमुद्रा में,
बाया हाथ नीचे की ओर है अभय मुद्रा में।

तीसरे हाथ में मां के है खड्ग, चौथे में लौहशस्त्र,
विशेष पूजा रात्रि में मां की करते हैं तंत्र साधक।

शुभकारी है दूसरा नाम मां कालरात्रि का,
शुभ करने वाली है मां, है सबकी मान्यता।

गुड़हल का पुष्प है प्रिय, गुड़ का भोग लगाते हैं,
कपूर या दीपक जलाकर मां की आरती करते हैं।

©Shivkumar

#navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navaratri #नवरात्रि मां का सप्तम रूप है मां #कालरात्रि का, क्षण में करती #नाश दु

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#learn_English #bhagwatgeeta #JaiShreeRam #hunarbaaz #Trending #be_happy  Jai shree ram Chapter 3, verse 34

इन्द्रियस्येन्द्रियस्यार्थे रागद्वेषौ व्यवस्थितौ।
तयोर्न वशमागच्छेत्तौ ह्यस्य परिपन्थिनौ॥ ३-३४

Transliteration:
indriyasyendriyasyārthe rāgadveṣau vyavasthitau।
tayorna vaśamāgacchettau hyasya paripanthinau॥ 3-34

Hindi Translation:
इन्द्रियइन्द्रिय (अर्थात् प्रत्येक इन्द्रिय)
के विषय के प्रति (मन में) रागद्वेष रहते हैं मनुष्य को चाहिये कि वह उन दोनों के वश में न हो क्योंकि वे इसके (मनुष्य के) शत्रु हैं।

English Translation:
Attraction and repulsion are ordained with regard to the objects of all the organs.
One should not come under the sway of these two, because they are his adversaries.

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