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New स्वाभिमान पर कविता Status, Photo, Video

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 स्वाभिमान बेचकर बाजारू शानो –शौकत खरीदने वाले  दिल की अमरियत कहां से खरीदेंगे।।

©लेखक ओझा

स्वाभिमान

126 View

#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

99 View

बिखर कर नहीं सम्भलकर चलों मुठ्ठी बनकर अपनी ताकत बनो। ©Prateek yadav

#स्वाभिमान #Motivational  बिखर कर नहीं
सम्भलकर चलों
मुठ्ठी बनकर
अपनी ताकत बनो।

©Prateek yadav
#कोट्स  चिंतित हूं समाधान नहीं,
खुद की मुझे पहचान नहीं।
हित सभी जनों की चाह मेरी,
शुभ कर्म करूं क्या ज्ञान नहीं।
सत पथ पर चलना धर्म मेरा,
दुःख - दर्द से डरना काम नहीं।
भौतिक सुख की चाह नहीं,
भले मिले मुझे सम्मान नहीं।
स्वाभिमान मेरा ऊंचा,
खुद पर मुझे अभिमान नहीं।

©Deepa Didi Prajapati

# स्वाभिमान _मेरा_ऊंचा

153 View

#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

8,145 View

 स्वाभिमान बेचकर बाजारू शानो –शौकत खरीदने वाले  दिल की अमरियत कहां से खरीदेंगे।।

©लेखक ओझा

स्वाभिमान

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#शायरी  ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए,
भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए।

पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई,
लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए।

बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी,
सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए।

उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं,
दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए।

थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने।
चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए।

                                   कवि-शिव गोपाल अवस्थी

©Shiv gopal awasthi

कविता

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बिखर कर नहीं सम्भलकर चलों मुठ्ठी बनकर अपनी ताकत बनो। ©Prateek yadav

#स्वाभिमान #Motivational  बिखर कर नहीं
सम्भलकर चलों
मुठ्ठी बनकर
अपनी ताकत बनो।

©Prateek yadav
#कोट्स  चिंतित हूं समाधान नहीं,
खुद की मुझे पहचान नहीं।
हित सभी जनों की चाह मेरी,
शुभ कर्म करूं क्या ज्ञान नहीं।
सत पथ पर चलना धर्म मेरा,
दुःख - दर्द से डरना काम नहीं।
भौतिक सुख की चाह नहीं,
भले मिले मुझे सम्मान नहीं।
स्वाभिमान मेरा ऊंचा,
खुद पर मुझे अभिमान नहीं।

©Deepa Didi Prajapati

# स्वाभिमान _मेरा_ऊंचा

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#RKPrasbi #wishes

विश्व कविता दिवस पर आप सभी को समर्पित #RKPrasbi

117 View

#विचार  फूल देई का त्यौहार था,
मैं फिर भी बैठा अकेला था ।
चारों तरफ़ हर्षोल्लास था,
मैं अकेला बैठा निराश था ।
जब मैने चारों तरफ देखा ,
तब पता चला कि
मैं गांव से दूर किसी शहर के भिड़ में
बैठा अकेला उदाश था ।।
✍️ Jagdish Pant

आज फूलदेई के पर्व पर एक कविता मेने लिखि ।

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